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डोइवाला की 11 ग्राम पंचायतों ने पेश की नजीर, गांवों में जगी स्वच्छता की अलख

एक आइडिया कैसे आपका जीवन बदल सकता है, इसका एक उदाहरण इन 11 ग्राम पंचायतों में देखने को मिल रहा है. इन पंचायतों ने स्वच्छ भारत अभियान की ओर कदम बढ़ाया है.

solid waste management
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Published : Nov 21, 2019, 10:02 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 11:11 PM IST

देहरादून: शहरों के बाद अब उत्तराखंड के गांवों में भी स्वच्छता की अलख जगने लगी है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में कूड़ा निस्तारण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया था. ऐसे में इस प्रोजेक्ट ने इन गांवों की तस्वीर बदल दी है. वहीं, इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद उत्तराखंड पंचायती राज विभाग अब प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मन बना रहा है.

बता दें कि दो साल पहले एक प्रयोग के तौर पर डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की गई थी. ताकि शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी कूड़े का निस्तारण किया जा सके. प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2017 में डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों के लिए भोगपुर में एक मॉडल कलस्टर लगाया गया था. यहां लोगों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी दी गई. इस प्रोजेक्ट की खासियत ये थी कि 8 ग्राम पंचायत मिलकर इस काम को कर रहे थे, जो अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था.

डोइवाला की 11 ग्राम पंचायतों ने पेश की नजीर.

पढ़ें- बेरोजगारों के साथ बड़ा धोखा, 7 लाख 73 हजार में से सिर्फ 3652 को मिली नौकरी

इस प्रोजेक्ट का असर है कि आज न सिर्फ इससे ये ग्राम पंयाचत साफ सुथरी नजर आ रही है, बल्कि यहां के लोगों की मानसिकता में भी बड़ा परिवर्तन आया है. ग्रामीण जगंदमा प्रसाद पैन्युली ने बताया कि ये इस अभियान का ही असर है कि जो कूड़ा पहले इकट्ठा होकर सड़कों और नालियों में गंदगी फैलता था. आज बड़ी आसानी से उसका निस्तारण किया जा रहा है और ग्रामीणों का इसमें पूरा सहयोग है.

वहीं, पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल कृशाली ने बताया कि दो साल पहले आठ ग्राम पंचायत की जन जागृति समिति बनी थी. समिति ने निजी बैक के सीएसआर फंड से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आसान भाषा में कहें तो कूड़ा निस्तारण के लिए भोगपुर में कलस्टर का निर्माण किया था. इस दौरान ग्रामीणों को कूड़ा पृथकीकरण (जैविक-अजैविक) की जानकारी दी गई. साथ ही कूड़ा निस्तारण के लिए पूरे क्षेत्र में दो वाहन चलाए गए, जो घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करते थे.

पढ़ें- सराहनीय पहलः वीरान गांवों को आबाद करने का प्रयास, बंजर जमीनों पर 'रोजगार' की खेती

ग्रामीण स्वच्छता कलस्टर के अध्यक्ष पूर्णानंद तिवारी ने बताया कि आठ ग्राम पंचायतों के सयुक्त प्रसाय से शुरू किए गए इस प्रयोग से अन्य ग्राम पंचायत भी प्रभावित हुई. जिसमें बाद इसमें तीन और ग्राम पंचायत जुड़ी. ये इस मुहिम का ही असर है यहां लोग सफाई के ऊपर गीत तक गाने लगे हैं.


देहरादून: शहरों के बाद अब उत्तराखंड के गांवों में भी स्वच्छता की अलख जगने लगी है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में कूड़ा निस्तारण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया था. ऐसे में इस प्रोजेक्ट ने इन गांवों की तस्वीर बदल दी है. वहीं, इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद उत्तराखंड पंचायती राज विभाग अब प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का मन बना रहा है.

बता दें कि दो साल पहले एक प्रयोग के तौर पर डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की गई थी. ताकि शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी कूड़े का निस्तारण किया जा सके. प्रोजेक्ट के तहत अक्टूबर 2017 में डोइवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों के लिए भोगपुर में एक मॉडल कलस्टर लगाया गया था. यहां लोगों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जानकारी दी गई. इस प्रोजेक्ट की खासियत ये थी कि 8 ग्राम पंचायत मिलकर इस काम को कर रहे थे, जो अपने आप में एक अनूठा प्रयोग था.

