ऋषिकेश: उच्च न्यायालय द्वारा नदी नालों के ऊपर बने अवैध अतिक्रमण को तोड़ने के आदेश का अनुपालन करते हुए प्रशासन ने अतिक्रमण को ध्वस्त कर दिया. साथ ही व्यापारियों ने प्रशासन पर अतिक्रमण हटाने को लेकर भेदभाव करने का आरोप लगाया है. याचिकाकर्ता अनिल गुप्ता ने अतिक्रमण को सही ढंग से न हटाए जाने को लेकर आत्मदाह करने तक की चेतावनी दे दी.
तीर्थनगरी के मायाकुंड निवासी अनिल गुप्ता ने 21 अप्रैल 2010 को उच्च न्यायालय (नैनीताल) में दायर याचिका में ऋषिकेश क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण के बारे में बताया. उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नदी नालों के ऊपर किए गए अवैध निर्माण, चंद्रभागा नदी में बसी बस्ती, त्रिवेणी घाट पर सरस्वती नाले के ऊपर निर्माणाधीन दुकान, रेलवे रोड पर अतिक्रमण की जद में आने वाले सभी दुकानों और 10 स्थलों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे, लेकिन सरकारी गतिविधियों के चलते अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका.
साथ ही प्रशासन ने सिर्फ खोखे और ठेली वालों का अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर निष्पक्ष तरीके से अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो वह आत्मदाह करने को मजबूर होंगे.
नगर निगम ऋषिकेश के महानगर आयुक्त चतर सिंह ने बताया कि अतिक्रमण हटाने का अभियान चल रहा है. इस अभियान में मुख्य मार्गों पर हुए अतिक्रमण को हटाया जा रहा है. साथ ही उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि सिर्फ ठेली वालों का ही अतिक्रमण नहीं हटाया जा रहा है, बल्कि सभी तरह के अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं.