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उत्तराखंड में चौंका रहा जंगलों में अवैध निर्माण का खेल, अब तक ढहाए गए 230 धार्मिक स्थल

उत्तराखंड में सरकारी जमीनों पर अवैध धार्मिक स्थल निर्माणों पर कार्रवाई जारी है. अभी तक 230 धार्मिक स्थल हटाए जा चुके हैं, लेकिन इस कार्रवाई को लेकर सियासत भी की जा रही है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी सांप्रदायिक माहौल खराब करना चाहती है. बीजेपी कोर्ट का हवाला देकर कार्रवाई करने की बात कह रही है. उधर, संत समाज का भी पूरा समर्थन सरकार को मिल रहा है.

Illegal Religious Construction in Forest
उत्तराखंड में अवैध धार्मिक निर्माणों पर कार्रवाई
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Published : May 8, 2023, 6:18 PM IST

Updated : May 8, 2023, 6:56 PM IST

उत्तराखंड में अवैध निर्माण पर हो रही कार्रवाई पर सियासत.

देहरादून/हरिद्वारः उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध धार्मिक स्थलों को ढहाने का काम जारी है. कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क समेत विभिन्न सरकारी जमीनों पर बने अवैध धार्मिक निर्माणों को तत्काल प्रभाव से हटाया जा रहा है. चाहे अवैध मजार हो या अवैध हिंदू संरचनाएं, सभी पर कार्रवाई की जा रही है. हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड में अब तक प्रशासन ने 230 अवैध मजारों को हटाया है. जिसमें जांच में यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर मजारों में किसी तरह का कोई मानव अवशेष नहीं मिला है. जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी धार्मिक उद्देश्य से नहीं बल्कि कब्जे के लिहाज बनाये गये थे.

उत्तराखंड में अवैध धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद भी सामने आते रहे हैं. सोशल मीडिया पर लगातार इन्हें हटाने की आवाजें उठती आई हैं. सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद तेजी से अवैध निर्माणों को हटाया जा रहा है. उत्तराखंड में अभी तक प्रशासन करीब 230 अवैध मजारों को हटा चुका है, जो सरकारी और वन भूमि पर अवैध तरीके से बनाए गए थे. खासकर राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट नेशनल पार्क में बने अवैध धार्मिक स्थलों से जुड़े मामले में काफी तूल पकड़ा था. ऐसे में रिजर्व फॉरेस्ट से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई को प्रमुखता से अंजाम दिया गया.

कालसी वन प्रभाग की बात करें तो अभी तक 5 अवैध मजार हटाई गई हैं तो वहीं हरिद्वार फॉरेस्ट रेंज में भी 5 अवैध मजारों को ढहाया गया है. रुद्रप्रयाग में भी केदारनाथ मार्ग पर इसी तरह के अवैध निर्माण को गिराया गया. रामनगर में फॉरेस्ट डिवीजन के अंदर आने वाली चार मजारें हटाई गई. जबकि, कॉर्बेट नेशनल पार्क के अन्य इलाकों में भी मजार हटाने का काम चल रहा है. देहरादून के विकासनगर में भी 11 अवैध मजारों को हटाया गया है. हरिद्वार शहर की बात करें तो चार अलग-अलग अवैध मजारों को हटाया गया है.
ये भी पढ़ेंः ऐसे बदली उत्तराखंड की डेमोग्राफी, पलायन के लिए बदनाम पहाड़ों में जाकर बस रहे मुस्लिम

