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उत्तराखंड में गोद अभियान की शुरुआत, मुख्यमंत्री समेत कई लोगों ने बच्चों को लिया गोद

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Published : Sep 4, 2019, 10:22 AM IST

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में अतिकुपोषित बच्ची को गोद लेकर कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान की शुरुआत कर दी है. इसके साथ ही कई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कुपोषण का शिकार बच्चों को गोद दिया है.

देहरादून

देहरादून: प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को जीवनदान देने के लिए राज्य सरकार ने एक अच्छी पहल की है. इस मौके पर दर्शन हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक कुपोषित बच्ची को गोद लेकर किया.

गोद अभियान की शुरुआत

कुपोषण मुक्ति के लिए प्रदेश के मुखिया के अलावा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने अतिकुपोषित बच्चों को गोद लिया. हालांकि, 3 सितंबर से शुरू हो कर 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में इच्छुक व्यक्ति कुपोषण के शिकार बच्चों को गोद ले सकते हैं. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य करना है. इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अभियान के तहत कुपोषण को दूर करने के लिए शपथ भी दिलाई.

गोद अभियान के तहत प्रदेश में चिन्हित 1600 अति कुपोषित बच्चों को मुख्यमंत्री, मंत्रिगणों, विधायकों, अधिकारियों, उद्योगपतियों व अन्य समाजसेवियों द्वारा गोद लिया जाएगा. हालांकि, मंगलवार को सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री रेखा आर्य, देहरादून मेयर, मसूरी विधायक, समेत प्रदेश के कई अधिकारियों ने करीब 20 बच्चों को गोद लिया. इसके साथ ही समाजसेवी व उद्योगपति राकेश ओबेराय ने अपनी संस्थाओं के माध्यम से 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की बात कही है.

पढ़ें- अच्छी पहलः कुपोषण दूर करने के लिए कुपोषित बच्चे गोद लेंगे अफसर, करेंगे मॉनिटरिंग

बच्चियों का कराया जाएगा हीमोग्लोबिन टेस्ट
इस मौके पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाएगा. क्योंकि एनीमिया बालिकाओं में सबसे ज्यादा है. इसी वजह से प्रदेश के सभी बच्चों को एनीमिया टेस्ट कराया जाएगा. सीएम ने बताया कि साल 2022 तक प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्का भवन युक्त किया जाएगा और प्रत्येक राशनकार्ड पर 2 किलो दाल उपलब्ध कराई जाएगी.

सीएम ने रेखा नाम की महिला की बच्ची को गोद दिया
सीएम ने कहा कि जिन बच्चों को गोद लिया जा रहा है, उनका नियमित रूप से पूरा ध्यान रखना जरूरी है. उनके माता-पिता के सम्पर्क में रहना होगा. बच्चे क्या खा रहे हैं ? कैसे खा रहे हैं ? हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना होगा और पहला सहयोग बच्चे की मां का चाहिए. क्योंकि, अगर मां को पोषण मिलेगा तो मां का स्वास्थ्य ठीक होगा. जिससे बच्चे का सही ढंग पोषण होगा.

malnourished news
सीएम द्वारा गोद ली गई बच्ची की मां

उनकी बच्ची जल्द स्वस्थ होगी- रेखा, बच्ची की मां
इस मौके पर बच्ची को गोद लिए जाने के सवाल पर रेखा नाम की महिला ने बताया कि उन्हें एक महीने के लिए पौष्टिक आहार दिया गया है. साथ ही कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार की इस पहल से उनकी बच्ची ठीक हो जाएगी. बता दें मुख्यमंत्री ने रेखा की बच्ची को गोद लिया है.

कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान पुनीत कार्य- प्रेमचन्द अग्रवाल
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि आज का यह कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान का कार्यक्रम दिव्य और पुनीत कार्य के लिए है. अगर हमें कोई लक्ष्य प्राप्त करने का मन बना लेते हैं, तो वह पूर्णता को भी प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति की चुनौती स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे.

गर्भवती महिला को मुले पर्याप्त पोषण- रेखा आर्य
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने बताया कि यदि कुपोषण से लड़ना है. सकी शुरूआत गर्भवती महिला से होना जरूरी है. उनको पर्याप्त पोषण मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में उनका पंजीकरण होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून में सबसे अधिक कुपोषित बच्चे हैं.

कुपोषण से मुक्ति के लिए पौष्टिकता को प्राथमिकता बनाने के साथ ही मोटे अनाज को अपने आहार में सम्मिलित करना जरूरी है. छह माह से 6 साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से टेक होम राशन के रूप में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये जाते हैं. बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए जन प्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों को इन बच्चों को गोद लेकर इनकी निगरानी करना जरूरी है.

