देहरादून: कृषि मंत्री गणेश जोशी ( Agriculture Minister Ganesh Joshi) बीते 27 जुलाई से 3 अगस्त तक यूरोप के तीन देशों के दौरे पर थे. हालांकि, इस दौरे से पहले बताया गया था कि कृषि मंत्री 5 देशों का दौरा करेंगे, लेकिन गणेश जोशी और उनके साथ गए डेलिगेशन ने यूरोप के जर्मनी, स्विट्जरलैंड और स्वीडन का दौरा किया. 3 देशों के दौरे पर कृषि क्षेत्र में तमाम तकनीकियों के साथ-साथ वहां के तौर तरीकों के बारे में जानकारी ली. वहीं, विदेश दौरे से लौटे कृषि मंत्री गणेश जोशी से ईटीवी भारत ने उनके अनुभवों के बारे में जानकारी ली.
स्विट्जरलैंड से एक दल आएगा उत्तराखंड: ईटीवी भारत से कृषि मंत्री गणेश जोशी ने अपने विदेश यात्रा के अनुभवों को साझा किया (Ganesh Joshi shares his foreign travel experiences). उन्होंने बताया कि इस दौरान वह तीन देश जर्मनी, स्विट्जरलैंड और स्वीडन की यात्रा की. सबसे पहले उन्हें जर्मनी में जुलाई महीने में वैश्विक स्तर के एग्रीकल्चर फेस्टिवल में शामिल होने का मौका मिला. जहां भारत के भी कई राज्यों से लोग पहुंचे थे. कृषि मंत्री ने बताया कि उनके द्वारा जो वहां पर देखा गया वह बेहद अनुकरणीय है.
फ्रांस में मधुमक्खी पालन: इसके बाद कृषि मंत्री फ्रांस दौरे पर थे. जहां पर मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया जा रहा है. वहीं, स्विट्जरलैंड दौरे को लेकर गणेश जोशी ने बताया कि स्विट्जरलैंड और उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां कई मायनों में समान है. वहां पर भी ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काफी काम किया जा रहा है. जिसका अध्ययन किया गया और इस दौरान कुछ करार भी वहां पर साइन किए गए. साथ ही वहां के अधिकारियों को उत्तराखंड आमंत्रित किया गया है.
विदेश और उत्तराखंड की कृषि में अंतर: कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा विदेशों में की जाने वाली कृषि और उत्तराखंड में की जाने वाली कृषि में कई मायनों में मूलभूत अंतर है. विदेशों में मैन पावर कम है, लेकिन तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा विदेशों में जगह की पर्याप्त मात्रा है. जबकि, उत्तराखंड या फिर भारत में लगातार एग्रीकल्चर लैंड से घटता जा रहा है. विदेशियों की इसी तकनीक को लेकर विचार किया जा रहा है कि उत्तराखंड के तराई इलाके हरिद्वार, उधमसिंह नगर में इन तकनीकों को लेकर कुछ प्रोजेक्ट लगाया जाए और वहां पर इन तकनीकों का प्रयोग किया जाए.