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उत्तराखंड में सड़क हादसों का आंकड़ा देख चौक जाएंगे आप, यहां हर दिन तीन लोगों की हो रही मौत - उत्तराखंड न्यूज

यह आंकड़ा प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा हैं. राज्य को बने हुए 18 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन इन 18 सालों में 25 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके है.

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Published : Feb 9, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Feb 9, 2019, 3:36 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर पुलिस, प्रशासन और परिवहन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. बावजूद उसके सड़क हादसों में कोई कमी नहीं देखी जा रही है. उत्तराखंड में हर दिन 3 लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. यानी की हर साल एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. बीते तीन साल में उत्तराखंड में 4,590 सड़क हादसों में 2,992 लोगों की मौत हो चुकी है.

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यह आंकड़ा प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा हैं. राज्य को बने हुए 18 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन इन 18 सालों में 25 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके है.

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सड़क हादसों की तस्वीर

साल दुर्घटनाएं मौत घायल
2016 1591 932 1736
2017 1603 942 1631
2018 1468 1047 1571

सबसे ज्याद दुर्घटना वाले जिले

जिला साल दुर्घटनाएं मृतक घायल
देहरादून 2016 295 139 220
देहरादून 2017 342 143 254
देहरादून 2018 317 137 254
उधम सिंह नगर 2016 381 253 278
उधम सिंह नगर 2017 362 251 262
उधम सिंह नगर 2018 356 226 260
हरिद्वार 2016 342 212 227
हरिद्वार 2017 333 194 256
हरिद्वार 2018 345 200 306
नैनीताल 2016 215 100 180
नैनीताल 2017 226 112 117
नैनीताल 2018 199 110 170
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देशभर का आंकड़ा तो और डरावने वाला है. इन बढ़ते आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है और उत्तराखंड सरकार इस बारे में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे. कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने सबंधित विभागों को सामंजस्य बनाकर कार्रवाई करने को कहा था, ताकि बढ़ते हादसों पर लगाम लगाई जा सके, लेकिन ये कार्रवाई मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह तक ही सीमित रह गई.

ट्रैफिक निदेशालय चालान वसूलने तक सीमित
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभाग ने नवंबर 2017 में स्पेशल ट्रैफिक निदेशालय बनाया था. जिसकी जिम्मेदारी डीआईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी केवल खुराना को सौंपी गई थी, लेकिन ये निदेशालय सिर्फ चालान काटने तक ही सीमित रह गया. ट्रैफिक पुलिस ने सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018 में 16 लाख 14 हजार वाहनों का चालान काटकर 23 करोड़ 52 लाख राजस्व वसूल कर अपना काम पूरा कर देने का दावा कर रहा है.

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एक नजर पिछले चार साल के चालान पर

साल कुल चालान राजस्व वसूल
2015 7 लाख 18 हजार 9 करोड़ 75 लाख
2016 8 लाख राजस्व 11 करोड़ 1 लाख
2017 10 लाख 42 हजार 14 करोड़ 29 लाख
2018 16 लाख 14 हजार 23 करोड़ 52 लाख

क्या कहते है पुलिस अधिकारी?
उत्तराखंड में बढ़ रहे इन हादसों के बारे में जब पुलिस महानिदेशक (अपराध व कानून व्यवस्था) अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह प्रदेश में जरूरत के मुताबिक सड़कों का विस्तारीकरण न होना है. इसके साथ ही खस्ताहाल सड़कें और उस पर ऊपर से बढ़ता यातायात का दबाव. हालांकि पुलिस का दावा है कि वो लगातार सड़क सप्ताह अभियान के जरिए लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर पुलिस, प्रशासन और परिवहन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. बावजूद उसके सड़क हादसों में कोई कमी नहीं देखी जा रही है. उत्तराखंड में हर दिन 3 लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. यानी की हर साल एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. बीते तीन साल में उत्तराखंड में 4,590 सड़क हादसों में 2,992 लोगों की मौत हो चुकी है.

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यह आंकड़ा प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा हैं. राज्य को बने हुए 18 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन इन 18 सालों में 25 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके है.

उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सड़क हादसों की तस्वीर

साल दुर्घटनाएं मौत घायल
2016 1591 932 1736
2017 1603 942 1631
2018 1468 1047 1571

सबसे ज्याद दुर्घटना वाले जिले

जिला साल दुर्घटनाएं मृतक घायल
देहरादून 2016 295 139 220
देहरादून 2017 342 143 254
देहरादून 2018 317 137 254
उधम सिंह नगर 2016 381 253 278
उधम सिंह नगर 2017 362 251 262
उधम सिंह नगर 2018 356 226 260
हरिद्वार 2016 342 212 227
हरिद्वार 2017 333 194 256
हरिद्वार 2018 345 200 306
नैनीताल 2016 215 100 180
नैनीताल 2017 226 112 117
नैनीताल 2018 199 110 170
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देशभर का आंकड़ा तो और डरावने वाला है. इन बढ़ते आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है और उत्तराखंड सरकार इस बारे में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे. कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने सबंधित विभागों को सामंजस्य बनाकर कार्रवाई करने को कहा था, ताकि बढ़ते हादसों पर लगाम लगाई जा सके, लेकिन ये कार्रवाई मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह तक ही सीमित रह गई.

