देहरादून: भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सचिव दमयंती रावत की छुट्टी होने के बाद अब बोर्ड में तैनात मंत्री के करीबियों पर भी चाबुक चलाया गया है. बोर्ड ने अपनी पहली बैठक में ही हरक सिंह के कार्यकाल में तैनात हुए 38 कर्मियों को बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. यही नहीं मंत्री के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में बनाए गए कैंप कार्यालय को भी हटाने का निर्णय लिया गया है.
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के विधानसभा क्षेत्र में श्रम बोर्ड के बनाए गए कैंप कार्यालय को बंद करने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही हरक सिंह रावत के कार्यकाल में तैनात 38 कर्मचारियों को भी बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
बता दें कि हाल ही में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड अध्यक्ष पद से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को हटाया गया था. इसके फौरन बाद मंत्री हरक सिंह की करीबी बोर्ड में सचिव दमयंती रावत को भी हटा दिया गया और अब कर्मकार कल्याण बोर्ड का चाबुक मंत्री करीबियों पर चला है, जिन्हें हरक सिंह रावत के समय पर तैनाती दी गई थी. खास बात यह है कि मंत्री के विधानसभा में बनाए गए कैंप कार्यालय को भी बंद करने का फैसला लिया गया है. जानकारी के अनुसार 38 कर्मचारियों पर बोर्ड का करीब 3 लाख रुपए वेतन के रूप में खर्च हो रहा था.
अनुमति के बिना की गई थी नियुक्तियां
कर्मकार कल्याण बोर्ड में कर्मचारियों की नियुक्तियां बिना बोर्ड की अनुमति ही की गई थी. जानकारी के मुताबिक नियुक्ती में नियमों की भारी अनदेखी की गई है. जिसको लेकर अब बोर्ड अध्यक्ष की तरफ से जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
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मोटी तनख्वाह पर नियुक्ति
कर्मकार कल्याण बोर्ड में रिटायर कर्मचारी को एक बार फिर तैनाती दी गई और इसके लिए इस कर्मचारी को मोटी तनख्वाह भी दी जाती रही. बैठक में तैनात रिटायर कर्मचारी को भी हटाने के आदेश दे दिए गए हैं. बोर्ड की तरफ से हरक सिंह रावत के बेहद करीबी बोर्ड में स्टेट कोऑर्डिनेटर विजय चौहान को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया है.
2017 से बोर्ड में नहीं हुआ ऑडिट
कर्मकार कल्याण बोर्ड में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 2017 से अब तक कोई भी ऑडिट नहीं करवाया गया है. जानकारी के अनुसार पिछले 3 सालों में भारी मात्रा में खरीद की गई और लाखों रुपए की खरीद होने के बावजूद वित्तीय रूप से होने वाले ऑडिट को भी नहीं कराया गया. जिसे बोर्ड ने बेहद गंभीर माना है और मामले में सख्त कार्रवाई की तरफ इशारा किया है. उधर, वित्त विभाग भी इस पर आपत्ति जता चुका है कि 2017 से क्यों बोर्ड की तरफ से ऑडिट नहीं कराया गया. ऐसे में बोर्ड ने अब स्पेशल ऑडिट की संस्तुति कर दी है.
वित्तीय अनियमितताओं पर बोर्ड ने दिए जांच के आदेश
कर्मकार कल्याण बोर्ड की पुनर्गठन के बाद आज पहली बैठक हुई. इस पहली बैठक में ही बेहद आक्रमक रुख के साथ बोर्ड ने उन सभी मामलों पर जांच करने के आदेश दे दिए, जिन्हें बिना बोर्ड के अनुमति के किया गया था.
निजी कंपनी को भी हटाने के आदेश
बोर्ड की बैठक में हरक सिंह रावत के कार्यकाल में लगाई गई निजी कंपनी को भी हटाने का फैसला हुआ है. इस कंपनी की तरफ से वर्किंग फैसिलिटी सेंटर चलाए जा रहे थे. ऐसे में अब सीएससी और क्षेत्रीय कार्यालय में ही रजिस्ट्रेशन करवाए जाएंगे.