डोइवाला की 11 ग्राम पंचायतों ने पेश की नजीर.

पढ़ें- बेरोजगारों के साथ बड़ा धोखा, 7 लाख 73 हजार में से सिर्फ 3652 को मिली नौकरी

इस प्रोजेक्ट का असर है कि आज न सिर्फ इससे ये ग्राम पंयाचत साफ सुथरी नजर आ रही है, बल्कि यहां के लोगों की मानसिकता में भी बड़ा परिवर्तन आया है. ग्रामीण जगंदमा प्रसाद पैन्युली ने बताया कि ये इस अभियान का ही असर है कि जो कूड़ा पहले इकट्ठा होकर सड़कों और नालियों में गंदगी फैलता था. आज बड़ी आसानी से उसका निस्तारण किया जा रहा है और ग्रामीणों का इसमें पूरा सहयोग है.

वहीं, पूर्व ग्राम प्रधान राजपाल कृशाली ने बताया कि दो साल पहले आठ ग्राम पंचायत की जन जागृति समिति बनी थी. समिति ने निजी बैक के सीएसआर फंड से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आसान भाषा में कहें तो कूड़ा निस्तारण के लिए भोगपुर में कलस्टर का निर्माण किया था. इस दौरान ग्रामीणों को कूड़ा पृथकीकरण (जैविक-अजैविक) की जानकारी दी गई. साथ ही कूड़ा निस्तारण के लिए पूरे क्षेत्र में दो वाहन चलाए गए, जो घर-घर जाकर कूड़ा एकत्रित करते थे.

पढ़ें- सराहनीय पहलः वीरान गांवों को आबाद करने का प्रयास, बंजर जमीनों पर 'रोजगार' की खेती

ग्रामीण स्वच्छता कलस्टर के अध्यक्ष पूर्णानंद तिवारी ने बताया कि आठ ग्राम पंचायतों के सयुक्त प्रसाय से शुरू किए गए इस प्रयोग से अन्य ग्राम पंचायत भी प्रभावित हुई. जिसमें बाद इसमें तीन और ग्राम पंचायत जुड़ी. ये इस मुहिम का ही असर है यहां लोग सफाई के ऊपर गीत तक गाने लगे हैं.


Intro:This is Special Story--

Note- इस खबर की फीड FTP से (uk_deh_02_rural_solid_waste_pilot_project_pkg_vis_byte_7205800) नाम से भेजी गई है।

एंकर-  स्वच्छ भारत अभियान के तहत उत्तराखंड के शहरों के बाद अब गांवों में भी स्चच्छता की अलख जगी है। पाइलेट प्रोजेक्ट के तौर पर देहरादून जिले की डोईवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतों में प्रयोग के तौर पर दो साल पहले शुरु किया गया भोगपूर स्वच्छता कलस्टर ने गांवों की तस्वीर भी बदली है और लोगों की मानसिकता में भी सफाई को लेकर हेरतंगेज बदलाव आये हैं। तो वहीं भोगपुर स्वच्छता कलस्टर की सफलता के बाद अब उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा प्रदेश के अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह प्रयोग किया जा रहा है। Body:(ओपनिंग पीटीसी)

पाइलेट प्रोजेक्ट के तौर पर देहरदून की डोईवाला विधानसभा की 11 ग्राम पंचायतो में शुरु की गई स्वच्छ ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की गई है। दो साल पहले प्रयोग के तौर शुरु किये गये भोगपुर कलस्टर ने आज इस क्षेत्र की कायापलट की है। कया पलट केवल गांव की गलियों में ही नही ब्लकी लोगों की मानसिकता में भी हुई है। ग्रामीण जगदम्बा प्रसाद पैन्युली का कहना है कि क्षेत्र वासियों के सहयोग से शुरु की कई इस पहल का आज असर दिखने लगा है। उन्होने कहा की जो कूड़ा पहले सड़को में कट्ठा होकर नालियों में गंदगी का कारण बनता था और उससे बिमारी पनपती थी अबै वैसा नही है। 
बाइट- जगदम्बा प्रसाद पैन्युली, ग्रामीण

