देहरादून: हरिद्वार धर्म संसद में कथित भड़काऊ भाषण (Dharma Sansad Hate Speech Case) मामले में पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. इस मामले की जांच के लिए एसपी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया है. डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल (DIG Garhwal Karan Singh nagnyal) का कहना है कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इस मामले में कुल 9 लोगों पर केस दर्ज कर लिया गया है. जिन 9 लोगों पर केस दर्ज हुआ है उनमें वसीम रिजवी, यति नरसिंहानंद और अन्नपूर्णा शामिल हैं. इन सभी पर हरिद्वार की ज्वालापुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ है.
बीते दिनों हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसका एक वीडियो काफी वायरल हुआ था. वीडियो में कुछ साधु-संतों ने भड़काऊ भाषण दिया (Haridwar Hate Speech) था. जिसके बाद हरिद्वार नगर कोतवाली में गुलबहार खान की तहरीर पर पुलिस ने जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी), महामंडलेश्वर धरमदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम केस दर्ज किया था. जिसके बाद पुलिस ने वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि का नाम भी एफआईआर में जोड़ दिया था. अब इस केस में आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रमोधानंद गिरि का नाम भी जोड़ा गया है.
बीते दिन एसपी सिटी शेखर सुयाल ने बताया कि 23 दिसंबर को जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) के खिलाफ हेट स्पीच को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. जिसके बाद 25 दिसंबर को इसमें दो और लोगों महामंडलेश्वर धरमदास और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती के नाम जोड़े गए थे. वहीं, वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर दो अन्य सागर सिंधु महाराज और यति नरसिंहानंद गिरि के नाम भी एफआईआर में जोड़े गए.
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वहीं धर्म संसद में विवादित बयान और वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बीते रोज मुस्लिम संगठन ने पुलिस मुख्यालय कूच किया. इस दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोका था. जिसके बाद लोगों ने वहीं बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस महानिदेशक से मामले में कार्रवाई की मांग की है.
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ये है पूरा मामला: सनातन धर्म की रक्षा और संवर्धन के लिए धर्मनगरी हरिद्वार के वेद निकेतन धाम में 17 से 19 दिसंबर तक तीन दिवसीय धर्म संसद हुई थी. हरिद्वार धर्म संसद (Haridwar dharma sansad) के 4 दिन बाद सोशल मीडिया पर साधु-संतों द्वारा दिए गए बयानों से बवाल मचा गया था. सोशल मीडिया पर इन बयानों की निंदा की गई. धर्म संसद में वक्ताओं पर कथित तौर पर एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा की पैरवी की और 'हिंदू राष्ट्र' के लिए संघर्ष के आह्वान का आरोप लगा था. धर्म संसद में 500 के आसपास महामंडलेश्वर महंत थे और 700-800 अन्य संत थे.धर्म संसद में जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि, रुड़की के सागर सिंधुराज महाराज, संभवी धाम के आनंद स्वरूप महाराज, जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा मां, पटना के धर्मदास महाराज शामिल थे. इन सभी ने धर्म संसद में अपने विचारों को रखा था.