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प्रदेश में मनाया गया विश्व फार्मासिस्ट डे, संगठन ने सरकार के सामने रखी मांगें

विश्व फार्मासिस्ट दिवस के उपलक्ष्य पर प्रदेश में कई जगह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. साथ ही मरीजों को फल वितरित किए गए. वहीं, प्रदेश सरकार से फार्मासिस्टों की स्थिति में सुधार की मांग की गई.

प्रदेश में मनाया गया विश्व फार्मासिस्ट डे.
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Published : Sep 25, 2019, 5:58 PM IST

देहरादून/चंपावत: विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की ओर से दून अस्पताल और चंपावत के जिला अस्पताल में फार्मासिस्ट डे मनाया गया. इस कार्यक्रम के चलते दून असपताल में मरीजों को फल वितरित किए गए. साथ ही एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार से फार्मासिस्ट की स्थिति में सुधार की मांग की. वहीं, चंपावत में जिला अस्पताल में आयोजित गोष्ठी में सेफ एण्ड इफेक्टिव मेडिसन पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में सीएमओ आरपी खंडूड़ी और सीएमस आर के जोशी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

प्रदेश में मनाया गया विश्व फार्मासिस्ट डे.

देहरादून

देहरादून डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्षा सुधा कुकरेती ने बताया कि फार्मासिस्ट चिकित्सक और मरीज के बीच की अहम कड़ी हैं. हेल्थ केयर सिस्टम के माध्यम से ही आम जन को उचित मानक की दवाइयों के बारे में सूचना मिल पाती है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल की थीम सेफ एंड इफेक्टिव मेडिसिन फॉर ऑल है, जिसका उद्देश्य लोगों को दवाइयों के सुरक्षित प्रभावकारी तरीके से दवाई को मुहैया कराना है और उसके बारे में जानकारी देना है.

वहीं, सरकार से मांग करते हुए कहा कि आज फार्मासिस्ट संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. प्रदेश में फार्मासिस्टों की कमी बनी हुई है. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फार्मासिस्ट की जितनी संख्या राज्य में होनी चाहिए. उसके अनुपात में ये संख्या बेहद कम है. सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा मे फार्मासिस्टों की जल्द नियुक्ति करें.

ये भी पढ़ें: इंडस्ट्रियल समिटः PCC चीफ का बीजेपी पर हमला, बोले- निवेश लाने में सरकार फेल

चंपावत

स्वास्थ्य विभाग की रीड़ कहे जाने वाले फार्मासिस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं संभाले हुए हैं. विश्व फार्मसिस्ट दिवस पर जिला अस्पताल में गोष्ठी का आयोजन किया गया. साथ ही जिले की बढ़ती जनसंख्या के सापेक्ष फार्मासिस्ट की संख्या कम होने पर चिंता जाहिर की. पूरे जिले में 54 के सापेक्ष 51 फार्मासिस्ट तैनात हैं. सरकारी अस्पतालों में ओपीडी लगातर बढ़ रही है, लेकिन फार्मासिस्टों की संख्या कम है.

ये भी पढ़ें: हार्ट केयर सेंटर को लेकर जमकर हो रही राजनीति, खामियाजा भुगत रहे मरीज

आम जनता को दवाओं के सेवन के संबंध में जागरुकता पैदा करने के साथ दवा को किस तरह प्रयोग में लाना है. इसके बारे में फार्मासिस्ट ही जानकारी देते हैं. लोगों मे जेनरिक और ब्रॉन्डेड दवाओं के विषय में जो भ्रम की स्थिति बनी है, उसे दूर करने का काम फार्मासिस्ट ही करते हैं. गोष्ठी में बोलते हुए सीएमओ आरपी खंडूड़ी और सीएमस आर के जोशी ने फार्मासिस्टों की तारीफ करते हुए बताया कि फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण अंग है.

गौरतलब है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में करीब 25 फार्मासिस्ट तैनात हैं. जबकि समूचे उत्तराखंड में फार्मासिस्ट संवर्ग के कुल स्वीकृत पद 1543 हैं. उत्तराखंड के तीनों मेडिकल कॉलेजों में अभी तक कोई भी पद स्वीकृत ही नहीं किए गए हैं और फार्मासिस्ट कैडर के लिए पद स्वीकृत करने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है.

देहरादून/चंपावत: विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की ओर से दून अस्पताल और चंपावत के जिला अस्पताल में फार्मासिस्ट डे मनाया गया. इस कार्यक्रम के चलते दून असपताल में मरीजों को फल वितरित किए गए. साथ ही एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार से फार्मासिस्ट की स्थिति में सुधार की मांग की. वहीं, चंपावत में जिला अस्पताल में आयोजित गोष्ठी में सेफ एण्ड इफेक्टिव मेडिसन पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में सीएमओ आरपी खंडूड़ी और सीएमस आर के जोशी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

प्रदेश में मनाया गया विश्व फार्मासिस्ट डे.

देहरादून

देहरादून डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्षा सुधा कुकरेती ने बताया कि फार्मासिस्ट चिकित्सक और मरीज के बीच की अहम कड़ी हैं. हेल्थ केयर सिस्टम के माध्यम से ही आम जन को उचित मानक की दवाइयों के बारे में सूचना मिल पाती है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल की थीम सेफ एंड इफेक्टिव मेडिसिन फॉर ऑल है, जिसका उद्देश्य लोगों को दवाइयों के सुरक्षित प्रभावकारी तरीके से दवाई को मुहैया कराना है और उसके बारे में जानकारी देना है.