पुर्व ग्राम प्रधान राजपाल कृशाली ने बताया कि 2 साल पहले एक 8 ग्राम पंचायत की एक जन जाग्रती समिती के तहत एक निजी बैक के सीएसआर फंड से सोलिड वेस्ट मेनेजमेंट यानी आसान भाषा में कहें तो कूड़ा निस्तारण के लिए स्चवच्था कलस्टर का निर्माण किया गया था। इसके तहत हर घर को कूड़ा पृथकीकरण की जानकारी दी गई, जैविक-अजैविक कूड़े के प्रती जागरुकता की गई और उसके बाद पूरे गांव में गीला और सूखा कूड़े के लिए अलग अलग कूड़ादान उपलब्ध करवाये गये साथ ही उस कूड़े के निस्तारण के लिए पूरे क्षेत्र में दो कूड़ा वाहन चलाए गये जो कि कूड़े को निस्तारण केंद्र में भेजता है। राजपाल बताते हैं कि इस पहल के बाद गांव में लोगों के व्यवहार में हेरतगेंज बदलाव देखने को मिला है। राजपाल ने बताया कि यह एक एसा तंत्र है जिसमें शुरुवात में तो आर्थिक मदत के लिए बाह्य सहायता की जरुरत पड़ी लेकिन समिती शुल्क के तौर पर ग्रामिणों से कूड़ा निस्तारण के लिए लिया जाने वाले शुल्क से यह तंत्र आत्म निर्भर बन जाएगा। 
बाइट- राजपाल सिंह कृषाली, पुर्व प्रधान 

(मिड पीटीसी)

डोईवाला विधानसभा के 8 ग्रामंपचांय के सयुक्त प्रयासों से शुरु हुई इस पहल से धीरे धीर आस पास के गांव भी प्रभावित हुए और 11 ग्राम पंचायतें इस कलस्टर में जुड़ गई। कमाल की बात यह है कि केवल मैदानी इलाकों में ही नही पहाड़ी मार्गों से होते हुए यह मुहीम पहाड़ी गांवों में भी कूड़ा निस्तारण के लिए बेहतर कार्य कर रही है। ग्रमीण अंचलों में शुरु की गई इस पहल के लिए जागृती प्रयार्वरण संयुक्त समिती भोगपुर का अध्यक्ष के रुप में नेतृत्व कर रहे पूर्णानंद तिवारी ने भी अपनी अहम भूूमीका निभाई है। गांवो में कूड़ा निस्थारण के प्रति यह उनका समर्पण ही है कि कूड़ा वाहन चालक जब कभी छुट्टी पर होता है तो वहा खुद ही कूड़ा वाहन लेकर चल पड़ते हैं। आप भी सुनए क्या कहते हैं पूर्णानंद तिवारी अपनी इस पहल को लेकर। 
बाइट- पूर्णानंद तिवारी, अध्यक्ष भोगपुर ग्रामीण स्वच्छता कलस्टर

डोईवाला विधानसभा की 11 ग्रामपंचायतों में इस स्चछता मिशन को लेकर लोगों का जुनून इस हत तक है कि लोग सफाई के ऊपर गीत तक गाने लगे हैं। एसे ही एक शक्श हैं स्वच्छता समीती की सूपरविजन करने वाले ग्रामीण रोनक भट्ट की भावना स्वच्छता के प्रती उनके गाने में झलकती है।
 रौनक भट्ट गाना

गांवो में स्वच्छता तंत्र को विकसित करने के लिए एव्री युएलबी स्टार्टअप के आइडिया पर इंडसलेंड बैंक के सहयोग से उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश के इस पहले ग्रामीण स्वच्छता कलस्टर की सफलता के बाद राज्य के अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में इस इस प्रोजेक्ट को मॉडल के रुप में प्रयोग किया जा रहा है। एव्री युएलबी  स्टार्टअप के प्रतिनिथी स्वगातम पटनायक का कहना है कि उत्तराखंड पंचायती राज विभाग द्वारा डोईवाला के इन भोगपुर स्वच्छता कलस्टर की जिम्मेदारी दी गई जिसके बाद अब अन्य जगहों पर यह प्रयोग किया जा रहा है।
 बाइट- स्वागतम पटनायक, प्रतिनिधी स्टार्टअप एव्री युएलबी 

कुल मिलाकर देखा जाय तो एक आइडिया आपका जीवन बदल सकता है वाला कथन इन गांवों की सड़कों औय इन गांवों में रहने वाले लोगों की बदली हुई मानसिकता से सही साबित हुआ है। वो गांव जहां सफाई को लेकर लोग बात नही करते थे वो गांव आच चमचमाता हुए नजर आता है। 
(एंड पीटीसी धीरज सजवाण)Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 11:11 PM IST
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