देहरादून: उत्तराखंड सरकार में राज्य मंत्री और सीनियर आईएएस अधिकारी के बीच तनातनी का माहौल अब एक नया मोड़ ले चुका है. बीते कई दिनों से एक टेंडर प्रक्रिया को लेकर विभागीय अपर सचिव महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य का फोन रिसीव नहीं कर रहे थे. ऐसे में गुस्साई मंत्री रेखा आर्य ने अपने आईएएस अधिकारी के लापता होने और अपहरण होने की शिकायत देहरादून डीआईजी को बकायदा पत्र लिखकर दी. पुलिस जांच पड़ताल में पाया गया कि जो अधिकारी को लापता बताये गये हैं वो अपने आवास पर होम क्वारंटाइन हैं. जांच में मंत्री द्वारा दी गई जानकारी सूचना गलत और निराधार पाई गई है.
राज्यमंत्री के पत्र को लेकर ईटीवी भारत ने राजनीतिक जानकारों के साथ-साथ कानूनी विशेषज्ञों से बात की. उन्होंने बताया कि ये मामला सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के साथ बेहद गंभीर है, जिसके चलते निश्चित रूप से मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि इस तरह से सत्ता राज में कोई सरकारी तंत्र का ऐसे मजाक ना बना सके.
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सत्ता में मंत्री का सरकारी मशीनरी पर दुरुपयोग : वरिष्ठ पत्रकार
उधर, इस मामले को लेकर जानकारों भी मानते हैं कि जिस तरह सत्ताधारी पार्टी में एक जिम्मेदार विभाग की मंत्री द्वारा बकायदा घटनाक्रम रच पुलिस मशीनरी का दुरुपयोग किया गया है, उसके तहत जांच पड़ताल कर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का प्रयास न करे. वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सेठी के मुताबिक, जिस तरह से मंत्री ने सत्ता में रहते हुए अपनी हनक का इस्तेमाल कर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया उसे लेकर निष्पक्ष जांच करते हुए मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. इतना ही नहीं, फर्जी शिकायत पर जो सरकारी धन का नुकसान हुआ है उसकी भरपाई भी मंत्री के वेतन से की जानी चाहिए.
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6 माह की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है: कानूनी विशेषज्ञ
इस मामले में कानून के विशेषज्ञों का भी मानना है कि सरकार के मंत्री ही अगर अपने अधीन कार्यरत सीनियर आईएएस को लेकर फर्जी और अफवाह भरी गंभीर शिकायत आधिकारिक रूप से दुरुपयोग में लाना चिंताजनक मामला है. ऐसे में न केवल मंत्री को 6 महीने की सजा हो सकती है बल्कि कानूनी प्रक्रिया के तहत उन पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इस मामले में उत्तराखंड भारत काउंसिल के सदस्य एडवोकेट चंद्रशेखर तिवारी का मानना है कि अगर कोई भी व्यक्ति पुलिस को गुमराह कर झूठा शिकायत पत्र देकर इस तरह का घटना क्रम सामने आता है तो, उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत न सिर्फ मुकदमा दर्ज होता हैं, बल्कि आईपीसी की धारा 182 के तहत 6 माह की सजा के अलावा आर्थिक जुर्माना भी कोर्ट द्वारा लगाया जा सकता है. एडवोकेट चंद्रशेखर तिवारी का यह भी मानना है कि यह एक मंत्री और आईएएस अधिकारी के बीच तनातनी का मामला है, इसलिए इसमें कानून की धज्जियां उड़ना निश्चित है.
शिकायत पत्र पर दिए गए गंभीर बात की कोई वास्तविकता नहीं:पुलिस
वहीं, इस मामले में देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि जिस तरह रेखा आर्य ने विभागीय अधिकारी को लेकर गंभीर प्रार्थना पत्र दिया गया था, उसमें तत्काल एसपी हेड क्वार्टर द्वारा जांच पड़ताल की गई. शिकायत पत्र में जो गंभीर विषय का जिक्र किया गया था उसमें किसी भी तरह की वास्तविकता जांच में सामने नहीं आई है. बल्कि जो अधिकारी को लापता बताया गया था वह अपने आवास पर होम क्वारंटाइन हैं.
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बता दें जानकारी के मुताबिक, लापता अपर सचिव पिछले 2 दिनों से राजपुर रोड स्थित अपने टिहरी सरकारी आवास में एहतियातन होम क्वारंटाइन हैं. दरअसल, मंत्री रेखा आर्य द्वारा देहरादून पुलिस को लापता अधिकारी की शिकायत पत्र देने के बाद जब एसपी क्राइम लोकगीत द्वारा लापता अधिकारी को फोन किया गया तो उनका फोन स्विच ऑफ आ रहा था. ऐसे में तत्काल उनकी खोजबीन शुरू की गई. जिसमें पता चला कि वह राजपुर के टिहरी सरकारी आवास पर हैं.