विकासनगर: विकासनगर के जौनसार बावर क्षेत्र में इन दिनों लोग बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती कर रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिकों ने काश्तकारों की मदद के लिए नई तकनीक इजाद की है.
विकासनगर में टमाटर की खेती में कम लागत से अधिक मुनाफा कमाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वैज्ञानिकों ने ट्रेनिंग-प्रूनिंग और स्टीकिंग की तकनीक को इजाद किया है. ये तकनीक पहाड़ी इलाकों में टमाटर की खेती करने वाले लोगों के एक वरदान साबित हो सकती है.
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इस तकनीक से काश्तकार आधा बीघा जमीन में 4 कुंतल से अधिक टमाटर का उत्पादन कर सकते हैं. काश्तकार इस तकनीक को बेहतर ढंग से समझ सकें, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी ने इसकी प्रदर्शन भी लगायी है.
विकासनगर में पाली हाउस के भीतर करीब आधा बीघा जमीन में लगायी गयी इस प्रदर्शनी के जरिए किसान टमाटर की पौध लगाने और इसकी देखभाल की नई तकनीक की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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जौनसार बावर में टमाटर की खेती को लोगों की आर्थिकी का जरिया भी कहा जाता है. साहिया क्षेत्र से लेकर ऊंचाई वाले इलाकों में भी टमाटर की बंपर पैदावार की जाती है. क्षेत्र में पैदा होने वाले टमाटर की मांग दिल्ली, पंजाब सहित कई अन्य राज्यों में रहती है.
कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी विज्ञानिक डॉ अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में इस समय टमाटर की बुवाई का काम चल रहा है. इस नई तकनीक के जरिए प्लास्टिक की रस्सी के सहारे किसान अपनी फसल की ग्रोथ कर सकते हैं. इस तकनीक में टमाटर के पौधे को बेल का आकार दिया जाता है. इससे वे बेल के सहारे रस्सी पर चढ़ जाता है, जिससे टमाटर को बेहतर ग्रोथ मिलती है.