ट्रैफिक निदेशालय चालान वसूलने तक सीमित
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभाग ने नवंबर 2017 में स्पेशल ट्रैफिक निदेशालय बनाया था. जिसकी जिम्मेदारी डीआईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी केवल खुराना को सौंपी गई थी, लेकिन ये निदेशालय सिर्फ चालान काटने तक ही सीमित रह गया. ट्रैफिक पुलिस ने सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018 में 16 लाख 14 हजार वाहनों का चालान काटकर 23 करोड़ 52 लाख राजस्व वसूल कर अपना काम पूरा कर देने का दावा कर रहा है.

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एक नजर पिछले चार साल के चालान पर

साल कुल चालान राजस्व वसूल
2015 7 लाख 18 हजार 9 करोड़ 75 लाख
2016 8 लाख राजस्व 11 करोड़ 1 लाख
2017 10 लाख 42 हजार 14 करोड़ 29 लाख
2018 16 लाख 14 हजार 23 करोड़ 52 लाख

क्या कहते है पुलिस अधिकारी?
उत्तराखंड में बढ़ रहे इन हादसों के बारे में जब पुलिस महानिदेशक (अपराध व कानून व्यवस्था) अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह प्रदेश में जरूरत के मुताबिक सड़कों का विस्तारीकरण न होना है. इसके साथ ही खस्ताहाल सड़कें और उस पर ऊपर से बढ़ता यातायात का दबाव. हालांकि पुलिस का दावा है कि वो लगातार सड़क सप्ताह अभियान के जरिए लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

Pls नोट इस स्टोरी में  DG, LO की बाईट अपडेट करने ल कष्ट करें।

वहीं लगातार उत्तराखंड में लगातार बढ़ने वाली सड़क दुर्घटनाओं के मामले पर  राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह प्रदेश में जरूरत के मुताबिक सड़कों का विस्तारीकरण ना होना, उसके बाद खस्ताहाल टूटी फूटी सड़कें उस दिन प्रतिदिन भारी मात्रा में लगातार बढ़ता यातायात का दबाव, हालांकि तंग व सीकरी बदहाल मार्गो में कुछ हद तक सुधार हो रहा हैं लेकिन यातायात नियमों ले प्रति जागरूक ना होना सबसे बड़ी मुख्य वजहों में से एक सड़क हादसों की है हालांकि इस और लगातार पुलिस विभाग द्वारा व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिसका असर 8% दुर्घटनाओं की कमी होना भी सामने आया है। लेकिन उसके बावजूद प्रदेश में लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं एक चिंता का विषय है।

बाइट -अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, अपराध व कानून व्यवस्था

On Fri, 8 Feb 2019, 3:03 pm PARMJEET SINGH LAMBA <parmjeetsingh.lamba@etvbharat.com wrote:

SPL story

उत्तराखंड हर दिन 3 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत, आपराधिक घटनाओं के मुक़ाबले सड़क हादसों में ज्यादा मौतें 

उत्तराखंड में जहाँ तरफ हर साल की सड़क सुरक्षा सप्ताह बड़े बड़े कार्यक्रमों के आयोजन कर मनाया जा रहा है,लेकिन पुलिस सहित संबंधित विभागों के सामंजस्य ना चलते धरातल में किसी भी तरह से भी प्रभावी कार्रवाई होती नहीं दिख रही हैं. जिसके कारण जमीन पर सड़क हादसों स्थिति बद से बत्त्तर होती जा रही हैं, हालत यह है की उत्तराखंड में हर दिन लगभग तीन मौतें सड़क दुर्घटनाओं में हो रही हैं यानी की सालभर में एक हजार से ज्यादा मौत सड़क हादसों में हो रही हैं। यह आकड़ा प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली  हत्याओं से कई गुना ज्यादा हैं।
 
राज्य बनने के 18 वर्षों में 25 हजार से ज्यादा मौतें होने पर भी सरकार चिंतित नहीं 

हैरान करने वाला विषय यह है की उत्तराखंड राज्य बनने के 18 साल में अब तक 25 हजार से ज्यादा मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी है इसके बावजूद सरकार  इस गंभीर मामलें पर किसी तरह से ऐसा प्रभावी कदम नहीं उठा पायी है जिससे सड़क हादसों में अंकुश लग सके। 
उधर बीते  वर्ष उच्चतम न्याययालय देशभर सहित उत्तराखंड में लगातार बढ़ने वाले सड़क दुर्घटनाओं पर चिंतन मनन कर सरकारों को इस पर प्रभावी कदम उठा हादसों की गति कम  करने के निर्देश दे चुका  हैं।  कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड मुख्य सचिव द्वारा कई बार सबंधित विभागों को सामंजस्य बना जमींन पर कार्यवाही करने की दिशानिर्देश देते  है लेकिन अभी तक मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह आयोजनों के अलावा धरातल पर कोई ठोस कार्य देखने को नहीं मिल रहा हैं। 

