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चंपावत: जर्जर हो चुकी लोहाघाट डिपो वर्कशॉप, डर के साए में काम करने को मजबूर कर्मी

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Published : Feb 1, 2020, 8:11 PM IST

लोहाघाट डिपो की वर्कशॉप के लिए बनाए गए सभी चार भवनों की स्थिति जर्जर हो गई है. बरसात के दिनों में छत से पानी भवनों के भीतर आ जाता है. ऐसे में कई बार मैकेनिक करंट की चपेट में आ गए हैं. बावजूद इसके अधिकारी मामले की सुध नहीं ले रहे हैं.

Uttarakhand Roadways Transport Corporation News
जर्जर भवन

चंपावत: उत्तराखंड रोडवेज परिवहन निगम की लोहाघाट डिपो वर्कशॉप अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. वर्कशॉप में बने चारों भवन जर्जर हो गए हैं. ऐसे में यहां के कर्मचारी खौफ के साए में काम करने को मजबूर हैं. विभागीय उदासीनता के चलते ये भवन कभी भी जमींदोज हो सकता है.

बता दें कि साल 1989 में छमनियां लोहाघाट में बने इस वर्कशॉप में कुल चार भवन बने थे. इनमें सबसे पहले फोरमैन कक्ष, दूसरा डीजल कक्ष और स्टोर के अलावा मुख्य वर्कशॉप को टिन शेड में बनाया गया था. लेकिन अब वर्कशॉप के तीनों भवनों की छत के साथ-साथ दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं. बरसात के दिनों में तो हर कक्ष के भीतर अंदर पानी आना आम बात हो गई है. वहीं, बसों की मरम्मत के लिए इस्तेमाल किए जा रहे वर्कशॉप के ऊपर लगाई गई टिन शेड क्षतिग्रस्त हो गई है. जिसके चलते हर समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है.

जर्जर हालत में लोहाघाट डिपो वर्कशॉप.

रोडवेज कर्मचारी यूनियन के डिपो मंत्री मनोज मिश्रा ने बताया कि बरसात के दौरान अक्सर छत के गिरने का डर लगा रहता है. वहीं, छत से टपकने वाले पानी के कारण कार्यालय में रखे रजिस्टर भी खराब हो गए हैं. ऐसे में वर्कशाप के भवनों की मरम्मत के साथ-साथ यहां पूर्ण स्टाफ की नियुक्ति भी जरूरी है. वहीं, बस मैकेनिक मनोज ने बताया कि बरसात के कारण छत से टपक रहे पानी से उनको करंट भी लग चुका है.

ये भी पढ़ें: अब हवाई सेवाओं में कोहरे और धुंध नहीं बनेंगे बाधक, पंतनगर एयरपोर्ट में लगेंगे खास उपकरण

डिपो एजीएम राजेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि वर्कशॉप सहित चारों भवन जीर्णशीर्ण हो चुके हैं. सभी भवनों की छत और दीवारों से बारिश में पानी अंदर आता है. पुनर्निर्माण कार्य के लिए बजट मुख्यालय के द्वारा ही जारी किया जाता हैं. ऐसे में एक सप्ताह के भीतर वर्कशॉप के सभी भवनों की मरम्मत का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा.

चंपावत: उत्तराखंड रोडवेज परिवहन निगम की लोहाघाट डिपो वर्कशॉप अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. वर्कशॉप में बने चारों भवन जर्जर हो गए हैं. ऐसे में यहां के कर्मचारी खौफ के साए में काम करने को मजबूर हैं. विभागीय उदासीनता के चलते ये भवन कभी भी जमींदोज हो सकता है.

बता दें कि साल 1989 में छमनियां लोहाघाट में बने इस वर्कशॉप में कुल चार भवन बने थे. इनमें सबसे पहले फोरमैन कक्ष, दूसरा डीजल कक्ष और स्टोर के अलावा मुख्य वर्कशॉप को टिन शेड में बनाया गया था. लेकिन अब वर्कशॉप के तीनों भवनों की छत के साथ-साथ दीवारों में भी दरारें पड़ गई हैं. बरसात के दिनों में तो हर कक्ष के भीतर अंदर पानी आना आम बात हो गई है. वहीं, बसों की मरम्मत के लिए इस्तेमाल किए जा रहे वर्कशॉप के ऊपर लगाई गई टिन शेड क्षतिग्रस्त हो गई है. जिसके चलते हर समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है.

