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त्रिवेंद्र सरकार ने अपने ही एक आदेश को नहीं दी तवज्जो, कर दिए 21 अधिकारियों के ट्रांसफर

राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर इस बार तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद 20 मई को इसे लागू भी कर दिया था. बावजूद इसके 21 मई को बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिये गये.

देहरादून
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Published : May 22, 2020, 4:54 PM IST

देहरादून: तबादला सत्र शून्य को मंजूरी मिलने के बाद भी गुरुवार को उत्तराखंड में 16 आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर हुए. जब इस बारे में शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से पूछा गया तो उन्होंने इस सवाल को हंसी में टाल दिया.

राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर इस बार तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद 20 मई को इसे लागू भी कर दिया था. बावजूद इसके 21 मई को बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिये गये.

पढ़ें-Board Exam 2020: बची हुई परीक्षाओं के लिए डेडलाइन तय

गुरुवार को अचानक हुए 16 आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों के तबादलों के बाद सचिवालय के उसी शासनादेश पर सवाल उठने लगे, जिसे एक दिन पहले ट्रांसफर रोकने के लिए लाया गया था. शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने इसका कोई वाजिब जवाब नहीं दिया. बल्कि इस सवाल को हंसी में टालते हुए वे बस इतना कह गये कि ट्रांसफर एक सामान्य प्रक्रिया है और बड़ी संख्या में कोई ट्रांसफर नहीं हुए है.

देहरादून: तबादला सत्र शून्य को मंजूरी मिलने के बाद भी गुरुवार को उत्तराखंड में 16 आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों के ट्रांसफर हुए. जब इस बारे में शासकीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से पूछा गया तो उन्होंने इस सवाल को हंसी में टाल दिया.

राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर इस बार तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद 20 मई को इसे लागू भी कर दिया था. बावजूद इसके 21 मई को बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिये गये.

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गुरुवार को अचानक हुए 16 आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों के तबादलों के बाद सचिवालय के उसी शासनादेश पर सवाल उठने लगे, जिसे एक दिन पहले ट्रांसफर रोकने के लिए लाया गया था. शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने इसका कोई वाजिब जवाब नहीं दिया. बल्कि इस सवाल को हंसी में टालते हुए वे बस इतना कह गये कि ट्रांसफर एक सामान्य प्रक्रिया है और बड़ी संख्या में कोई ट्रांसफर नहीं हुए है.

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