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भुखमरी के कगार पर 108 सेवा के कर्मचारी, सरकार को जगाने के लिए कराया मुंडन

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Published : Jun 10, 2019, 7:19 PM IST

108 सेवा के पूर्व कर्मचारी समान वेतनमान और नई कंपनी में समायोजित करने की मांग को लेकर बीते 44 दिनों से परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही 108 कर्मी 34 दिनों से क्रमिक अनशन पर हैं. इन कर्मचारियों में करीब 70 से 80 कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी आयु चालीस से साल से ऊपर हो चुकी है. उधर, सोमवार को कर्मचारियों ने सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई ना होने पर अपना सिर मुंडवा कर विरोध जताया.

108 कर्मियों ने सर मुंडवा कर जताया विरोध

देहरादूनः बीते लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर 108 सेवा के पूर्व कर्मी लगातार धरना दे रहे हैं. धरने को करीब 44 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभीतक उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अब मामले पर सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम ना उठाए जाने पर कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आज करीब दो दर्जन से ज्यादा कर्मियों ने सिर मुंडवा कर अपना विरोध जताया. साथ ही कहा कि मांगे पूरी ना होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

108 कर्मियों ने सर मुंडवा कर जताया सरकार का विरोध.


बता दें कि बीते 15 मई 2018 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल के दौरान 108 जीवीके इएमआरआई(GVK EMRI) उत्तराखंड में लॉन्च की गई थी. शुरू में ईएमआरआई यानी इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से यह सेवा जानी जाती थी. बाद में जीवीके इएमआरआई ने इस सेवा को टेकओवर किया था. करीब 11 साल सफलतापूर्वक संचालन के बाद बीते 1 मई से नई कंपनी 108 आपातकालीन सेवा को दिया गया है. जो इसका संचालन कर रही है. शासन के नए टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कैंप कंपनी को यह सेवाएं दी गई हैं. वहीं, सेवा टेकओवर हो जाने से ग्यारह साल 108 आपातकालीन सेवा में नौकरी कर रहे 717 कर्मचारियों के सामने रोजगार के साथ ही आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

ये भी पढ़ेंः पर्वतारोहियों के शवों को रेस्क्यू करने के लिए चलाया जाएगा सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन


उधर, 108 सेवा के पूर्व कर्मचारी समान वेतनमान और नई कंपनी में समायोजित करने की मांग को लेकर बीते 44 दिनों से परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही 108 कर्मी 34 दिनों से क्रमिक अनशन पर हैं. इन कर्मचारियों में करीब 70 से 80 कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी आयु चालीस से साल से ऊपर हो चुकी है. उधर, सोमवार को कर्मचारियों ने सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई ना होने पर अपना सिर मुंडवा कर विरोध जताया.


ऋषिकेश लोकेशन में तैनात रहे एंबुलेंस कर्मचारी अरुण कुमार ने बताया कि उनके परिवार में 5 सदस्य हैं. जिनमें दो बेटे, उनकी पत्नी और उनकी मां शामिल हैं. ऐसे में स्कूल की फीस भरना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है. जिससे उनके सामने परिवार का भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. साथ ही कहा कि 11 साल कंपनी में अपनी सेवाएं देने के दौरान उन्होंने कंपनी के लिए संघर्ष किया है, लेकिन अब रोजगार ना होने से उन्हें बच्चों को पालने के लिए बाहर का रुख करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड बीजेपी के एक और नेता का निधन, दिल्ली के मैक्स अस्पताल में ली अंतिम सांस


वहीं, लोहाघाट के गोविंद बल्लभ तिवारी का कहना है कि उनकी बेटी ने 91 प्रतिशत अंक लाकर पूरे विद्यालय में दूसरा स्थान हासिल किया है. ऐसे में बेटी को आगे पढ़ाना चुनौती बन गया है. उन्होंने कहा कि वे 44 साल के हो गए हैं. ऐसे में उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी. 108 आपातकालीन सेवा में उन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षण समर्पित किए हैं, लेकिन अब आर्थिकी चरमरा गई है. साथ ही कहा कि परिवार में कमाने वाले वो सिर्फ अकेले हैं, ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने के लिए पलायन का ही एक विकल्प बचा हुआ है.

देहरादूनः बीते लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर 108 सेवा के पूर्व कर्मी लगातार धरना दे रहे हैं. धरने को करीब 44 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभीतक उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. अब मामले पर सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम ना उठाए जाने पर कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आज करीब दो दर्जन से ज्यादा कर्मियों ने सिर मुंडवा कर अपना विरोध जताया. साथ ही कहा कि मांगे पूरी ना होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

108 कर्मियों ने सर मुंडवा कर जताया सरकार का विरोध.


बता दें कि बीते 15 मई 2018 को उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल के दौरान 108 जीवीके इएमआरआई(GVK EMRI) उत्तराखंड में लॉन्च की गई थी. शुरू में ईएमआरआई यानी इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से यह सेवा जानी जाती थी. बाद में जीवीके इएमआरआई ने इस सेवा को टेकओवर किया था. करीब 11 साल सफलतापूर्वक संचालन के बाद बीते 1 मई से नई कंपनी 108 आपातकालीन सेवा को दिया गया है. जो इसका संचालन कर रही है. शासन के नए टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कैंप कंपनी को यह सेवाएं दी गई हैं. वहीं, सेवा टेकओवर हो जाने से ग्यारह साल 108 आपातकालीन सेवा में नौकरी कर रहे 717 कर्मचारियों के सामने रोजगार के साथ ही आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

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उधर, 108 सेवा के पूर्व कर्मचारी समान वेतनमान और नई कंपनी में समायोजित करने की मांग को लेकर बीते 44 दिनों से परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही 108 कर्मी 34 दिनों से क्रमिक अनशन पर हैं. इन कर्मचारियों में करीब 70 से 80 कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी आयु चालीस से साल से ऊपर हो चुकी है. उधर, सोमवार को कर्मचारियों ने सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई ना होने पर अपना सिर मुंडवा कर विरोध जताया.


