देहरादूनः सूबे के कृषि मंत्री गणेश जोशी आगामी 25 जुलाई को यूरोपीय देशों के दौरे पर जाएंगे. इस दौरान उनके साथ 6 विधायक और अधिकारियों का दल भी जाएगा. खास बात ये है कि इन विधायकों में कांग्रेस के दो विधायक भी शामिल हैं, जो यूरोपीय देशों में जैविक खेती के गुर सीखेंगे.
दरअसल, कृषि मंत्री गणेश जोशी के साथ सत्ता और विपक्ष के 6 विधायकों और अधिकारियों का दल आगामी 25 जुलाई से रोम, फ्रांस, इटली, स्विट्जरलैंड समेत अन्य देशों के दौरे पर जा रहा है. इस दल में कृषि मंत्री गणेश जोशी के साथ सत्ताधारी दल के चार विधायक राम सिंह कैड़ा, सुरेश गड़िया, प्रदीप बत्रा और रेनू बिष्ट शामिल हैं. इसके अलावा दो विधायक कांग्रेस के भी हैं, जिनमें मनोज तिवारी व हरीश धामी शामिल हैं, जो उनके साथ विदेश दौरे पर जाएंगे. साथ में उनके साथ अधिकारियों का दल भी होगा.
कृषि मंत्री गणेश जोशी (Agriculture minister Ganesh Joshi) ने बताया कि जर्मनी में हर साल पूरे विश्व के कृषि मंत्रियों का सम्मेलन होता है. जिसमें इस बार उत्तराखंड से उनकी अध्यक्षता में एक डेलिगेशन इस सम्मेलन में शामिल होने जा रहा है. जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों के विधायकों के अलावा अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि से संबंधित एक बेहद महत्वपूर्ण एमओयू यानी समझौता ज्ञापन (MoU) पर जर्मनी के साथ उत्तराखंड कृषि विभाग साइन करने जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः पलायन आयोग का नया नाम होगा 'पलायन निवारण आयोग', CM धामी ने दिए कमेटी बनाने के निर्देश
केवल जर्मनी ही नहीं, उत्तराखंड के कृषि मंत्री की अध्यक्षता में जा रहा है यह डेलिगेशन रोम, स्विटजरलैंड और फ्रांस देश भी जा रहा है. गणेश जोशी ने कहा कि यह वो देश हैं, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में बेहद प्रगति की है. इस दौरे के दौरान कृषि के तमाम विषयों पर चर्चा होगी. इन देशों में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी पर गहन शोध करने के बाद इन्हें किस तरह से उत्तराखंड के हित में इस्तेमाल किया जाना है, इसकी दिशा में काम किया जाएगा.
उत्तराखंड की इकोनॉमी को मजबूत करने में मिलेगी मददः इस दौरे से क्या कुछ आउटपुट सामने आएगा, वो भी वापस आने के बाद कृषि मंत्री साझा करेंगे. कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि उत्तराखंड में एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर को लेकर अपार संभावनाएं हैं. इससे जहां एक तरफ प्रदेश की इकोनॉमी को मजबूत करने में मदद मिलेगी तो वहीं दूसरी तरफ पलायन को रोकने और उत्तराखंड में रोजगार के नए दरवाजे खोलने में कारगर साबित होगा.