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कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जांबाजों ने दी थी शहादत - 75 soldiers from uttarakhand martryed in kargil war

शहादत हर किसी को नसीब नहीं होती और यही वजह है कि शहीद अमर हो जाते हैं. 26 जुलाई 1999 में हुए कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क की सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की. अति दुर्गम घाटियों व पहाड़ियों में देश की आन-बान और शान के लिए भारतीय सेना के 526 जवान शहीद हुए थे, इनमें 75 जांबाज अकेले उत्तराखंड से थे. ईटीवी भारत के साथ जानिए इन वीर शहीदों की कहानी...

kargil vijay diwas
कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.
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Published : Jul 25, 2020, 5:11 PM IST

Updated : Jul 25, 2020, 7:40 PM IST

देहरादून: 26 जुलाई 1999 में हुए कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क की सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की. अति दुर्गम घाटियों व पहाड़ियों में देश की आन-बान और शान के लिए भारतीय सेना के 526 जवान शहीद हुए थे. देवभूमि उत्तराखंड के 75 जांबाजों ने देश की रक्षा करते हुए बलिदान दिया था. इनमें से 37 जांबाजों के परिजनों को बहादुरी का पुरस्कार मिला था.

उत्तराखंड के 75 जांबाजों ने दी थी शहादत.

पढ़ें- कारगिल : 31 वर्ष के प्रभुराम चोटिया ने दिया सर्वोच्च बलिदान, बेटे का ख्वाब- आईएएस

उत्तराखंड के लिए यह कारगिल विजय दिवस मायने रखता है. राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं है जिसने अपने वीर सपूतों को इस युद्ध में न खोया हो.

dehradun
कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

चलिए हम भी उन वीर सपूतों के बारे में जान लेते हैं... जिन्हे उनकी जांबाजी के लीए सम्मान से नवाजा गया....

एक छोटे राज्य के जांबाजों का ये जज्बा आज भी पहाड़ भुला नहीं पाया है. जब गढ़वाल रेजीमेंटल सेंटर के परेड ग्राउंड पर हेलीकॉप्टर से शहीदों के 9 शव एक साथ उतारे गए तो मानो पूरा पहाड़ अपने लाडलों की शहादत पर रो पड़ा था.

dehradun
कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

पढ़ें- कारगिल के सबसे युवा शहीद हैं हरियाणा के सिपाही मंजीत सिंह, जानें शौर्यगाथा

साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 सैनिकों को खो दिया था, 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के लगभग चार हजार जवान मारे गए थे.

dehradun
कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

कारगिल ऑपरेशन में गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान शहीद हुए थे, जिनमें 41 जांबाज उत्तराखंड मूल के ही थे. वहीं, कुमाऊं रेजीमेंट के भी 16 जांबाज शहीद हुए थे. जवानों ने कारगिल, द्रास, मशकोह, बटालिक जैसी दुर्गम घाटी में दुश्मन से जमकर लोहा लिया. युद्ध में वीरता प्रदर्शित करने पर मिलने वाले वीरता पदक इसी की बानगी है.

देहरादून: 26 जुलाई 1999 में हुए कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क की सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की. अति दुर्गम घाटियों व पहाड़ियों में देश की आन-बान और शान के लिए भारतीय सेना के 526 जवान शहीद हुए थे. देवभूमि उत्तराखंड के 75 जांबाजों ने देश की रक्षा करते हुए बलिदान दिया था. इनमें से 37 जांबाजों के परिजनों को बहादुरी का पुरस्कार मिला था.

उत्तराखंड के 75 जांबाजों ने दी थी शहादत.

पढ़ें- कारगिल : 31 वर्ष के प्रभुराम चोटिया ने दिया सर्वोच्च बलिदान, बेटे का ख्वाब- आईएएस

उत्तराखंड के लिए यह कारगिल विजय दिवस मायने रखता है. राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं है जिसने अपने वीर सपूतों को इस युद्ध में न खोया हो.

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कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

चलिए हम भी उन वीर सपूतों के बारे में जान लेते हैं... जिन्हे उनकी जांबाजी के लीए सम्मान से नवाजा गया....

एक छोटे राज्य के जांबाजों का ये जज्बा आज भी पहाड़ भुला नहीं पाया है. जब गढ़वाल रेजीमेंटल सेंटर के परेड ग्राउंड पर हेलीकॉप्टर से शहीदों के 9 शव एक साथ उतारे गए तो मानो पूरा पहाड़ अपने लाडलों की शहादत पर रो पड़ा था.

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कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

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साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 सैनिकों को खो दिया था, 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे. इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के लगभग चार हजार जवान मारे गए थे.

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कारगिल में उत्तराखंड के वीरों की शहादत.

कारगिल ऑपरेशन में गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान शहीद हुए थे, जिनमें 41 जांबाज उत्तराखंड मूल के ही थे. वहीं, कुमाऊं रेजीमेंट के भी 16 जांबाज शहीद हुए थे. जवानों ने कारगिल, द्रास, मशकोह, बटालिक जैसी दुर्गम घाटी में दुश्मन से जमकर लोहा लिया. युद्ध में वीरता प्रदर्शित करने पर मिलने वाले वीरता पदक इसी की बानगी है.

Last Updated : Jul 25, 2020, 7:40 PM IST
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