क्या कहते हैं अधिकारीः उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी आईएफएस पराग मधुकर की मानें तो जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिले, वैसे ही वन विभाग ने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने का काम शुरू कर दिया था. अभी तक जांच में यह बात सामने आई है कि कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में ऐसी कई मजारें बनी हुई थी, जिन्हें हटाने पर किसी भी तरह के मानव अवशेष नहीं मिले. इसके साथ ही अब तक 40 हेक्टेयर भूमि को भी अतिक्रमण मुक्त किया गया है, जो लंबे समय से अतिक्रमणकारियों के कब्जे में थी. यह अभियान न केवल वन प्रशासन जंगलों में चला रहा है बल्कि, विभिन्न जिलों में भी जिलाधिकारियों के नेतृत्व में अभियान चल रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस क्षेत्र में मानवीय दखल पूरी तरह से प्रतिबंधित है, उस क्षेत्र में अभी भी सैकड़ों इस तरह के धार्मिक स्थल बने हुए हैं. सरकार ने सभी ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची मंगवाई थी. जिसके बाद इस कार्रवाई को और तेजी से चलाया गया. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज, झिरना, कालागढ़, बिजरानी, सर्पदुली, सोन नदी जैसे क्षेत्र में अभी भी मजार के नाम पर ईंट रखी हुई हैं, जिन्हें जल्द हटाया जाएगा.

वहीं, रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि इस साल अप्रैल या मई महीने तक वन विभाग पूरी तरह से अपनी जमीन पर से कब्जे हटा ले. इसके साथ ही सीएम धामी ने इशारों इशारों में अवैध निर्माण करने वालों को भी चेतावनी देते हुए कहा था कि किसी भी तरह के धर्म के नाम पर मजारों का निर्माण या अन्य इस तरह के अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. जो लोग अभी भी इस तरह के कृत्य कर रहे हैं या ऐसी जगह पर बैठे हुए हैं, वो तत्काल अपना सामान वहां से हटा लें. नहीं तो प्रशासन अपनी तरह से हटाने और अवैध निर्माणों को तोड़ने का काम करेगा.

कार्रवाई को लेकर कांग्रेस हमलावरः सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करवाया जा रहा है, ऐसा सरकार और सरकार के अधिकारी कहते हैं, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कहते हैं कि यह कुछ नहीं, केवल तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है. साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकता रहे, इसके लिए धामी सरकार इस तरह के बयान दे रही है. राज्य हो या देश के क्या हालात हैं? ये सभी जानते हैं. ऐसे में बेवजह के मुद्दों को तूल लेकर सिर्फ अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है. इससे जनता का कोई भला नहीं होगा.
ये भी पढ़ेंः सतपुली में हिंदू परिवार कर रहा था मजार का संचालन! प्रशासन ने किया ध्वस्त

अखाड़े कर रहे सीएम धामी का धन्यवादः वहीं, संत समाज सीएम धामी के सपोर्ट में खड़ा नजर आ रहा है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी कहते हैं कि जंगलों में भला ये अवैध निर्माण क्यों? सड़क किनारे इस तरह की सभी तरह की गतिविधि बंद होनी चाहिए. इस तरह के किसी का भी निर्माण क्यों न हो, सरकार जो भी कार्य कर रही है वो वैध है और मानकों के अनुसार हो रहा है. ऐसे में अखाड़ा परिषद इसका खुलकर स्वागत करता है.

हरिद्वार में जुटेंगे कांग्रेसीः कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी का कहना है कि आज जिस तरह से पांचों विधायकों के साथ जिलाधिकारी ने वार्तालाप की है. उसे लेकर सभी ने ये फैसला लिया है कि कल इकबालपुर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और हरीश रावत मौजूद रहेंगे. जहां तय किया जाएगा कि आगे इस लड़ाई को किस तरह का रूप देना है, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस अब शांत बैठने वाली नहीं है. बीजेपी गुंडागर्दी और सांप्रदायिक माहौल खराब करने का प्रयास कर रही है. जिसके खिलाफ कांग्रेस अब आर पार की लड़ाई लड़ेगी.

वहीं, लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता का कहना है कि कोर्ट के आदेशानुसार सरकार यह कार्य कर रही है. पूरे प्रदेश में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा है और कांग्रेस हरिद्वार में उसका विरोध कर रही है. जो कि निंदनीय है. उनका कहना है कि कांग्रेस शुरू से ही तुष्टीकरण की नीति अपनाती आई है. अगर यह पांचों विधायक नहीं मानते हैं तो उन्हें चाहे भूख हड़ताल पर बैठना पड़े या फिर आत्मदाह करना पड़े, इस कार्रवाई को इन कांग्रेस विधायकों की ओर से रोकने नहीं दिया जाएगा.

