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कोरोनाकाल में पुरोहिताई लॉक, सीएम को पत्र लिखकर मदद की लगाई गुहार

25 मार्च से देश में लॉकडाउन किया गया था और लोगों से सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) का पालन करने के साथ घरों में रहने के लिए कहा गया है. जिसके कारण लोग किसी तरह से सामाजिक और धार्मिक आयोजन नहीं कर रहे हैं. उसका असर पंडितों को रोजगार पर पड़ रहा है.

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Published : Apr 30, 2020, 4:49 PM IST

Updated : May 25, 2020, 3:16 PM IST

देहरादून: कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण सभी समाजिक और धार्मिक कार्य स्थगित हैं. ऐसे में प्रदेश के करीब छह लाख पुजारी (पंडित) को सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. धार्मिक कार्य स्थगित होने से पंडित बेरोजगार हो गए हैं. क्योंकि उनकी आमदनी का मुख्य स्त्रोत पंडिताई ही थी.

अपनी इन समस्याओं को लेकर कामगार समिति के संयोजक राजेश्वर पैन्यूली ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पंडित समाज के लिए मदद का आग्रह किया है.

पढ़ें-लक्सर में 'कोरोना वॉरियर्स' पर ग्रामीणों ने बरसाए फूल

पैन्यूली का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश के अधिकतर ब्राह्मण (पंडिताई समाज) का व्यवसाय चौपट हो गया है. प्रदेश में लगभग छह लाख पंडितों की आमदनी का मुख्य स्रोत पंडिताई ही है, जो लॉकडाउन में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. ऐसे में सरकार को उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए.

पैन्यूली ने बताया कि अधिकतर पंडितों की मुख्य रोजी-रोटी उत्तराखंड के मंदिरों और धार्मिक यात्राओं पर निर्भर करती है. ऐसे में कोरोना महामारी की वजह से उनका रोजगार ठप पड़ गया है. अप्रैल-मई के महीनों में विवाह, त्योहार और धार्मिक पूजा इत्यादि होते हैं. वहीं मंदिरों में श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में पंडितों पर दोहरी मार पड़ रही है. अधिकतर परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

देहरादून: कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण सभी समाजिक और धार्मिक कार्य स्थगित हैं. ऐसे में प्रदेश के करीब छह लाख पुजारी (पंडित) को सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. धार्मिक कार्य स्थगित होने से पंडित बेरोजगार हो गए हैं. क्योंकि उनकी आमदनी का मुख्य स्त्रोत पंडिताई ही थी.

अपनी इन समस्याओं को लेकर कामगार समिति के संयोजक राजेश्वर पैन्यूली ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने पंडित समाज के लिए मदद का आग्रह किया है.

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पैन्यूली का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश के अधिकतर ब्राह्मण (पंडिताई समाज) का व्यवसाय चौपट हो गया है. प्रदेश में लगभग छह लाख पंडितों की आमदनी का मुख्य स्रोत पंडिताई ही है, जो लॉकडाउन में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. ऐसे में सरकार को उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए.

पैन्यूली ने बताया कि अधिकतर पंडितों की मुख्य रोजी-रोटी उत्तराखंड के मंदिरों और धार्मिक यात्राओं पर निर्भर करती है. ऐसे में कोरोना महामारी की वजह से उनका रोजगार ठप पड़ गया है. अप्रैल-मई के महीनों में विवाह, त्योहार और धार्मिक पूजा इत्यादि होते हैं. वहीं मंदिरों में श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में पंडितों पर दोहरी मार पड़ रही है. अधिकतर परिवारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

Last Updated : May 25, 2020, 3:16 PM IST
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