ETV Bharat / state

देहरादून में पुरानी टिहरी को देखने यहां लगती है भीड़, याद कर छलक उठता है 'दर्द'

पुरानी टिहरी...एक ऐसा शहर जिसे विकास और आधुनिकता की कीमत चुकाने के लिए जल समाधि लेनी पड़ी. 31 जुलाई 2004 ये वो ही दिन था जब पुरानी टिहरी विशालकाय झील में समा गई थी. खेत खलिहान, ऐतिहासिक इमारतें, घंटाघर और राजा का दरबार देखते ही देखते पानी की तलहटी में चला गया और जो बचा वो सिर्फ यादों में ही रह गईं.

पुरानी टिहरी की प्रतिकृति
author img

By

Published : Jul 30, 2019, 5:04 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 5:38 PM IST

देहरादून: पुराने टिहरी को जलमग्न हुए 15 साल पूरे हो गए. 31 जुलाई 2004 वह दिन था जब पूरे टिहरी शहर को डूबो दिया गया. आखिरी व्यक्ति को इसी दिन यहां से विस्थापित किया गया. आज भी पुरानी टिहरी को याद कर वहां के बाशिंदे भावुक हो उठते हैं.

राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली इलाके में रहने वाले सुबोध बहुगुणा बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय हुए हैं. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोगों आते है और पुरानी टिहरी की याद को ताजा करते है.

पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति

पढ़ें- यादों में 'टिहरी', आज भी पानी के अंदर शान से खड़ा है घंटाघर

ईटीवी भारत से बात करते हुए बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन से तैयार किया है. पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को तैयार करने के लिए बहुगुणा ने घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट इत्यादि का इस्तेमाल किया.

बता दें कि इस पुरानी टिहरी की प्रतिकृति में आप घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां देख सकते हैं. बहुगुणा को जहां पुरानी टिहरी शहर के डूबने का गम है तो वहीं उन्हें गर्व भी. टिहरी शहर ने बांध के पानी में समाकर खुद को विकास के लिए समर्पित किया.

बहुगुणा ने कहा कि पुरानी टिहरी एक खूबसूरत शहर होने के साथ ही अनेकता में एकता का प्रतीक भी थी. जिस एकता के साथ पुरानी टिहरी में लोग रहते थे. वह एकता और भाईचारा आज कहीं देखने को नहीं मिलता है.

पढ़ें- एक थी 'टिहरी', 'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

पुरानी टिहरी का इतिहास
पुराना टिहरी शहर तीन नदियां भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा, जो विलुप्त हो गई थी से घिरा हुआ था. इसलिए इसको त्रिहरी नाम से पुकारा जाता था. बाद में इसे टिहरी नाम से जाना जाने लगा.

राजा सुदर्शन शाह ने बसाया था शहर

  • इस शहर को राजा सुदर्शन शाह ने दिसम्बर 1815 में बसाया था.
  • जब इस शहर को बसाया गया उस समय ज्योतिष ने कहा कि इस शहर की उम्र कम है.
  • साल 1965 में तत्कालीन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री के एल राव ने टिहरी बांध बनाने की घोषणा की.

देहरादून: पुराने टिहरी को जलमग्न हुए 15 साल पूरे हो गए. 31 जुलाई 2004 वह दिन था जब पूरे टिहरी शहर को डूबो दिया गया. आखिरी व्यक्ति को इसी दिन यहां से विस्थापित किया गया. आज भी पुरानी टिहरी को याद कर वहां के बाशिंदे भावुक हो उठते हैं.

राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली इलाके में रहने वाले सुबोध बहुगुणा बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय हुए हैं. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोगों आते है और पुरानी टिहरी की याद को ताजा करते है.

पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति

पढ़ें- यादों में 'टिहरी', आज भी पानी के अंदर शान से खड़ा है घंटाघर

ईटीवी भारत से बात करते हुए बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन से तैयार किया है. पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को तैयार करने के लिए बहुगुणा ने घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट इत्यादि का इस्तेमाल किया.