ज्वालापुर के पूर्व विधायक रहे सुरेश राठौर का कहना है कि कांग्रेसी तुष्टिकरण की राजनीति करते है. किसी भी कीमत पर उत्तराखंड में तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होने दी जाएगी. हम सर्व धर्म सर्व समाज की बात करते हैं और राष्ट्रवाद की बात करते हैं. ऐसे में अवैध निर्माण चाहे मंदिर हो या मजार, वो राज्य से हटनी ही चाहिए. वहीं, कांग्रेस को चेतावनी देते हुए सुरेश राठौर ने कहा कि वो जनता के बीच जाकर कांग्रेस के इन पांचों विधायकों को बेनकाब करने का काम करेंगे.
ये भी पढ़ेंः तीखी नोकझोंक के बीच हरिद्वार में अवैध धार्मिक स्थलों पर गरजा बुलडोजर, सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारी

हिंदू धार्मिक संरचनाएं भी हटाई गई: वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कांग्रेसी विधायकों को इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर धार्मिक और व्यावसायिक संरचनाओं हटवाया जा रहा है. इससे पहले हिंदू धार्मिक संरचनाएं को भी हटाया गया. जिसमें सप्तऋषि रोड में भारत माता मंदिर, परमार्थ आश्रम व दुधाधारी आश्रम के अतिक्रमण, सिंह द्वार का हनुमान मंदिर और अतिक्रमण की जद में आए अन्य मंदिर भी हटाए गए, जो रास्ते में निर्मित थे. आर्य नगर में बनी मजार जो रास्ते में बनी थी, वो आम पब्लिक के हित और नियमानुसार हटाई गई. मजार के नाम पर प्रशासन पर दबाव बनाना उचित नहीं है.

प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कड़े शब्दों में कांग्रेस की निंदा की है. उनका कहना है कि हरिद्वार का जिला प्रशासन बधाई का पात्र है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं की ओर से विरोध दर्शाता है कि तुष्टिकरण की होड़ में लगी है. संत समाज इस पहल के साथ खड़े हैं. आवश्यकता है कांग्रेसी अपनी मानसिकता सुधारें. वोटबैंक के लालच में सही गलत का अंतर भी भूल गए.

उत्तराखंड में अवैध निर्माण पर हो रही कार्रवाई पर सियासत.

देहरादून/हरिद्वारः उत्तराखंड में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अवैध धार्मिक स्थलों को ढहाने का काम जारी है. कॉर्बेट नेशनल पार्क और राजाजी नेशनल पार्क समेत विभिन्न सरकारी जमीनों पर बने अवैध धार्मिक निर्माणों को तत्काल प्रभाव से हटाया जा रहा है. चाहे अवैध मजार हो या अवैध हिंदू संरचनाएं, सभी पर कार्रवाई की जा रही है. हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड में अब तक प्रशासन ने 230 अवैध मजारों को हटाया है. जिसमें जांच में यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर मजारों में किसी तरह का कोई मानव अवशेष नहीं मिला है. जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी धार्मिक उद्देश्य से नहीं बल्कि कब्जे के लिहाज बनाये गये थे.

उत्तराखंड में अवैध धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद भी सामने आते रहे हैं. सोशल मीडिया पर लगातार इन्हें हटाने की आवाजें उठती आई हैं. सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद तेजी से अवैध निर्माणों को हटाया जा रहा है. उत्तराखंड में अभी तक प्रशासन करीब 230 अवैध मजारों को हटा चुका है, जो सरकारी और वन भूमि पर अवैध तरीके से बनाए गए थे. खासकर राजाजी नेशनल पार्क और कॉर्बेट नेशनल पार्क में बने अवैध धार्मिक स्थलों से जुड़े मामले में काफी तूल पकड़ा था. ऐसे में रिजर्व फॉरेस्ट से अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई को प्रमुखता से अंजाम दिया गया.