जर्जर हालत में लोहाघाट डिपो वर्कशॉप.

रोडवेज कर्मचारी यूनियन के डिपो मंत्री मनोज मिश्रा ने बताया कि बरसात के दौरान अक्सर छत के गिरने का डर लगा रहता है. वहीं, छत से टपकने वाले पानी के कारण कार्यालय में रखे रजिस्टर भी खराब हो गए हैं. ऐसे में वर्कशाप के भवनों की मरम्मत के साथ-साथ यहां पूर्ण स्टाफ की नियुक्ति भी जरूरी है. वहीं, बस मैकेनिक मनोज ने बताया कि बरसात के कारण छत से टपक रहे पानी से उनको करंट भी लग चुका है.

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डिपो एजीएम राजेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि वर्कशॉप सहित चारों भवन जीर्णशीर्ण हो चुके हैं. सभी भवनों की छत और दीवारों से बारिश में पानी अंदर आता है. पुनर्निर्माण कार्य के लिए बजट मुख्यालय के द्वारा ही जारी किया जाता हैं. ऐसे में एक सप्ताह के भीतर वर्कशॉप के सभी भवनों की मरम्मत का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा.

Intro:चम्पावत। लोहाघाट
उत्तराखंड रोडवेज परिवहन निगम के लोहाघाट डिपो की वर्कशॉप अपनी बदहाली का रोना रो रहा है । वर्कशॉप में बने चार भवन जर्जर हो गए हैं कि इनमे पड़ी दरारों को देखकर हर कर्मचारी खौफ के साए में काम करने को मजबूर है। विभागीय उदासीनता के चलते ये भवन कभी भी जमींदोज हो सकते हैं।
वर्ष 1989 में छमनियां लोहाघाट में बने इस वर्कशॉप में कुल चार भवन बने थे। इनमें सबसे पहले फोरमैन कक्ष, दूसरा डीजल कक्ष और स्टोर के अलावा मुख्य वर्कशॉप जो टिन सेड से बना हुआ है। वर्कशॉप के तीनों भवनों की छत के अलावा दीवारों में दरारें पड़ गई हैं। जिससे बरसात के दिनों में तो हर कमरों के अंदर पानी आना आम बात हो गई है। कमोबेश यही हाल बसों की मरम्मत वाले वर्कशॉप के ऊपर पड़ी टिन की छत का है। जो खोखले होकर हर समय दुर्घटना को दावत दे रही है। वर्कशॉप पर काम करने वाले मेकेनिक मनोज ने बताया कि बरसात के कारण टपक रहे पानी के कारण उनको एक बार करंट भी लग चुका है। Body:उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के डिपो मंत्री मनोज मिश्रा, महिपाल सिंह, गजेन्द्र सिंह और वर्कशॉप पर लेखा-जोशा देखने वाले कर्मचारियों ने बताया कि बरसातों में अक्सर छत के गिरने की आशंका के कारण अंदर काम करने में डर लगता है। उन्होंने बताया कि कई बार तो उनके रजिस्टर भी गीले हो गए हैं। पानी से खराब होने के डर से कंम्यूटर वर्क वहां पर नहीं होता है। भवनों की मरम्मत के अलावा सबसे पहले तो पूर्ण स्टाफ की नियुक्ति होनी चाहिए
Conclusion:वही डिपो के एजीएम राजेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि

वर्कशॉप सहित चारों भवन जीर्णशीर्ण हो चुके हैं। सभी भवनों की छत और दीवारों से बारिश में पानी अंदर आता दिखता है। एक सप्ताह के अंदर वर्कशॉप के सभी भवनों का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। ये सभी काम मुख्यालय से ही होते हैं।
बाइट1- एजीएम राजेंद्र कुमार आर्य
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