देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने शराब के ओवर रेटिंग के मामले में सख्ती बरतते हुए वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान आबकारी नीति में संशोधन किया. जिसके तहत ओवर रेटिंग पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. बावजूद इसके प्रदेश में लगातार ओवर रेटिंग के मामले सामने आते रहे हैं. आबकारी विभाग भी ओवर रेटिंग को रोकने के लिए समय-समय पर शराब की दुकानों पर छापेमारी भी करता है. जिसके तहत शराब दुकानदार का चालान काटा जाता है. ऐसे में ओवर रेटिंग के मामले में किस तरह की कार्रवाई का प्रावधान है. पिछले 4 सालों के दौरान ओवर रेटिंग के मामलों पर कितने दुकानों पर कार्रवाई हुई है. इस दौरान कितना राजस्व एकत्र किया गया है? जानिये इस खास रिपोर्ट में.
राज्य में वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 622 शराब की दुकानों का आवंटन किया गया. जिसमें से 597 शराब की दुकानें संचालित हो रही हैं. प्रदेश में 25 शराब की दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया. ऐसे में इन दुकानों के आवंटन के लिए हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में फैसला भी लिया गया था. जिसके तहत बची हुई 25 दुकानों के आवंटन के लिए अधिकार को 50 फीसदी कर दिया गया ताकि दुकानों को आवंटित किया जा सके.
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अब आते हैं ओवर रेटिंग के मामलों पर जो कि प्रदेश में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ओवर रेटिंग के मामले में हरिद्वार जिला अव्वल है. बीते चार सालों में सिर्फ हरिद्वार जिले से 158 ओवर रेटिंग का मामले सामने आये हैं.
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ओवर रेटिंग मामले में क्या है कार्रवाई का प्रावधान: राज्य में शराब की दुकानों से समय-समय पर ओवर रेटिंग के मामले सामने आते रहे हैं. जिसके चलते विदेशी शराब के ठेकों से ओवर रेटिंग मामले से संबंधित शिकायतों के लिए साल 2021-22 की आबकारी नीति में उल्लेख किया गया. इसमें ओवर रेटिंग करने पर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है. जिसके अनुसार, पहली बार ओवर रेटिंग करने पर ₹50 हजार, दूसरी बार ओवर रेटिंग करने पर ₹75, तीसरी बार ओवर रेटिंग करने पर एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. इसके साथ ही चौथी बार ओवर रेटिंग करने पर संबंधित दुकान का अनुज्ञापन निरस्त किए जाने और अनुज्ञापी को ब्लैक लिस्ट किये जाने का का प्रावधान है.
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चार सालों में जिलेवार ओवर रेटिंग पर कार्रवाई
- प्रदेश भर में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 879 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹2,97,34,110 का चालान काटा गया.
- हरिद्वार जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 158 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹54,41,550 का चालान काटा गया.
- चमोली जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 34 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹13,11,246 का चालान काटा गया.
- देहरादून जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 136 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹50,02,696 रुपये का चालान काटा गया.
- पौड़ी जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 108 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹43,52,777 का चालान काटा गया.
- उत्तरकाशी जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग के कुल 25 मामले सामने आये. जिसके तहत ₹3,77,530 का चालान काटा गया.
- रुद्रप्रयाग जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग के 53 मामले सामने आये. जिसके तहत ₹2,66,346 चालान काटा गया.
- टिहरी जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 35 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹14,29,932 का चालान काटा गया.
- ऊधमसिंह नगर जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 103 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹23,18,582 का चालान काटा गया.
- बागेश्वर जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 33 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹14,20,001 का चालान काटा गया.
- चंपावत जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग के कुल 28 मामले सामने आये. जिसके तहत ₹16,20,980 का चालान काटा गया.
- नैनीताल जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 71 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹35,94,336 का चालान काटा गया.
- अल्मोड़ा जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग के कुल 83 मामले सामने आये. जिसके तहत ₹16,18,224 का चालान काटा गया.
- पिथौरागढ़ जिले में साल 2017 से 2021 तक ओवर रेटिंग की कुल 12 शिकायतें मिलीं. जिसके तहत ₹9,79,910 का चालान काटा गया.
पिछले कुछ सालों में प्राप्त राजस्व
- वित्तीय वर्ष 2018-19 में ₹2,650 करोड़ राजस्व निर्धारित था. जिसके सापेक्ष ₹2,705.38 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में ₹3,047.50 करोड़ राजस्व निर्धारित था. जिसके सापेक्ष ₹2,729.15 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.
- वित्तीय वर्ष 2020-21 में ₹3,461.37 करोड़ राजस्व निर्धारित था. जिसके सापेक्ष ₹3,017.34 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.
ईटीवी भारत से बात करते हुए आबकारी मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि शराब की ओवर रेटिंग पर लगाम लगाए जाने को लेकर आबकारी नीति में प्रावधान किये गये हैं. जिसके तहत न सिर्फ भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है बल्कि आनुज्ञापन निरस्त करने का भी प्रावधान रखा गया है. जिसके बाद से ओवर रेटिंग पर मिलने वाली शिकायतों में काफी कमी देखी जा रही है.