ऋषिकेश: लंबे समय तक लॉकडाउन लगने के बाद भी पिछले साल एम्स ऋषिकेश ने ढाई लाख लोगों को स्वास्थ्य संबंधी ओपीडी सुविधाएं प्रदान की. इतना ही नहीं बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए एम्स ने इस दौरान 29 हजार से अधिक मरीजों का भर्ती कर उनका समुचित इलाज भी किया.
पिछले साल करीब कोरोना की वजह से करीब साढ़े आठ महीने लॉकडाउन लगा है. वहीं कोरोना के खतरे को देखते हुए की हॉस्पिटलों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी थी. इन चुनौतियों के बावजूद एम्स ऋषिकेश ने महज कुछ दिनों के अवरोध के बाद अपनी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को जारी रखा. इस बारे में जानकारी देते हुए एम्स अस्पताल प्रशासन के डीन प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने बताया कि कोरोनाकाल में उपचार की प्राथमिकता कोरोना के मरीजों के लिए निर्धारित की गयी थी, लेकिन अनिवार्य और इमरजेन्सी मरीजों का इलाज भी एम्स में 24 घंटे जारी रखा गया था.
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उन्होंने बताया कि पिछले साल दिसंबर में तक ढाई लाख मरीज एम्स की ओपीडी में पहुंचे. इनमें से 29 हजार 299 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका समुचित इलाज किया गया, जबकि कोरोना काल की इसी समय अवधि में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 10 हजार मरीजों के ऑपरेशन भी सफलता पूर्वक किए गए.
उल्लेखनीय है कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश को लेबल 3 श्रेणी में रिजर्व रखा गया था. इस श्रेणी में कोविड संक्रमित उन्हीं मरीजों का इलाज किया जाता है, जो गंभीर रोगी होते हैं और जिन्हें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन या फिर आईसीयू में रखे जाने की जरूरत पड़ती है.
प्रोफेसर मिश्रा ने यह भी बताया कि एम्स की लैब में एक लाख 20 हजार कोविड सैंपलों की जांच की जा चुकी हैं, जबकि कोविड स्क्रीनिंग एरिया में अभी तक 46 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. इनमें से ढाई हजार कोविड पॉजिटिव मरीजों का उपचार कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिया गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में एम्स में कोरोना के 92 मरीजों का उपचार चल रहा है.