देहरादून: भारत सरकार के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र ने 5 मार्च 2021 को साल 2023 को 'इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट' घोषित किया गया. जिसके तहत भारत सरकार इस साल देश भर में मिलेट्स मिशन के रूप में संचालित कर रही है. मिलेट्स मिशन के तहत देश के मोटे अनाजों की खेती और खपत को प्रोत्साहित किया जा रहा है. मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के भी तमाम अनाज ऐसे हैं जिसे उत्तराखंड सरकार मिलेट्स मिशन के तहत प्रोत्साहित किया है. जिसमे मंडुआ, झिंगोरा, चौलाई और सोयाबीन शामिल है.मिलेट्स मिशन के चलते प्रदेश के करीब 6500 पर्वतीय किसानों को सीधा फायदा पहुंचा है.
मिलेट्स मिशन के चलते मोटे अनाजों की मांग बढ़ने लगी है. जिसके चलते उत्तराखंड में सहकारिता विभाग मंडुवा, झंगोरा, चोलाई और सोयाबीन के उत्पादन पर जोर दे रही है. साथ ही प्रदेश भर में राज्य सहकारी संघ इन मोटे अनाजों की खरीद किसानों से कर रही है. जिससे किसानों को सीधा फायदा पहुंच रहा है. साथ ही समितियों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की अतिरिक्त इनकम भी हो रही है.
किसानों को इस वजह से भी सीधा और फसल का ज्यादा मुनाफा मिल रहा है. समितियां तय एमएसपी पर किसानों से अनाजों को खरीद रही हैं. राज्य सरकार मंडुवा और झंगोरा समेत अन्य पौष्टिक अनाजों की बढ़ती मांग को लेकर इन फसलों की खेती को और अधिक प्रोत्साहित करने की योजना भी तैयार कर रही है. जिसके तहत भारतीय कृषि विपणन, प्रसंस्करण सहकारी संघ और उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ के बीच एमओयू साइन किए गए हैं. जिससे राज्य और देश के कृषि और बागवानी उत्पादों के साथ-साथ पहाड़ी जैविक उत्पादों की मार्केटिंग और प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जा सके. मौजूदा समय में मंडुवा 3846 रुपए प्रति क्विंटल, झंगोरा 5000 रुपए प्रति क्विंटल और सोयाबीन 4000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से खरीदा जा रहा है.
उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ की ओर से 268 केंद्र बनाए गये हैं. जिसके जरिए मोटे अनाजों को खरीदा जा रहा है. जिसके तहत, 6208 किसानों से कुल 14,570.37 क्विंटल मंडुवा, 126 किसानों से 75.30 क्विंटल झंगोरा, 65 किसानों से 18.09 क्विंटल चौलाई और 112 किसानों से 67 क्विंटल सोयाबीन खरीदा गया है. जिसके तहत इन सभी किसानों को 55,841,145.90 रुपये का भुगतान किया गया है. बता दें प्रदेश के 10 पर्वतीय जिलों में मोटे अनाजों का उत्पादन किया जाता है.