बता दें कि इस पुरानी टिहरी की प्रतिकृति में आप घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां देख सकते हैं. बहुगुणा को जहां पुरानी टिहरी शहर के डूबने का गम है तो वहीं उन्हें गर्व भी. टिहरी शहर ने बांध के पानी में समाकर खुद को विकास के लिए समर्पित किया.

बहुगुणा ने कहा कि पुरानी टिहरी एक खूबसूरत शहर होने के साथ ही अनेकता में एकता का प्रतीक भी थी. जिस एकता के साथ पुरानी टिहरी में लोग रहते थे. वह एकता और भाईचारा आज कहीं देखने को नहीं मिलता है.

पढ़ें- एक थी 'टिहरी', 'जलसमाधि' से चुकाई विकास और आधुनिकता की कीमत

पुरानी टिहरी का इतिहास
पुराना टिहरी शहर तीन नदियां भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा, जो विलुप्त हो गई थी से घिरा हुआ था. इसलिए इसको त्रिहरी नाम से पुकारा जाता था. बाद में इसे टिहरी नाम से जाना जाने लगा.

राजा सुदर्शन शाह ने बसाया था शहर

  • इस शहर को राजा सुदर्शन शाह ने दिसम्बर 1815 में बसाया था.
  • जब इस शहर को बसाया गया उस समय ज्योतिष ने कहा कि इस शहर की उम्र कम है.
  • साल 1965 में तत्कालीन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री के एल राव ने टिहरी बांध बनाने की घोषणा की.
Intro:Special story

sending the visuals from livU ingest

Folder Name- Purani Tihri

देहरादून- पुराने टिहरी को बांध के जलाशय में जलमग्न हुए 31 जुलाई को 15 साल पूरे होने जा रहे हैं । जानकारी के लिए बता दें कि 31 जुलाई 2004 यह वह दिन था जब पूरा टिहरी शहर बांध के जलाशय में जलमग्न हो गया था । लेकिन आज भी अपनी पुरानी टिहरी को याद कर टिहरी डूब क्षेत्र के वाशिंदे भावुक हो उठते हैं ।

सूबे की राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली के रहने वाले सुबोध बहुगुणा ने बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय रखा । दरअसल सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है । जिसे देखकर आज भी टिहरी डूब क्षेत्र के विस्थापित लोगो की पुरानी टिहरी से जुड़ी कई यादें ताज़ा हो जाती हैं ।




Body:ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुरानी टिहरी की प्रतिकृति तैयार करने वाले सुबोध बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी कि इस प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन में तैयार किया है ।

पुरानी टिहरी की इस प्रतिकृति को तैयार करने में उन्होंने कूड़े- कर्कट जैसे घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े , पुराने गद्दे की रुई, और सीमेंट इत्यादि का प्रयोग किया है।

बता दें कि इस पुरानी टिहरी की प्रतिकृति में आप पुरानी टिहरी के घंटाघर , राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, बस अड्डा , आजाद मैदान , टिहरी बाजार की स्मृतियां देख सकते हैं ।




Conclusion:ईटीवी भारत से खास बातचीत में पुरानी टिहरी को याद करते हुए सुबोध बहुगुणा का कहना था की उन्हें अपनी पुरानी टिहरी के जलमग्न होने का गम तो जरूर है । लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व भी महसूस होता है कि उनके टिहरी शहर ने बांध के पानी में समाकर खुद को विकास के लिए समर्पित किया है ।

पुरानी टिहरी को याद करते हुए उनका कहना था कि उनकी पुरानी टिहरी एक खूबसूरत शहर होने के साथ ही अनेकता में एकता का प्रतीक भी थी । जिस एकता के साथ पुरानी टिहरी में लोग रहा करते थे । वह एकता और भाईचारा आज कहीं देखने को नही मिलता ।





Last Updated : Jul 30, 2019, 5:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.