वहीं, सरकार से मांग करते हुए कहा कि आज फार्मासिस्ट संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. प्रदेश में फार्मासिस्टों की कमी बनी हुई है. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फार्मासिस्ट की जितनी संख्या राज्य में होनी चाहिए. उसके अनुपात में ये संख्या बेहद कम है. सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा मे फार्मासिस्टों की जल्द नियुक्ति करें.

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चंपावत

स्वास्थ्य विभाग की रीड़ कहे जाने वाले फार्मासिस्ट ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं संभाले हुए हैं. विश्व फार्मसिस्ट दिवस पर जिला अस्पताल में गोष्ठी का आयोजन किया गया. साथ ही जिले की बढ़ती जनसंख्या के सापेक्ष फार्मासिस्ट की संख्या कम होने पर चिंता जाहिर की. पूरे जिले में 54 के सापेक्ष 51 फार्मासिस्ट तैनात हैं. सरकारी अस्पतालों में ओपीडी लगातर बढ़ रही है, लेकिन फार्मासिस्टों की संख्या कम है.

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आम जनता को दवाओं के सेवन के संबंध में जागरुकता पैदा करने के साथ दवा को किस तरह प्रयोग में लाना है. इसके बारे में फार्मासिस्ट ही जानकारी देते हैं. लोगों मे जेनरिक और ब्रॉन्डेड दवाओं के विषय में जो भ्रम की स्थिति बनी है, उसे दूर करने का काम फार्मासिस्ट ही करते हैं. गोष्ठी में बोलते हुए सीएमओ आरपी खंडूड़ी और सीएमस आर के जोशी ने फार्मासिस्टों की तारीफ करते हुए बताया कि फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण अंग है.

गौरतलब है कि प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में करीब 25 फार्मासिस्ट तैनात हैं. जबकि समूचे उत्तराखंड में फार्मासिस्ट संवर्ग के कुल स्वीकृत पद 1543 हैं. उत्तराखंड के तीनों मेडिकल कॉलेजों में अभी तक कोई भी पद स्वीकृत ही नहीं किए गए हैं और फार्मासिस्ट कैडर के लिए पद स्वीकृत करने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है.

Intro:विश्व फार्मासिस्ट दिवस पर डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन की ओर से दून अस्पताल मैं मरीजों को फल वितरित कर फार्मासिस्ट डे मनाया गया। फार्मेसी स्टोर ने आज के दिन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्तांबुल तुर्की में फेडरेशन ऑफ फार्मासिस्ट की काउंसिल ने फार्मेसी स्टोर की हेल्थ केयर सिस्टम में अहम भूमिका पर चिंतन किया था जिसकी याद में प्रतिवर्ष फार्मासिस्ट दिवस के रूप में मनाया जाता है।


Body:डिप्लोमा फार्मासिस्ट एशोसिएशन देहरादून की अध्यक्ष सुधा कुकरेती ने कहा कि फार्मेसिस्ट चिकित्सक और मरीज के बीच की अहम कड़ी हैं। हेल्थ केयर सिस्टम के माध्यम से जनमानस को किस प्रकार से उचित मानक की दवाइयां उचित दामों पर उपलब्ध हो सके और दवाइयों का किस प्रकार सदुपयोग किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की थीम सेफ एंड इफेक्टिव मेडिसिन फॉर ऑल है। जिसका उद्देश्य लोगों को दवाइयों के सुरक्षित प्रभाव कारी तरीके से किस प्रकार दवाई को सेवन रोग मुक्ति के लिए किया जा सके इसकी जानकारी देना है।

उन्होंने फार्मासिस्ट की समस्याओं को केंद्रित करते हुए कहा कि जिस प्रकार से लगातार बीमारियां बढ़ रही है जैसे आजकल डेंगू टाइफाइड का प्रकोप पूरी तरह से फैला हुआ है इसके अलावा सीजनल बीमारियां भी लगातार बढ़ रही हैं इन बीमारियों में मरीजों को क्या दवाई दी जाएंगी और डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाइयों की डोज़ क्या होनी चाहिए, यह फार्मेसिस्ट के जीवन का सबसे कार्य माना जाता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को दवा देने का तरीका अलग अलग होता है उसी हिसाब से फार्म से दवाई कोई दोस्त को निर्धारित करता है। आज फार्मासिस्ट संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं, प्रदेश में फार्मासिस्टों की कमी बनी हुई है, उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए फार्मेसिस्ट की जितनी संख्या राज्य में होनी चाहिए उसके अनुपात में यह संख्या बेहद कम है। इसलिए सरकार स्वास्थ सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा मे फार्मासिस्टों की जल्द नियुक्ति करें।

बाईट-सुधा कुकरेती, अध्यक्षा, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन, देहरादून


Conclusion: गौरतलब है कि उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी दून मेडिकल कॉलेज में करीब 25 फार्मासिस्ट तैनात हैं, जबकि समूचे उत्तराखंड में फार्मासिस्ट संवर्ग ओके कुल स्वीकृत पद 1543 हैं। उत्तराखंड के तीनों मेडिकल कॉलेजों में अभी तक कोई भी पद स्वीकृत ही नहीं किए गए हैं,और नाही फार्मेसिस्ट कैडर के लिए पद स्वीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश में फार्मासिस्ट की कमी बनी हुई है, सभी फार्मासिस्टों ने आज के दिन सरकार का ध्यान इस विषय पर अपनी और खींचा है
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