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ऋषिकेश AIIMS में तीन सालों में 30 प्रतिशत बढ़े ब्रेस्ट कैंसर के मामले, जागरूकता की कमी

एम्स ऋषिकेश की ओपीडी में पिछले तीन वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है.

AIIMS Rishikesh
एम्स ऋषिकेश
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Published : Sep 12, 2021, 7:36 AM IST

ऋषिकेश: महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं. एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) स्थित आईबीसीसी ओपीडी में पिछले 3 वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरुकता की कमी के कारण ब्रेस्ट कैंसर अब कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस मामले में महिलाओं से जागरुकता रहने और जनजागरुकता मुहिम चलाने पर जोर दिया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में 21 फीसदी से अधिक मौतें ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती हैं. समय रहते इसके लक्षणों में ध्यान नहीं देने और जागरुकता की कमी के चलते महिलाओं को इसका पता चलने तक कैंसर घातक रूप ले चुका होता है. एम्स ऋषिकेश के एकीकृत स्तन उपचार केंद्र (Integrative Breast Treatment Center) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड और आस-पास के राज्यों में स्तन कैंसर के मरीजों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.

वर्ष 2019 में संस्थान की ब्रेस्ट कैंसर ओपीडी में 1,233 मरीज पंजीकृत किए गए थे. जबकि, वर्ष 2020 में मरीजों की यह संख्या बढ़कर 1,600 हो गई. जबकि वर्ष 2021 में सितंबर माह के पहले सप्ताह तक एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के 2,000 मरीज आ चुके हैं. डॉक्टरों का कहना है कि पहले यह बीमारी अधिकांशत 40 से 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होती थी. लेकिन अब यह कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है. एम्स में उपचार करा रहे मरीजों में कई मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र महज 18 से 25 वर्ष है.

निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि इलाज में देरी और बीमारी को छिपाने से ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा साबित होता है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहती. जागरुकता के अभाव में औसतन 8 में से एक महिला इस बीमारी से ग्रसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष जागरुक रहने की नितांत आवश्यकता है.

पढ़ें: बागेश्वर में प्रदर्शनी और फैशन शो का आयोजन, सुनीता को मिला बेस्ट ड्रेसअप पुरस्कार

एम्स के 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' की चेयरपर्सन व संस्थान की वरिष्ठ शल्य डॉक्टर प्रोफेसर बीना रवि ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के उपचार की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके लिए संस्थान में 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' विशेष तौर से विकसित किया गया है. यहां इस बीमारी से संबंधित सभी जाचें और इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा एक ही स्थान पर उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस केंद्र में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध है.

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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण: स्तन में या बगल में गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना या उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना.

एम्स में अब नई तकनीक से होगी ब्रेस्ट कैंसर की जांच: एकीकृत स्तन उपचार केंद्र आईबीसीसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतीक शारदा ने बताया कि एकीकृत ब्रेस्ट कैंसर विभाग में 'वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोप्सी' नई मशीन स्थापित की गई है. यह मशीन स्तन में उभरे गांठ को निकालने में विशेष सहायक है और अति आधुनिक उच्चस्तरीय तकनीक की है. इस मशीन की सुविधा से अब मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. उन्होंने बताया कि आईबीबीसी ओपीडी में स्थापना से आज तक लगभग 12 हजार से अधिक मरीजों का परीक्षण एवं उपचार किया जा चुका है.

ऋषिकेश: महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं. एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) स्थित आईबीसीसी ओपीडी में पिछले 3 वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरुकता की कमी के कारण ब्रेस्ट कैंसर अब कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस मामले में महिलाओं से जागरुकता रहने और जनजागरुकता मुहिम चलाने पर जोर दिया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में 21 फीसदी से अधिक मौतें ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती हैं. समय रहते इसके लक्षणों में ध्यान नहीं देने और जागरुकता की कमी के चलते महिलाओं को इसका पता चलने तक कैंसर घातक रूप ले चुका होता है. एम्स ऋषिकेश के एकीकृत स्तन उपचार केंद्र (Integrative Breast Treatment Center) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड और आस-पास के राज्यों में स्तन कैंसर के मरीजों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.

वर्ष 2019 में संस्थान की ब्रेस्ट कैंसर ओपीडी में 1,233 मरीज पंजीकृत किए गए थे. जबकि, वर्ष 2020 में मरीजों की यह संख्या बढ़कर 1,600 हो गई. जबकि वर्ष 2021 में सितंबर माह के पहले सप्ताह तक एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के 2,000 मरीज आ चुके हैं. डॉक्टरों का कहना है कि पहले यह बीमारी अधिकांशत 40 से 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होती थी. लेकिन अब यह कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है. एम्स में उपचार करा रहे मरीजों में कई मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र महज 18 से 25 वर्ष है.

निदेशक एम्स प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि इलाज में देरी और बीमारी को छिपाने से ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा साबित होता है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं रहती. जागरुकता के अभाव में औसतन 8 में से एक महिला इस बीमारी से ग्रसित हो जाती है. उन्होंने बताया कि सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष जागरुक रहने की नितांत आवश्यकता है.

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एम्स के 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' की चेयरपर्सन व संस्थान की वरिष्ठ शल्य डॉक्टर प्रोफेसर बीना रवि ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के उपचार की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके लिए संस्थान में 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' विशेष तौर से विकसित किया गया है. यहां इस बीमारी से संबंधित सभी जाचें और इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा एक ही स्थान पर उपलब्ध कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस केंद्र में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध है.

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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण: स्तन में या बगल में गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना या उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना.

एम्स में अब नई तकनीक से होगी ब्रेस्ट कैंसर की जांच: एकीकृत स्तन उपचार केंद्र आईबीसीसी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतीक शारदा ने बताया कि एकीकृत ब्रेस्ट कैंसर विभाग में 'वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोप्सी' नई मशीन स्थापित की गई है. यह मशीन स्तन में उभरे गांठ को निकालने में विशेष सहायक है और अति आधुनिक उच्चस्तरीय तकनीक की है. इस मशीन की सुविधा से अब मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. उन्होंने बताया कि आईबीबीसी ओपीडी में स्थापना से आज तक लगभग 12 हजार से अधिक मरीजों का परीक्षण एवं उपचार किया जा चुका है.

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