कालसी वन प्रभाग की बात करें तो अभी तक 5 अवैध मजार हटाई गई हैं तो वहीं हरिद्वार फॉरेस्ट रेंज में भी 5 अवैध मजारों को ढहाया गया है. रुद्रप्रयाग में भी केदारनाथ मार्ग पर इसी तरह के अवैध निर्माण को गिराया गया. रामनगर में फॉरेस्ट डिवीजन के अंदर आने वाली चार मजारें हटाई गई. जबकि, कॉर्बेट नेशनल पार्क के अन्य इलाकों में भी मजार हटाने का काम चल रहा है. देहरादून के विकासनगर में भी 11 अवैध मजारों को हटाया गया है. हरिद्वार शहर की बात करें तो चार अलग-अलग अवैध मजारों को हटाया गया है.
ये भी पढ़ेंः ऐसे बदली उत्तराखंड की डेमोग्राफी, पलायन के लिए बदनाम पहाड़ों में जाकर बस रहे मुस्लिम

क्या कहते हैं अधिकारीः उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारी आईएफएस पराग मधुकर की मानें तो जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिले, वैसे ही वन विभाग ने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने का काम शुरू कर दिया था. अभी तक जांच में यह बात सामने आई है कि कार्बेट और राजाजी नेशनल पार्क में ऐसी कई मजारें बनी हुई थी, जिन्हें हटाने पर किसी भी तरह के मानव अवशेष नहीं मिले. इसके साथ ही अब तक 40 हेक्टेयर भूमि को भी अतिक्रमण मुक्त किया गया है, जो लंबे समय से अतिक्रमणकारियों के कब्जे में थी. यह अभियान न केवल वन प्रशासन जंगलों में चला रहा है बल्कि, विभिन्न जिलों में भी जिलाधिकारियों के नेतृत्व में अभियान चल रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस क्षेत्र में मानवीय दखल पूरी तरह से प्रतिबंधित है, उस क्षेत्र में अभी भी सैकड़ों इस तरह के धार्मिक स्थल बने हुए हैं. सरकार ने सभी ऐसे धार्मिक स्थलों की सूची मंगवाई थी. जिसके बाद इस कार्रवाई को और तेजी से चलाया गया. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के ढेला रेंज, झिरना, कालागढ़, बिजरानी, सर्पदुली, सोन नदी जैसे क्षेत्र में अभी भी मजार के नाम पर ईंट रखी हुई हैं, जिन्हें जल्द हटाया जाएगा.

वहीं, रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चेतावनी देते हुए कहा था कि इस साल अप्रैल या मई महीने तक वन विभाग पूरी तरह से अपनी जमीन पर से कब्जे हटा ले. इसके साथ ही सीएम धामी ने इशारों इशारों में अवैध निर्माण करने वालों को भी चेतावनी देते हुए कहा था कि किसी भी तरह के धर्म के नाम पर मजारों का निर्माण या अन्य इस तरह के अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे. जो लोग अभी भी इस तरह के कृत्य कर रहे हैं या ऐसी जगह पर बैठे हुए हैं, वो तत्काल अपना सामान वहां से हटा लें. नहीं तो प्रशासन अपनी तरह से हटाने और अवैध निर्माणों को तोड़ने का काम करेगा.

कार्रवाई को लेकर कांग्रेस हमलावरः सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करवाया जा रहा है, ऐसा सरकार और सरकार के अधिकारी कहते हैं, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कहते हैं कि यह कुछ नहीं, केवल तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है. साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकता रहे, इसके लिए धामी सरकार इस तरह के बयान दे रही है. राज्य हो या देश के क्या हालात हैं? ये सभी जानते हैं. ऐसे में बेवजह के मुद्दों को तूल लेकर सिर्फ अपना उल्लू सीधा किया जा रहा है. इससे जनता का कोई भला नहीं होगा.
ये भी पढ़ेंः सतपुली में हिंदू परिवार कर रहा था मजार का संचालन! प्रशासन ने किया ध्वस्त

अखाड़े कर रहे सीएम धामी का धन्यवादः वहीं, संत समाज सीएम धामी के सपोर्ट में खड़ा नजर आ रहा है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी कहते हैं कि जंगलों में भला ये अवैध निर्माण क्यों? सड़क किनारे इस तरह की सभी तरह की गतिविधि बंद होनी चाहिए. इस तरह के किसी का भी निर्माण क्यों न हो, सरकार जो भी कार्य कर रही है वो वैध है और मानकों के अनुसार हो रहा है. ऐसे में अखाड़ा परिषद इसका खुलकर स्वागत करता है.

