देहरादून: पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने और उत्तराखंड के लोगों से वापस अपने गांव की ओर लौटने की अपील को साथ ईटीवी भारत ने 'आ अब लौटें' मुहिम की शुरुआत की थी. इस मुहिम को बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल का भी साथ मिला था. इस मुहिम के जरिए पहाड़ का दर्द और यहां की असुविधाओं से सरकार को रूबरू कराया था. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र डोईवाला के गांवों की समस्याओं को भी उठाया गया था. अब मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए सड़क को बनाया जा रहा है.
करीब एक साल पहले ईटीवी भारत ने डोईवाला क्षेत्र की मुख्य समस्याओं से राज्य सरकार को रूबरू कराया था, जिसमें धारकोट से अपर तलाई गांव में संपर्क मार्ग नहीं होने की समस्या को भी मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया था.
ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट का मुख्यमंत्री कार्यालय ने संज्ञान लिया और इन सभी गांव को संपर्क मार्गों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत स्वीकृत की गई और गांव में सड़क बनाने के लिए सरकार ने 2 करोड़ 25 लाख की स्वीकृति भी दी थी.
खबर के असर का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम एक बार फिर अपर तलाई गांव पहुंची और स्थानीय लोगों से बातचीत की. गांव में संपर्क मार्ग बनने से स्थानीय लोग काफी खुश नजर आए. ग्रामीणों ने बताया कि गांव को सड़क से जोड़ने का काम तो किया जा रहा है लेकिन बरसात के चलते जो सड़क काटी गई है, वहां पर हालात बुरे हैं.
हालांकि, स्थानीय लोगों ने सड़क बनाने के लिए सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. इसके साथ ही क्षेत्र की अन्य समस्याएं भी सामने रखी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ईटीवी भारत पर खबर दिखाए जाने के बाद प्रशासन थोड़ा हरकत में आया.
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स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से गुहार लगाई है कि जो सड़कें स्वीकृत की गई हैं, उन्हें आगे अन्य मार्गों तक भी जोड़ने का काम करें, जिससे लोगों की शहर से दूरी कम हो सके.
मुख्यमंत्री के ओएसडी धीरेंद्र पंवार का कहना है कि अपर तलाई के लोग देश की आजादी के पहले से सड़क की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने इसकी सुध नहीं ली. प्रदेश की मौजूदा सरकार ने इन लोगों की सुध लेते हुए तत्काल प्रभाव से अपर तलाई गांव के लिए पीएमजीएसवाई से सड़क स्वीकृत की और अब उस पर काम चल रहा है.
'आ अब लौटें' मुहिम के जरिये ईटीवी भारत की ये कोशिश है कि उत्तराखंड के गांवों तक हर सुविधा पहुंचे, जिसके बाद वहां से पलायन न हो और पहाड़ों पर फिर से वही रौनक लौट सके.