देहरादून: प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को जीवनदान देने के लिए राज्य सरकार ने एक अच्छी पहल की है. इस मौके पर दर्शन हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक कुपोषित बच्ची को गोद लेकर किया.

गोद अभियान की शुरुआत

कुपोषण मुक्ति के लिए प्रदेश के मुखिया के अलावा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने अतिकुपोषित बच्चों को गोद लिया. हालांकि, 3 सितंबर से शुरू हो कर 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में इच्छुक व्यक्ति कुपोषण के शिकार बच्चों को गोद ले सकते हैं. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के अतिकुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य करना है. इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अभियान के तहत कुपोषण को दूर करने के लिए शपथ भी दिलाई.

गोद अभियान के तहत प्रदेश में चिन्हित 1600 अति कुपोषित बच्चों को मुख्यमंत्री, मंत्रिगणों, विधायकों, अधिकारियों, उद्योगपतियों व अन्य समाजसेवियों द्वारा गोद लिया जाएगा. हालांकि, मंगलवार को सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री रेखा आर्य, देहरादून मेयर, मसूरी विधायक, समेत प्रदेश के कई अधिकारियों ने करीब 20 बच्चों को गोद लिया. इसके साथ ही समाजसेवी व उद्योगपति राकेश ओबेराय ने अपनी संस्थाओं के माध्यम से 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की बात कही है.

पढ़ें- अच्छी पहलः कुपोषण दूर करने के लिए कुपोषित बच्चे गोद लेंगे अफसर, करेंगे मॉनिटरिंग

बच्चियों का कराया जाएगा हीमोग्लोबिन टेस्ट
इस मौके पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाएगा. क्योंकि एनीमिया बालिकाओं में सबसे ज्यादा है. इसी वजह से प्रदेश के सभी बच्चों को एनीमिया टेस्ट कराया जाएगा. सीएम ने बताया कि साल 2022 तक प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्का भवन युक्त किया जाएगा और प्रत्येक राशनकार्ड पर 2 किलो दाल उपलब्ध कराई जाएगी.

सीएम ने रेखा नाम की महिला की बच्ची को गोद दिया
सीएम ने कहा कि जिन बच्चों को गोद लिया जा रहा है, उनका नियमित रूप से पूरा ध्यान रखना जरूरी है. उनके माता-पिता के सम्पर्क में रहना होगा. बच्चे क्या खा रहे हैं ? कैसे खा रहे हैं ? हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना होगा और पहला सहयोग बच्चे की मां का चाहिए. क्योंकि, अगर मां को पोषण मिलेगा तो मां का स्वास्थ्य ठीक होगा. जिससे बच्चे का सही ढंग पोषण होगा.

malnourished news
सीएम द्वारा गोद ली गई बच्ची की मां

उनकी बच्ची जल्द स्वस्थ होगी- रेखा, बच्ची की मां
इस मौके पर बच्ची को गोद लिए जाने के सवाल पर रेखा नाम की महिला ने बताया कि उन्हें एक महीने के लिए पौष्टिक आहार दिया गया है. साथ ही कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार की इस पहल से उनकी बच्ची ठीक हो जाएगी. बता दें मुख्यमंत्री ने रेखा की बच्ची को गोद लिया है.

कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान पुनीत कार्य- प्रेमचन्द अग्रवाल
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि आज का यह कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान का कार्यक्रम दिव्य और पुनीत कार्य के लिए है. अगर हमें कोई लक्ष्य प्राप्त करने का मन बना लेते हैं, तो वह पूर्णता को भी प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति की चुनौती स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे.

गर्भवती महिला को मुले पर्याप्त पोषण- रेखा आर्य
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने बताया कि यदि कुपोषण से लड़ना है. सकी शुरूआत गर्भवती महिला से होना जरूरी है. उनको पर्याप्त पोषण मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में उनका पंजीकरण होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून में सबसे अधिक कुपोषित बच्चे हैं.

कुपोषण से मुक्ति के लिए पौष्टिकता को प्राथमिकता बनाने के साथ ही मोटे अनाज को अपने आहार में सम्मिलित करना जरूरी है. छह माह से 6 साल तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से टेक होम राशन के रूप में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये जाते हैं. बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए जन प्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों को इन बच्चों को गोद लेकर इनकी निगरानी करना जरूरी है.