हरिद्वार में जुटेंगे कांग्रेसीः कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी का कहना है कि आज जिस तरह से पांचों विधायकों के साथ जिलाधिकारी ने वार्तालाप की है. उसे लेकर सभी ने ये फैसला लिया है कि कल इकबालपुर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और हरीश रावत मौजूद रहेंगे. जहां तय किया जाएगा कि आगे इस लड़ाई को किस तरह का रूप देना है, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस अब शांत बैठने वाली नहीं है. बीजेपी गुंडागर्दी और सांप्रदायिक माहौल खराब करने का प्रयास कर रही है. जिसके खिलाफ कांग्रेस अब आर पार की लड़ाई लड़ेगी.

वहीं, लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता का कहना है कि कोर्ट के आदेशानुसार सरकार यह कार्य कर रही है. पूरे प्रदेश में सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा है और कांग्रेस हरिद्वार में उसका विरोध कर रही है. जो कि निंदनीय है. उनका कहना है कि कांग्रेस शुरू से ही तुष्टीकरण की नीति अपनाती आई है. अगर यह पांचों विधायक नहीं मानते हैं तो उन्हें चाहे भूख हड़ताल पर बैठना पड़े या फिर आत्मदाह करना पड़े, इस कार्रवाई को इन कांग्रेस विधायकों की ओर से रोकने नहीं दिया जाएगा.

ज्वालापुर के पूर्व विधायक रहे सुरेश राठौर का कहना है कि कांग्रेसी तुष्टिकरण की राजनीति करते है. किसी भी कीमत पर उत्तराखंड में तुष्टिकरण की राजनीति नहीं होने दी जाएगी. हम सर्व धर्म सर्व समाज की बात करते हैं और राष्ट्रवाद की बात करते हैं. ऐसे में अवैध निर्माण चाहे मंदिर हो या मजार, वो राज्य से हटनी ही चाहिए. वहीं, कांग्रेस को चेतावनी देते हुए सुरेश राठौर ने कहा कि वो जनता के बीच जाकर कांग्रेस के इन पांचों विधायकों को बेनकाब करने का काम करेंगे.
ये भी पढ़ेंः तीखी नोकझोंक के बीच हरिद्वार में अवैध धार्मिक स्थलों पर गरजा बुलडोजर, सड़क पर बैठे प्रदर्शनकारी

हिंदू धार्मिक संरचनाएं भी हटाई गई: वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कांग्रेसी विधायकों को इस मुद्दे पर राजनीति न करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर धार्मिक और व्यावसायिक संरचनाओं हटवाया जा रहा है. इससे पहले हिंदू धार्मिक संरचनाएं को भी हटाया गया. जिसमें सप्तऋषि रोड में भारत माता मंदिर, परमार्थ आश्रम व दुधाधारी आश्रम के अतिक्रमण, सिंह द्वार का हनुमान मंदिर और अतिक्रमण की जद में आए अन्य मंदिर भी हटाए गए, जो रास्ते में निर्मित थे. आर्य नगर में बनी मजार जो रास्ते में बनी थी, वो आम पब्लिक के हित और नियमानुसार हटाई गई. मजार के नाम पर प्रशासन पर दबाव बनाना उचित नहीं है.

प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कड़े शब्दों में कांग्रेस की निंदा की है. उनका कहना है कि हरिद्वार का जिला प्रशासन बधाई का पात्र है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं की ओर से विरोध दर्शाता है कि तुष्टिकरण की होड़ में लगी है. संत समाज इस पहल के साथ खड़े हैं. आवश्यकता है कांग्रेसी अपनी मानसिकता सुधारें. वोटबैंक के लालच में सही गलत का अंतर भी भूल गए.

Last Updated : May 8, 2023, 6:56 PM IST
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