देहरादून: उत्तराखंड सरकार में लंबे समय से खाली तीन मंत्रियों के पदों को जल्द भरा जा सकता है. काफी समय से बीजेपी के कई दिग्गज विधायक, मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए आस लगाए हुए हैं. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत से बातचीत करने की बात कही थी. लेकिन क्या मंत्रीपद के लिये क्षेत्रीय संतुलन, जातीय संतुलन या जनाधार वाले विधायक को जिम्मेदारी दी जाएगी या फिर सेटिंग वाला फॉर्मूला अपनाया जाएगा, इसको लेकर अटकलें तेज हैं.
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दरअसल, साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया था. जनादेश के बाद पार्टी हाईकमान ने डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी. जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के तत्कालीन मंत्रिमंडल ने शपथ ग्रहण की तो उस वक्त दो मंत्रियों के पद को खाली छोड़ दिया था.
साढ़े तीन साल का वक्त बीत जाने के बाद भी मंत्रियों की जिम्मेदारी किसी भी विधायक को नहीं दी गई है. जहां पहले से ही दो मंत्रियों के पद खाली थे, तो वहीं 5 जून 2019 को वित्त मंत्री प्रकाश पंत का बीमारी के चलते निधन होने के बाद एक और मंत्री का पद खाली हो गया.
कौन हो सकते हैं त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के नये सदस्य
विकासनगर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान, मसूरी विधायक गणेश जोशी, डीडीहाट विधायक एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विशन सिंह चुफाल, खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी, पूर्व वित्त मंत्री की पत्नी और पिथौरागढ़ से विधायक चंद्रा पंत के अलावा कई अन्य नेता भी मंत्री बनने की जोर आजमाइश में जुटे हुए हैं. यही नहीं, बदरीनाथ विधानसभा सीट से विधायक महेंद्र भट्ट भी मंत्री पद की दौड़ के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
पार्टी सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड के खाली मंत्री पदों को भरे जाने के लिए पार्टी हाईकमान के दिशा निर्देश पर ही निर्णय लिया जाएगा. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की गुड बुक के व्यक्तियों को ही मंत्री बनाया जा सकता है.
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तमाम समीकरणों का रखा जाएगा ध्यान
एक बार फिर इस मामले पर मुख्यमंत्री के बयान के बाद न सिर्फ मंत्री बनने वाले विधायकों की उम्मीद जग गई है बल्कि सीनियर विधायकों के समर्थकों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. हालांकि, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान का मानना है कि उस विधायक को मंत्रीपद सौंपना चाहिये जिसका एक लंबा अनुभव, जनाधार, कार्य करने की अच्छी शैली हो और जो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाने वाला हो.
वहीं, खुद को चुने जाने के सवाल पर मुन्ना सिंह चौहान ने फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ते हुए कहा कि जो उनको अभी तक जिम्मेदारी दी है उन्होंने उस का बखूबी निर्वहन किया और संगठन जो भी आगे जिम्मेदारी देगा, उसको भी वह शिद्दत के साथ पूरा करेंगे.
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कांग्रेस का आरोप
प्रदेश सरकार पर कांग्रेस भी जमकर चुटकी ले रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि तीन मंत्रीपद भरने में साढ़े 3 साल का समय लगा दिया गया. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व कह रहा है कि जब योग्य विधायक मिलेंगे तो मंत्री बनाए जाएंगे, ऐसे में अब 2022 तक भाजपा को योग्य विधायक नहीं मिलेंगे. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की चलती तो वह अकेले ही मुख्यमंत्री रहते. यही नहीं, भाजपा की सरकार, कांग्रेस के वही नेता चला रहे हैं जो कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए थे और वर्तमान में मंत्रिमंडल में काबिज हैं.
सेटिंग-गेटिंग के फॉर्मूले से ही बनते रहे हैं मंत्री
राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत भी मानते हैं कि उत्तराखंड में मंत्री पद की जिम्मेदारी दिए जाने का आधार कभी भी योग्यता नहीं रहा है. सेटिंग-गेटिंग का फॉर्मूला ही अभी तक के इतिहास में मुख्यमंत्रियों ने अपनाया है.