Intro:उत्तराखंड राज्य के अतिकुपोषित बच्चों को कुपोषण के शिकार से निजात दिलाने को लेकर प्रदेश के भीतर राज्य सरकार ने बड़ी पहल शुरू की है। जिसके तहत जनता दर्शन हाल में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक कुपोषित बच्ची को गोद लेकर किया। "कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान" के तहत प्रदेश के मुखिया, जनप्रतिनिधियों समेत अधिकारियों ने अतिकुपोषित बच्चों को गोद लिया। हालांकि 3 सितंबर से शुरू हो कर 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में इच्छुक व्यक्ति, कुपोषण के शिकार बच्चों को गोद ले सकते है। हालांकि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के अतिकुपोषण के शिकार बच्चों को स्वास्थ्य करना है। वही कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अभियान के तहत कुपोषण को दूर करने के लिए शपथ भी दिलाई।


Body:गोद अभियान के तहत प्रदेश में चिन्हित 1600 अति कुपोषित बच्चों को मुख्यमंत्री, मंत्रिगणों, विधायकों, अधिकारियों, उद्योगपतियों व अन्य समाजसेवियों द्वारा गोद लिया जाएगा।हालांकि मंगलवार को सीएम आवास में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री रेखा आर्य, देहरादून मेयर, मसूरी विधायक, समेत प्रदेश के कई अधिकारियों ने करीब 20 बच्चों को गोद लिया। इसके साथ ही समाजसेवी व उद्योगपति राकेश आॅबेराय ने अपनी संस्थाओं के माध्यम से 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की बात कही है। 


बालिकाओं का कराया जाएगा हिमोग्लोबिन टेस्ट...

वही कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा करते हुए कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट कराया जाएगा। क्योकि जो एनीमिया है वो बालिकाओं में सबसे ज्यादा है। इसी वजह से प्रदेश के सभी बच्चियों का एनीमिक टेस्ट किये जायेंगे। साथ ही कहा कि कुपोषण और एनीमिया को खत्म करने में ये टेस्ट सहायक होंगे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 तक प्रदेश की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्का भवन युक्त किया जाएगा। और प्रत्येक राशनकार्ड पर 2 किग्रा दाल उपलब्ध कराई जाएगी। 

वही बच्चे को गोद लिए जाने के सवाल पर रेखा ने बताया कि उन्हें एक महीने कब लिए पोष्टिक आहार दिया गया है, और उनके उम्मीद है कि सरकार की इस पहल से उनकी बच्ची ठीक हो जाएगी। 

बाइट - रेखा, गोद लिए जाने वाली बच्ची की माँ


वही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जिन बच्चों को गोद लिया जा रहा है, उनका नियमित रूप से पूरा ध्यान रखना जरूरी है। उनके माता पिता के सम्पर्क में रहना होगा। बच्चे क्या खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं, हर छोटी से छोटी बात पर ध्यान देना होगा। और पहला सहयोग बच्चे की मां का चाहिए। क्योकि अगर मां को पोषण मिलेगा तो मां का स्वास्थ्य ठीक होगा जिससे बच्चे का सही ढंग पोषण होगा और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा।


विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि आज का यह ‘‘कुपोषण मुक्ति हेतु गोद अभियान’’ का कार्यक्रम दिव्य और पुनीत कार्य के लिए है। यदि हम कोई लक्ष्य प्राप्त करने का मन बना लेते हैं, तो वह पूर्णता को भी प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति की चुनौती स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे। बच्चा स्वस्थ पैदा हो, इसके लिए माँ का स्वस्थ रहना जरूरी है। कुपोषण की समस्या 5 वर्ष तक के बच्चों में अधिक पायी जाती है। उन्होंने कहा कि जो कुपोषित बच्चे गोद लिये गये हैं, इन्नकी निरंतर माॅनिटरिंग होगी, तो ये बच्चे जल्द ही कुपोषण से मुक्त हो जायेंगे। 

महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने बताया कि यदि कुपोषण से लड़ना है तो इसकी शुरूआत गर्भवती महिला से होना जरूरी है। उनको पर्याप्त पोषण मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों में उनका पंजीकरण होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य में ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल व देहरादून में सबसे अधिक कुपोषित बच्चे हैं। कुपोषण से मुक्ति के लिए पोष्टिकता को प्राथमिकता बनाने के साथ ही मोटे अनाज को अपने आहार में सम्मिलित करना जरूरी है। 06 माह से 06 साल तक के बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से टेक होम राशन के रूप में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये जाते हैं। बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए जन प्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों को इन बच्चों को गोद लेकर इनकी निगरानी करना जरूरी है।


....जिलावार कुपोषित बच्चों की स्तिथि.....

उधमसिंह नगर - 7378
हरिद्वार- 4952
नैनीताल- 1354
देहरादून - 1123


Conclusion:
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