देहरादून: भू-माफिया द्वारा बेशकीमती जमीनों को कब्जाने की घटनाओं से साफ हो गया है कि उत्तराखंड में भू-माफिया की इस कदर पैठ हो चुकी है कि वह किसी से डर नहीं रहे हैं. उत्तराखंड में सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का गोरखधंधा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश में भू-माफिया के फर्जीवाड़े का रोकने के लिए 2014 में उत्तराखंड सरकार ने भूमि विवादों के निपटारे के लिए SIT का गठन किया है, जो जमीनों से जुड़े मामलों का निस्तारण करता है.
गढ़वाल रेंज के आईजी अभिनव कुमार के मुताबिक, देहरादून में जमीन फर्जीवाड़ों के प्रमुख कारण डॉक्यूमेंट में गड़बड़ियां हैं. जिसके चलते भूमाफिया आपसी मिलीभगत से फर्जीवाड़ा करते हैं. ऐसे में हमारा प्रयास है कि राजस्व विभाग शिकायती प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को दुरूस्त रखें, ताकि SIT में आने वाले जमीनों से जुड़े मुद्दों का निपटारा किया जा सके और गोरखधंधे पर अंकुश लगाया जा सके.
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SIT को मिले शिकायतों के आंकड़े
देहरादून, हरिद्वार में सबसे अधिक मामले
हरिद्वार और देहरादून में लैंड फ्रॉड के मामले सबसे अधिक SIT के पास आ रहे हैं और एसआईटी अधिकतर मामलों का निस्तारण कर रही है. गढ़वाल रेंज में 30 जून 2020 तक 3 हजार 567 शिकायती पत्र मिल चुके हैं. इनमें से 535 मामलों में एसआईटी द्वारा सीधे तौर पर मुकदमा पंजीकृत किया गया है. इसके अलावा 1246 मामले कोर्ट में विचाराधीन है. इस दौरान 602 मामलों का दोनों पक्षों की आपसी सहमति के बाद निस्तारण किया गया है.
देहरादून के लोगों का मानना है कि भू माफिया पर यदि त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में काफी नुकसानदेय हो जाएगा. भूमाफिया के चंगुल में फंस चुके जसवीर सिंह का कहना है कि अधिकारियों और माफिया की मिलीभगत से जमीन पर अवैध कब्जे का खेल चल रहा है. सरकार को जनहित में ऐसे मामलों को रोकना बेहद आवश्यक है.