देहरादून: पुराने टिहरी को जलमग्न हुए 15 साल पूरे हो गए. 31 जुलाई 2004 वह दिन था जब पूरे टिहरी शहर को डूबो दिया गया. आखिरी व्यक्ति को इसी दिन यहां से विस्थापित किया गया. आज भी पुरानी टिहरी को याद कर वहां के बाशिंदे भावुक हो उठते हैं.
राजधानी देहरादून के बल्लूपुर चौक स्थित वनस्थली इलाके में रहने वाले सुबोध बहुगुणा बीते कई सालों से पुरानी टिहरी की यादों को कुछ अलग अंदाज में संजोय हुए हैं. सुबोध बहुगुणा ने अपने बुजुर्गों और पिता स्वर्गीय गोपाल राम बहुगुणा की प्रेरणा पर अपने घर में ही पुराने टिहरी शहर की प्रतिकृति तैयार की हुई है. जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोगों आते है और पुरानी टिहरी की याद को ताजा करते है.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए बहुगुणा ने बताया कि पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को उन्होंने अपने पिता स्वर्गीय गोपालराम बहुगुणा के मार्ग दर्शन से तैयार किया है. पुरानी टिहरी की प्रतिकृति को तैयार करने के लिए बहुगुणा ने घरों में इस्तेमाल होने वाली टाइल्स के टुकड़े, ईंट के टुकड़े, पुराने गद्दे की रुई और सीमेंट इत्यादि का इस्तेमाल किया.
बता दें कि इस पुरानी टिहरी की प्रतिकृति में आप घंटाघर, राजा का दरबार, प्रताप इंटर कॉलेज, बस अड्डा, आजाद मैदान और टिहरी बाजार की स्मृतियां देख सकते हैं. बहुगुणा को जहां पुरानी टिहरी शहर के डूबने का गम है तो वहीं उन्हें गर्व भी. टिहरी शहर ने बांध के पानी में समाकर खुद को विकास के लिए समर्पित किया.
बहुगुणा ने कहा कि पुरानी टिहरी एक खूबसूरत शहर होने के साथ ही अनेकता में एकता का प्रतीक भी थी. जिस एकता के साथ पुरानी टिहरी में लोग रहते थे. वह एकता और भाईचारा आज कहीं देखने को नहीं मिलता है.
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पुरानी टिहरी का इतिहास
पुराना टिहरी शहर तीन नदियां भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा, जो विलुप्त हो गई थी से घिरा हुआ था. इसलिए इसको त्रिहरी नाम से पुकारा जाता था. बाद में इसे टिहरी नाम से जाना जाने लगा.
राजा सुदर्शन शाह ने बसाया था शहर
- इस शहर को राजा सुदर्शन शाह ने दिसम्बर 1815 में बसाया था.
- जब इस शहर को बसाया गया उस समय ज्योतिष ने कहा कि इस शहर की उम्र कम है.
- साल 1965 में तत्कालीन केन्द्रीय सिंचाई मंत्री के एल राव ने टिहरी बांध बनाने की घोषणा की.