ऋषिकेश लोकेशन में तैनात रहे एंबुलेंस कर्मचारी अरुण कुमार ने बताया कि उनके परिवार में 5 सदस्य हैं. जिनमें दो बेटे, उनकी पत्नी और उनकी मां शामिल हैं. ऐसे में स्कूल की फीस भरना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है. जिससे उनके सामने परिवार का भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. साथ ही कहा कि 11 साल कंपनी में अपनी सेवाएं देने के दौरान उन्होंने कंपनी के लिए संघर्ष किया है, लेकिन अब रोजगार ना होने से उन्हें बच्चों को पालने के लिए बाहर का रुख करना पड़ेगा.

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वहीं, लोहाघाट के गोविंद बल्लभ तिवारी का कहना है कि उनकी बेटी ने 91 प्रतिशत अंक लाकर पूरे विद्यालय में दूसरा स्थान हासिल किया है. ऐसे में बेटी को आगे पढ़ाना चुनौती बन गया है. उन्होंने कहा कि वे 44 साल के हो गए हैं. ऐसे में उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी. 108 आपातकालीन सेवा में उन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षण समर्पित किए हैं, लेकिन अब आर्थिकी चरमरा गई है. साथ ही कहा कि परिवार में कमाने वाले वो सिर्फ अकेले हैं, ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने के लिए पलायन का ही एक विकल्प बचा हुआ है.

Intro:समायोजन व समान वेतनमान की मांग को लेकर 108 सेवा के पूर्व कर्मियों का 44 वें दिन परेड ग्राउंड में धरना जारी रहा 108 सेवा के पूर्व कर्मचारीयों ने सरकार की ओर से कोई सकारात्मक कदम ना उठाए जाने से नाराज होकर सिर मुंडवा कर अपना विरोध जताया,करीबन 2 दर्जन से अधिक 108 सेवा के पूर्व कर्मचारियों ने सिर मुंडवाये। इसके साथ ही 108 कर्मियों के धरने के साथ चल रहा क्रमिक अनशन 34 वें दिन में प्रवेश कर गया।


Body: दरअसल ग्यारह साल 108 आपातकालीन सेवा में नौकरी करने के बाद 717 कर्मचारियों के सामने रोजगार के साथ ही आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, इन कर्मचारियों में सत्तर से अस्सी कर्मचारी ऐसे है जिनकी आयु चालीस से ऊपर क्रोस कर चुकी हैं, 40 वर्ष की आयु पार कर चुके कुछ ऐसी कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा बयां की ऋषिकेश लोकेशन में तैनात रहे 45 वर्षीय अरुण कुमार ने बताया कि उनके परिवार में 5 सदस्य हैं जिनमें दो बेटे उनकी पत्नी और उनकी मां शामिल हैं ऐसे में स्कूल की फीस अदा करना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है क्योंकि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है इस परिस्थिति में परिवार का भरण पोषण करने के लिए पलायन ही एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है 11 साल कंपनी में अपनी सेवाएं देने के दौरान उन्होंने कंपनी के लिए लंबा संघर्ष किया ,लेकिन बच्चों को पालने के लिए बाहर का रुख करना पड़ेगा।

बाईट-अरुण कुमार,108 सेवा के पूर्व एम्बुलेंस चालक

44 वर्षीय लोहाघाट के गोविंद बल्लभ तिवारी बताते हैं कि उनकी पुत्री 91 प्रतिशत नंबरों से पास हुई है, पूरे विद्यालय में उनकी पुत्री को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है, ऐसे में बेटी को आगे पढ़ाना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी उम्र 44 साल हो चुके अपने कहां से नौकरी मिलेगी। 108 आपातकालीन सेवा में उन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षण समर्पित किए हैं, मैं नवंबर 2008 से आपातकालीन सेवा में कार्यरत थे अब स्थिति डांवाडोल नजर आ रही है क्योंकि घर में 5 सदस्य हैं ,और परिवार मे कमाने वाले वो सिर्फ अकेले हैं, ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने के लिए पलायन ही एक विकल्प बचता है।

बाईट-गोविंद वल्लभ तिवारी,108 सेवा के पूर्व एम्बुलेंस चालक


Conclusion:गौरतलब है कि 15 मई 2018 को 108 जीवीके इएमआरआई उत्तराखंड मे लॉन्च की गई थी ,उस दौरान उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक हुआ करते थे, शुरू में ईएमआर आई यानी इमरजेंसी मैनेजमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से यह सेवा कहलाई जाती थी उसके बाद जीवीके इएमआरआई ने इस सेवा को टेकओवर किया 11 साल सफलतापूर्वक संचालन के बाद बीते 30 अप्रैल के बाद नई कंपनी 108 आपातकालीन सेवा का संचालन उत्तराखंड में कर रही है,शासन नए टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कैंप कंपनी को यह सेवाएं सुपुर्द कर दी है
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