देहरादूनः उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर शैलजा भट्ट (Uttarakhand DG Health Shailja Bhatt) को बीती शुक्रवार सुबह एक अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी. टक्कर की वजह से उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया. जिसके बाद वे मसूरी रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं. जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुटी है. वहीं, निजी अस्पताल में स्वास्थ्य महानिदेशिका के इलाज कराए जाने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर निशाना साधा है.
आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party Uttarakhand) का कहना है कि उत्तराखंड के स्वास्थ्य महानिदेशक को सरकारी अस्पतालों में भरोसा नहीं रह गया है. आप संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से बदहाल है. क्योंकि, पर्वतीय क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल रेफर सेंटर बन गए हैं.
उन्होंने कहा कि एक सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद जिस तरह से स्वास्थ्य महानिदेशक डॉक्टर शैलजा भट्ट अपना इलाज सरकारी अस्पताल में कराने की बजाय निजी अस्पताल में करवा रही हैं, यह सरकारी अस्पतालों की पोल (Uttarakhand bad health system) खोलने के लिए काफी है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है और किस तरह का इलाज वहां होता है?
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वहीं. कांग्रेस ने भी इस मसले पर सरकार को आड़े हाथों लिया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल का कहना है कि उनकी पार्टी शुरू से ही कहती आई है कि उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हो रखे हैं. क्योंकि, जिस स्तर के स्वास्थ्य सुविधाएं होनी चाहिए. उसे स्तर की व्यवस्थाएं आम जनमानस को नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि खुद स्वास्थ्य महानिदेशिका को अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में कराने के बजाय निजी अस्पतालों (Shailja Bhatt Treatment in Max Hospital) में करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
उन्होंने कहा कि इससे पहले परिवहन मंत्री चंदन राम दास भी अपना इलाज कराने दिल्ली गए थे. उसी प्रकार मंत्री रेखा आर्य ने भी अपना रसौली का ऑपेरशन दिल्ली के निजी अस्पताल में कराया था. इससे समझा जा सकता है कि सरकार सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास नहीं रहा है. जब अधिकारी और मंत्री निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने को लेकर प्राथमिकता देते हैं तो आम लोगों की सरकारी अस्पतालों में क्या हालत होती होगी?
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