देहरादून: उत्तराखंड में सड़क हादसों को रोकने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर पुलिस, प्रशासन और परिवहन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. बावजूद उसके सड़क हादसों में कोई कमी नहीं देखी जा रही है. उत्तराखंड में हर दिन 3 लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. यानी की हर साल एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसे में हो रही है. बीते तीन साल में उत्तराखंड में 4,590 सड़क हादसों में 2,992 लोगों की मौत हो चुकी है.
यह आंकड़ा प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा हैं. राज्य को बने हुए 18 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन इन 18 सालों में 25 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके है.
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सड़क हादसों की तस्वीर
साल | दुर्घटनाएं | मौत | घायल |
2016 | 1591 | 932 | 1736 |
2017 | 1603 | 942 | 1631 |
2018 | 1468 | 1047 | 1571 |
सबसे ज्याद दुर्घटना वाले जिले
जिला | साल | दुर्घटनाएं | मृतक | घायल |
देहरादून | 2016 | 295 | 139 | 220 |
देहरादून | 2017 | 342 | 143 | 254 |
देहरादून | 2018 | 317 | 137 | 254 |
उधम सिंह नगर | 2016 | 381 | 253 | 278 |
उधम सिंह नगर | 2017 | 362 | 251 | 262 |
उधम सिंह नगर | 2018 | 356 | 226 | 260 |
हरिद्वार | 2016 | 342 | 212 | 227 |
हरिद्वार | 2017 | 333 | 194 | 256 |
हरिद्वार | 2018 | 345 | 200 | 306 |
नैनीताल | 2016 | 215 | 100 | 180 |
नैनीताल | 2017 | 226 | 112 | 117 |
नैनीताल | 2018 | 199 | 110 | 170 |
देशभर का आंकड़ा तो और डरावने वाला है. इन बढ़ते आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है और उत्तराखंड सरकार इस बारे में प्रभावी कदम उठाने के निर्देश भी दिए थे. कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने सबंधित विभागों को सामंजस्य बनाकर कार्रवाई करने को कहा था, ताकि बढ़ते हादसों पर लगाम लगाई जा सके, लेकिन ये कार्रवाई मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह तक ही सीमित रह गई.
ट्रैफिक निदेशालय चालान वसूलने तक सीमित
सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस विभाग ने नवंबर 2017 में स्पेशल ट्रैफिक निदेशालय बनाया था. जिसकी जिम्मेदारी डीआईजी स्तर के आईपीएस अधिकारी केवल खुराना को सौंपी गई थी, लेकिन ये निदेशालय सिर्फ चालान काटने तक ही सीमित रह गया. ट्रैफिक पुलिस ने सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए वर्ष 2018 में 16 लाख 14 हजार वाहनों का चालान काटकर 23 करोड़ 52 लाख राजस्व वसूल कर अपना काम पूरा कर देने का दावा कर रहा है.
एक नजर पिछले चार साल के चालान पर
साल | कुल चालान | राजस्व वसूल |
2015 | 7 लाख 18 हजार | 9 करोड़ 75 लाख |
2016 | 8 लाख राजस्व | 11 करोड़ 1 लाख |
2017 | 10 लाख 42 हजार | 14 करोड़ 29 लाख |
2018 | 16 लाख 14 हजार | 23 करोड़ 52 लाख |
क्या कहते है पुलिस अधिकारी?
उत्तराखंड में बढ़ रहे इन हादसों के बारे में जब पुलिस महानिदेशक (अपराध व कानून व्यवस्था) अशोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह प्रदेश में जरूरत के मुताबिक सड़कों का विस्तारीकरण न होना है. इसके साथ ही खस्ताहाल सड़कें और उस पर ऊपर से बढ़ता यातायात का दबाव. हालांकि पुलिस का दावा है कि वो लगातार सड़क सप्ताह अभियान के जरिए लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक कर रहे हैं.