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यात्रियों की जान जोखिम में, ऋषिकेश में धड़ल्ले से हो रही ओवरलोडिंग

ऋषिकेश में विक्रम चालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर ढोया जा रहा है, जो आए दिन हादसों को दावत दे रहे हैं. हाल ही में ओवरलोडिंग की वजह से टिहरी में एक हादसा हुआ था, जिसमें 10 बच्चों की मौत हो गई थी.

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Published : Aug 12, 2019, 11:45 AM IST

सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोडिंग सवारी वाहन.

ऋषिकेश: बीते दिनों टिहरी में हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी प्रशासन कुम्भकरणीय नींद से नहीं जागा है. ऋषिकेश में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाए वाहन दिखाई देते हैं. 8 सवारी क्षमता वाले विक्रम वाहन में 12 सवारियों को ढोया जा रहा है, जो हादसों को दावत दे रहे हैं. वहीं इस सब के बीच पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं.

गौर हो कि ऋषिकेश में विक्रम चालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर ढोया जा रहा है, जो आए दिन हादसों को दावत देते हैं. ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर चलने वाले विक्रम में 10 से 12 सवारियों को बैठाकर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है, जबकि नियमानुसार एक विक्रम में 7 से अधिक सवारिओं को नहीं बैठाया जा सकता है.

सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोडिंग सवारी वाहन.

पढ़ें-उत्तराखंड की जेलों में बंद हैं क्षमता से कई गुना ज्यादा कैदी, राज्य के इन 6 जिलों में नहीं है कोई जेल

वहीं कार्रवाई की बात करें तो जिस चौक से सवारियों को बिठाया जाता है उस से चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस के जवान खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था संभालते हैं, लेकिन इन ओवरलोडिंग वाहनों पर उनकी नजर नहीं पड़ती है. या यूं कहें वे इसे देखकर भी अनदेखा कर देते हैं. वहीं इस मामले में सिर्फ पुलिस ही दोषी नहीं बल्कि परिवहन विभाग भी बराबर का जिम्मेदार है. सवारियों को ढोने वाले वाहन सहित सभी वाहन परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं, लेकिन परिवहन विभाग द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. जब ओवरलोडिंग के बारे में विक्रम चालकों से पूछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब दलील दी. उन्होंने कहा कि ऐसा मजबूरी में करना पड़ता है. वहीं विक्रम यूनियन के कर्मचारी भी इसी चीज को दोहराते दिखाई दिए.

ऋषिकेश: बीते दिनों टिहरी में हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी प्रशासन कुम्भकरणीय नींद से नहीं जागा है. ऋषिकेश में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाए वाहन दिखाई देते हैं. 8 सवारी क्षमता वाले विक्रम वाहन में 12 सवारियों को ढोया जा रहा है, जो हादसों को दावत दे रहे हैं. वहीं इस सब के बीच पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं.

गौर हो कि ऋषिकेश में विक्रम चालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर ढोया जा रहा है, जो आए दिन हादसों को दावत देते हैं. ऋषिकेश-हरिद्वार मार्ग पर चलने वाले विक्रम में 10 से 12 सवारियों को बैठाकर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है, जबकि नियमानुसार एक विक्रम में 7 से अधिक सवारिओं को नहीं बैठाया जा सकता है.

सड़कों पर दौड़ रहे ओवरलोडिंग सवारी वाहन.

पढ़ें-उत्तराखंड की जेलों में बंद हैं क्षमता से कई गुना ज्यादा कैदी, राज्य के इन 6 जिलों में नहीं है कोई जेल

वहीं कार्रवाई की बात करें तो जिस चौक से सवारियों को बिठाया जाता है उस से चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस के जवान खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था संभालते हैं, लेकिन इन ओवरलोडिंग वाहनों पर उनकी नजर नहीं पड़ती है. या यूं कहें वे इसे देखकर भी अनदेखा कर देते हैं. वहीं इस मामले में सिर्फ पुलिस ही दोषी नहीं बल्कि परिवहन विभाग भी बराबर का जिम्मेदार है. सवारियों को ढोने वाले वाहन सहित सभी वाहन परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं, लेकिन परिवहन विभाग द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. जब ओवरलोडिंग के बारे में विक्रम चालकों से पूछा गया तो उन्होंने अजीबोगरीब दलील दी. उन्होंने कहा कि ऐसा मजबूरी में करना पड़ता है. वहीं विक्रम यूनियन के कर्मचारी भी इसी चीज को दोहराते दिखाई दिए.

Intro:ऋषिकेश-- टिहरी में हुए दर्दनाक हादसे के बावजूद भी नहीं जागा है प्रशासन ऋषिकेश में क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाकर धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं सवारी वाहन, 8 सवारी में पास विक्रम में 12 सवारियों को ढोया जा रहा है वहीं पुलिस और परिवहन विभाग आंख मूंदे बैठा हुआ है।


Body:वी/ओ-- ऋषिकेश में विक्रम चालकों के द्वारा क्षमता से अधिक सवारीयों को बैठाकर ढोया जा रहा है जो हादसों को दावत दे रहा है ऋषिकेश हरिद्वार मार्ग पर चलने वाले विक्रम में 10 से 12 सवारियों को बैठाकर धड़ल्ले से सवारी वाहन दौड़ रहे हैं जबकि नियमानुसार एक विक्रम में 7 से अधिक सवारी नहीं बिठा सकते ऐसे में ओवरलोडिंग होकर चल रहे सवारी वाहन कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं वहीं कार्यवाही की बात करें तो जिस चौक से सवारियों को बिठाया जाता है उस से चंद कदमों की दूरी पर ही पुलिस के जवान खड़े होकर ट्रैफिक व्यवस्था संभालते हैं लेकिन इन ओवरलोडिंग वाहनों पर उनकी नजर नहीं पड़ती या यूं कहें वह इसे देख कर भी अनदेखा कर देते हैं वहीं इस मामले में सिर्फ पुलिस ही दोषी नहीं बल्कि परिवहन विभाग भी बराबर का जिम्मेदार है सवारियों को ढोने वाले वाहन सहित सभी वाहन परिवहन विभाग के अंतर्गत आते हैं लेकिन परिवहन विभाग इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं कर रहा है।


Conclusion:वी/ओ-- आइए हम आपको बताते हैं कि विक्रम चालकों की दलीलें क्या है, क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाने को लेकर जब सवारी वाहन चालक से बात की गई तो उन्होंने अजीबोगरीब तर्क देते हुए बताया कि या उनको मजबूरी में करना पड़ता है विक्रम चालक अपनी गलती मानने के बजाय वह जाकर लगते हैं कि कभी-कभी हम लोग 10 से 12 सवारी भी ले जाते हैं तो कभी हम एक या दो सवारियों को भी होते हैं इतना ही नहीं उनके समर्थन में खुलकर विक्रम यूनियन के कर्मचारी भी आए जो कबूल रहे हैं कि विक्रम 7 सवारियों में पास है लेकिन 10 सवारियों को लेकर सवारी वाहन आवाजाही करते हैं।

बाईट--संदीप कुमार(विक्रम चालक)
बाईट--अशोक कुमार(विक्रम यूनियन कर्मचारी)

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