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बड़े संकट से जूझ रहा देश, 2030 तक उत्तराखंड समेत कई शहरों में खत्म हो जाएगा पानी!

नीति आयोग की रिपोर्ट में पेयजल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसे कई शहरों और राज्यों को अलग-अलग केटेगिरी में रखा गया है जो कि आने वाले समय में एक बड़े संकट से जूझने वाले हैं. ऐसे में यह रिपोर्ट सरकार और आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गई है.

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Published : Jun 23, 2019, 12:21 AM IST

देहरादून: आज पेयजल को लेकर जिस तरह के हालत तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में देखने को मिल रहे हैं, आने वाले कुछ सालों में उसी तरह के हालात उत्तराखंड में भी देखने को मिल सकते हैं. ये हम नहीं बल्कि सरकारी रिपोर्ट कह रही है. अगर अभी जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के लोग भी बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे.

पेयजल संकट को लेकर नीति आयोग ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों में 2030 तक पीने लायक पानी नहीं बचेगा. इसी सूची में उत्तराखंड 13वें नंबर पर है. वहीं उत्तराखंड की बात करें तो इस जल संकट के सबसे ज्यादा और पहला असर देहरादून शहर पर पड़ेगा.

पढ़ें- शाही शादी: सीएम त्रिवेंद्र के सुर से हरदा ने मिलाया सुर, गुप्ता बंधुओं को लेकर कही ये बात

नीति आयोग की रिपोर्ट में पूरे देश में पेयजल संकट को लेकर सबको भौचक्का कर दिया है. नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले 10 सालों में यानी 2030 तक कई शहर जो कि अभी से पेय जल के संकट से जूझ रहे हैं, वहां पीने के लिए पानी नहीं बचेगा. अफसोस कि बात तो यह है कि समूचे उत्तर भारत का गला सींचने वाला उत्तराखंड भी इस संकट से बाहर नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड की सियासत में फिर गर्माया गैरसैंण का मुद्दा, स्पीकर ने कही ये बात

नीति आयोग की रिपोर्ट में पेयजल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसे कई शहरों और राज्यों को अलग-अलग केटेगिरी में रखा गया है जो कि आने वाले समय में एक बड़े संकट से जूझने वाले हैं. ऐसे में यह रिपोर्ट सरकार और आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गई है. नीति आयोग रिपोर्ट में दावा किया गया है, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 भारतीय शहर 2020 तक भूजल से बाहर निकल जाएंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जाएगी. पानी के कारण करीब 10 करोड़ लोग परेशानी का सामना करेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है, 2030 तक भारत की 40 प्रतिशत आबादी के पास पेयजल की कोई सुविधा नहीं होगी.

पेयजल संकट की सूची वाले प्रदेश

  1. छत्तीसगढ़
  2. राजस्थान
  3. गोवा
  4. केरल
  5. उड़ीसा
  6. बिहार
  7. उत्तर प्रदेश
  8. हरियाणा
  9. झारखंड
  10. सिक्किम
  11. असम
  12. नागालैंड
  13. उत्तराखंड
  14. मेघालय

उत्तराखंड का देहरादून शहर राज्य में पानी की किल्लत वाले शहरों में सबसे आगे है. ऐसे में ये संकेत उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती है. अब देखना होगा कि सरकार इस चुनौती को गंभीर रूप से लेती है या फिर पूर्व की भांति इस बार भी नीति आयोग की पेयजल संकट पर इस संकेत को नजर अंदाज किया जाता है.

देहरादून: आज पेयजल को लेकर जिस तरह के हालत तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में देखने को मिल रहे हैं, आने वाले कुछ सालों में उसी तरह के हालात उत्तराखंड में भी देखने को मिल सकते हैं. ये हम नहीं बल्कि सरकारी रिपोर्ट कह रही है. अगर अभी जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड के लोग भी बूंद-बूंद के लिए तरस जाएंगे.

पेयजल संकट को लेकर नीति आयोग ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों में 2030 तक पीने लायक पानी नहीं बचेगा. इसी सूची में उत्तराखंड 13वें नंबर पर है. वहीं उत्तराखंड की बात करें तो इस जल संकट के सबसे ज्यादा और पहला असर देहरादून शहर पर पड़ेगा.

पढ़ें- शाही शादी: सीएम त्रिवेंद्र के सुर से हरदा ने मिलाया सुर, गुप्ता बंधुओं को लेकर कही ये बात

नीति आयोग की रिपोर्ट में पूरे देश में पेयजल संकट को लेकर सबको भौचक्का कर दिया है. नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले 10 सालों में यानी 2030 तक कई शहर जो कि अभी से पेय जल के संकट से जूझ रहे हैं, वहां पीने के लिए पानी नहीं बचेगा. अफसोस कि बात तो यह है कि समूचे उत्तर भारत का गला सींचने वाला उत्तराखंड भी इस संकट से बाहर नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंड की सियासत में फिर गर्माया गैरसैंण का मुद्दा, स्पीकर ने कही ये बात

नीति आयोग की रिपोर्ट में पेयजल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसे कई शहरों और राज्यों को अलग-अलग केटेगिरी में रखा गया है जो कि आने वाले समय में एक बड़े संकट से जूझने वाले हैं. ऐसे में यह रिपोर्ट सरकार और आम जनता के लिए चिंता का विषय बन गई है. नीति आयोग रिपोर्ट में दावा किया गया है, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 भारतीय शहर 2020 तक भूजल से बाहर निकल जाएंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जाएगी. पानी के कारण करीब 10 करोड़ लोग परेशानी का सामना करेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है, 2030 तक भारत की 40 प्रतिशत आबादी के पास पेयजल की कोई सुविधा नहीं होगी.

पेयजल संकट की सूची वाले प्रदेश

  1. छत्तीसगढ़
  2. राजस्थान
  3. गोवा
  4. केरल
  5. उड़ीसा
  6. बिहार
  7. उत्तर प्रदेश
  8. हरियाणा
  9. झारखंड
  10. सिक्किम
  11. असम
  12. नागालैंड
  13. उत्तराखंड
  14. मेघालय

उत्तराखंड का देहरादून शहर राज्य में पानी की किल्लत वाले शहरों में सबसे आगे है. ऐसे में ये संकेत उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती है. अब देखना होगा कि सरकार इस चुनौती को गंभीर रूप से लेती है या फिर पूर्व की भांति इस बार भी नीति आयोग की पेयजल संकट पर इस संकेत को नजर अंदाज किया जाता है.

Intro:summary- नीति आयोग ने पेयजल संकट को लेकर रिपोर्ट जारी की है जिसमे कहा गया है कि 2030 तक कई राज्यों में पीने लायक पानी नाही बचेगा और इस सूची में उत्तराखंड का नंबर 13वें स्थान पर है।

एंकर- पेयजल संकट को लेकर नीति आयोग ने चोंकाने वाला खुलासा किया है। नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों में 2030 तक पीने लायक पानी नही बचेगा और इससे भी ज्यादा चिंता का विषय ये है कि इस सूची में उत्तराखंड नम्बर तेरवें स्थान पर है और उत्तराखंड में भी इस आने वाले संकट का सबसे पहला और बाद असर सूबे के सियासी शहर देहरादून पर बताया जा रहा है।


Body:वीओ- नीति आयोग की रिपोर्ट में पूरे देश में पेयजल संकट को लेकर सबको भौचक्का कर दिया है। नीति आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले 10 सालों में यानी 2030 तक कई शहर जो कि अभी से पेय जल के संकट से जूझ रहे हैं उनमें पीने के लिए पानी नही बचेगा और अफसोस कि बात तो यह है की समूचे उत्तर भारत का गला सींचने वाला उत्तराखंड भी इस संकट से बाहर नही है।

नीति आयोग की रिपोर्ट में पेयजल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसे कई शहरों और राज्यों की अलग अलग केटेगिरी में रखा गया है जो कि आने वाले इस संकट को लेकर एक बड़े संकट से जूझने वाले हैं। और नीति योग की इसी डराने वाली सूची में उत्तराखंड 13 वें नम्बर पर है।

ये राज्य पेयजल संकट की सूची में सबसे आगे---
1- छत्तीसगढ़
2- राजस्थान
3- गोवा
4- केरल
5- उड़ीसा
6- बिहार
7- उत्तर प्रदेश
8- हरियाणा
9- झारखंड
10- सिक्किम
11- असम
12- नागालैंड
13- उत्तराखंड
14- मेघालय

नीति आयोग द्वारा जारी की गई इस सूची में उत्तराखंड का नंबर तेरवें स्थान पर है और उत्तराखंड का देहरादून शहर राज्य में पानी की किल्लत वाले शहरों में सबसे आगे है ऐसे में ये संकेत उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनोती है और अब देखना होगा कि सरकार इस चुनोती को गंभीर रूप से लेती है या फिर पूर्व की भांति इस बार भी नीति आयोग की पेयजल संकट पर इस संकेत को नजरअंदाज किया जाता है।


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