देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी आवासों का लुत्फ उठाने में पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह ही भूतपूर्व और मौजूदा नौकरशाह भी पीछे नहीं हैं. प्रदेश के कई महकमों के बड़े अधिकारी धड़ल्ले से सरकारी आवासों का लुत्फ उठा रहे हैं.
यही नहीं सेवानिवृत्त और तबादले के बाद भी बड़ी संख्या में अधिकारी सरकारी आवासों पर कब्जा जमाकर बैठे हैं, जिस पर अब शासन ने कड़ा रुख अपनाया है. तय समय से ज्यादा वक्त तक सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे पूर्व और वर्तमान नौकरशाहों से अब बाजार दर से किराया वसूला जाएगा.
इस संबंध में राज्य संपत्ति महकमे ने 9 आईएएस अधिकारियों समेत करीब 50 अफसरों व रसूखदारों को नोटिस भेजा है. हालांकि पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों और अब नौकरशाहों से सरकारी आवास छुड़ाने में शासन के पसीने छूट गए हैं, क्योंकि राज्य संपत्ति विभाग की ओर से कई बार इन अधिकारियों को सरकारी आवास खाली करने के नोटिस भेजे गए, बावजूद अधिकारियों ने सरकारी आवास खाली नहीं किया है. जिसके चलते अब राज्य संपत्ति विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है.
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हालांकि सरकारी आवासों में मनमाने ढंग से रह रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों को हाईकोर्ट के आदेश के बाद आवास खाली करा लिए गए हैं, लेकिन हाईकोर्ट का बाजार दर से किराया देने का फरमान अभी भी मुश्किलें बढ़ाए हुए है.
हालांकि राज्य सरकार किराए से राहत देने को लेकर पहले ही अध्यादेश ला चुकी है, लेकिन अध्यादेश को फिर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई जारी है. ऐसे में अब सरकारी आवासों पर काबिज पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ ही नौकरशाहों समेत सभी पर शिकंजा कसा जा सकता है.