ट्रैफिक  निदेशालय मात्र रिकॉर्डतोड़ करोड़ों का  चालान वसूल करने तक सिमित 

वही पुलिस विभाग में सड़क हादसों के मध्यनजर नवंबर 2017 में  स्पेशल ट्रैफिक  निदेशालय बयाना गया, जहाँ डीआईजी स्तर के आईपीएस केवल खुराना को जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन निदेशालय द्वारा इस दौरान  मात्र चालान  काटने के आलावा कोई अन्य प्रभावी कार्यवाही नहीं देखी  गई है। ट्रैफिक पुलिस ने सड़क हादसों में लगाम लगाने के लिए  वर्ष 2018 में 16 लाख 14 हजार वाहनों का चालान काट 23 करोड़ 52 लाख राजस्व वसूल कर अपना काम पूरा कर  देने का दावा  कर रहा  हैं जबकि सड़क हादसें फिर भी अन्य कई कारणों से लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.

 एक नजर पिछले चार वर्षो चालान वसूल (पुलिस मुख्यालय से प्राप्त किये आकड़ों के अनुसार )

वर्ष -2015 - कुल चालान 7 लाख 18 हजार, राजस्व वसूल - 9 करोड़ 75 लाख
वर्ष -2016 कुल चालान -8 लाख , राजस्व वसूल- 11 करोड़  1 लाख 
वर्ष -2017  कुल चालान -10 लाख 42 हजार , राजस्व वसूल- 14  करोड़  29  लाख   
वर्ष -2018  कुल चालान -16 लाख 14 हजार , राजस्व वसूल- 23 करोड़ 52  लाख   

उत्तराखंड सड़क दुर्घटनाओं का ब्यौरा पिछले 3 साल में सड़क हादसें में मौत व घायलों की संख्या 
 
(पुलिस मुख्यालय से प्राप्त किये आकड़ों के अनुसार )

वर्ष 2016 -सड़क दुर्घटनाएं -1591, 
मृतकों की संख्या - 932 ,घायल की संख्या 1736

वर्ष 2017- सड़क दुर्घटनाएं-1603, 
मृतकों की संख्या-942, घायलों की संख्या-1631

वर्ष 2018 सड़क दुर्घटनाएं- 1468, 
मृतकों की संख्या-1047, घायलों की संख्या-1571


मुख्यतः उत्तराखंड राज्य के इन जिलों में सबसे ज्यादा होती है सड़क दुर्घटनाएं:


देहरादून वर्ष -2016 सड़क दुर्घटनाएं 295, 
मृतकों की संख्या - 139, घायल की संख्या 220

देहरादून वर्ष -2017 सड़क दुर्घटनाएं 342,
 मृतकों की संख्या - 143, घायल की संख्या 254

देहरादून वर्ष -2018 सड़क दुर्घटनाएं 317, 
मृतकों की संख्या - 137,  घायल की संख्या 254

उधमसिंह नगर वर्ष 2016 सड़क दुर्घटनाएं 381, मृतकों की संख्या - 253, घायल की संख्या 278

उधमसिंह नगर वर्ष -2017 सड़क दुर्घटनाएं 362, मृतकों की संख्या - 251 घायल की संख्या 262.

उधमसिंह नगर वर्ष -2018 सड़क दुर्घटनाएं 356, मृतकों की संख्या - 226, घायल की संख्या 260

हरिद्वार वर्ष -2016 सड़क दुर्घटनाएं 342,
 मृतकों की संख्या - 212, घायल की संख्या 227.

हरिद्वार वर्ष -2017 सड़क दुर्घटनाएं 333,
 मृतकों की संख्या - 194, घायल की संख्या 256.

हरिद्वार वर्ष -2018 सड़क दुर्घटनाएं 345,
 मृतकों की संख्या - 200,  घायल की संख्या 306.


नैनीताल वर्ष -2016 सड़क दुर्घटनाएं 215, 
मृतकों की संख्या - 100,  घायल की संख्या 180.

नैनीताल वर्ष -2017 सड़क दुर्घटनाएं 226,
 मृतकों की संख्या - 112, घायल की संख्या 177.

नैनीताल वर्ष- 2018 सड़क दुर्घटनाएं 199,
 मृतकों की संख्या - 110, घायल की संख्या 170.

Last Updated : Feb 9, 2019, 3:36 PM IST
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