देहरादून: उत्तराखंड में मॉनसून सीजन हर साल आपदा और तबाही लेकर आता है. हर साल प्राकृितक आपदाओं के कारण उत्तराखंड में जान-माल का नुकसान होता है. इस साल भी मॉनसून सीजन में अब तक प्रदेश में 35 लोग जान गंवा चुके हैं. प्रदेश भर में आपदा की वजह से तकरीबन 625 परिवार प्रभावित हुए हैं
उत्तराखंड में हर साल मॉनसून सीजन अपने साथ तबाही लेकर आता है. औपचारिक रूप से 15 जून से 15 सितंबर तक मॉनसून सीजन माना जाता है. इस दौरान प्रदेश में सबसे ज्यादा आपदाएं आती हैं. हर साल इस समय प्रदेश में आपदा की वजह से कई मौतें होती हैं. कई करोड़ों का नुकसान भी होता है. जिसका आकलन साल के अंत तक लगाया जाता है.
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मौजूदा सीजन के बात करें तो 15 जून 2021 से अब तक के आंकड़ों के अनुसार इस साल आपदा में 31 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. 5 लोग आपदा के मानकों के अनुसार लापता हैं, लेकिन इनके बचे होने की उम्मीद बेहद कम है. लिहाजा यह आंकड़ा 36 बताया जा रहा है.
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वहीं, इसके अलावा अगर मवेशियों और घरों को हुए नुकसान की बात करें तो प्रदेश में अब तक 97 बड़े और 214 छोटे मवेशी आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं. वहीं, इसके अलावा रिहायसी क्षेत्रों में आपदा से हुए नुकसान की बात की जाए तो कच्चे और पक्के मकान मिलाकर आंशिक रूप से 369 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं. 221 मकानों को बड़ा नुकसान हुआ है. प्रदेश भर में 35 मकानों का पूरी तरह से नामोनिशान मिट गया है. 52 गौशालाएं भी अभी तक आपदा की भेंट चढ़ चुकी हैं.
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हर साल उत्तराखंड में मॉनसून सीजन आपदा लेकर आता है. सरकार के माथे की शिकन बढ़ाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाता है. आपदा की मार प्रदेश में सबसे ज्यादा पहाड़ी जनपदों को झेलनी पड़ती है. जिसमें उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं. मौजूदा सीजन की बात करें तो उत्तरकाशी में अब तक आपदा में 4 लोगों की मौत हो चुकी है. 6 लोग आपदा में घायल हुए हैं. वहीं पिथौरागढ़ में 11 लोगों की मौत हुई है. 4 लोग लापता हैं. दो व्यक्ति आपदा में घायल हुए हैं. उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में आपदा से ग्रस्त आंकड़े सबसे ज्यादा हैं.