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रिवर्स पलायन की मुहिम का हिस्सा बने चंपावत के दो भाई, शुरू किया स्वरोजगार

चंपावत में रिवर्स पलायन के रुप में दो सगे भाइयों पीतांबर जोशी और बलदेव जोशी ने चप्पलों की फैक्ट्री खोली है. साल 2019 में पीएमईजीपी के तहत ग्राम उद्याोग योजना से 10 लाख रूपये का लोन लेकर इन्होंने ये काम शुरू किया था.

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दो सगे भाइयों ने शुरू किया चप्पल की फैक्ट्री
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Published : Jun 25, 2020, 8:47 PM IST

चंपावत : जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर किस्कोट गांव में दो सगे भाईयों पीतांबर जोशी एवं बलदेव जोशी ने पहाड़ से पलायन को रोकने के लिए चप्पल की फैक्ट्री खोली है. दरअसल, दोनों भाईयों का मुख्य उद्देश्य पहाड़ से पलायन को रोकना और जिले के युवाओं को रोजगार से जोड़ने का है. इन दोनों भाईयों ने यूके हिल्स ब्रांड के नाम से चप्पलों को बाजार में उतारा है. इन भाईयों का कहना है कि 2019 में उन्होंने पीएमईजीपी के तहत ग्राम उद्योग योजना से 10 लाख रुपये का लोन लेकर काम शुरू किया है. इस उद्योग के माध्यम से दोनों भाई हर महीना 30 से 35 हजार रुपये कमा लेते हैं, साथ ही लोन की धनराशि को भी उन्होंने काफी कम कर दिया है.

दो सगे भाइयों ने शुरू किया चप्पल की फैक्ट्री

पीतांबर और बलदेव जोशी कहते हैं कि पहले वे प्रदेश से बाहर नौकरी करते थे. जहां बड़ा भाई पीतांबर जोशी पिछले काफी सालों से मौन पालन(मधुमक्खी व्यवसाय) से जुड़े थे. जहां पूरे महीने का काम करने के बाद उन्हें महज दस से बारह हजार रुपये वेतन ही मिल पाता था. यही हाल छोटे भाई बलदेव जोशी का भी था. बलदेव दिल्ली के होटलों में काम करके प्रतिमाह 10 हजार रुपए ही कमा पाते थे. लेकिन, फिर दोनों भाईयों ने अपने गांव लौटकर स्वरोजगार का मन बनाया और चप्पलों का उद्योग शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनके तैयार चप्पलों को चंपावत, लोहाघाट सहित पिथौरागढ़ को भेजा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: चंपावत के काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

उन्होंने बताया कि अगर कंपनी सही से चली तो स्थानीय लोगों को भी इस रोजगार से जोड़ा जाएगा.

चंपावत : जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर किस्कोट गांव में दो सगे भाईयों पीतांबर जोशी एवं बलदेव जोशी ने पहाड़ से पलायन को रोकने के लिए चप्पल की फैक्ट्री खोली है. दरअसल, दोनों भाईयों का मुख्य उद्देश्य पहाड़ से पलायन को रोकना और जिले के युवाओं को रोजगार से जोड़ने का है. इन दोनों भाईयों ने यूके हिल्स ब्रांड के नाम से चप्पलों को बाजार में उतारा है. इन भाईयों का कहना है कि 2019 में उन्होंने पीएमईजीपी के तहत ग्राम उद्योग योजना से 10 लाख रुपये का लोन लेकर काम शुरू किया है. इस उद्योग के माध्यम से दोनों भाई हर महीना 30 से 35 हजार रुपये कमा लेते हैं, साथ ही लोन की धनराशि को भी उन्होंने काफी कम कर दिया है.

दो सगे भाइयों ने शुरू किया चप्पल की फैक्ट्री

पीतांबर और बलदेव जोशी कहते हैं कि पहले वे प्रदेश से बाहर नौकरी करते थे. जहां बड़ा भाई पीतांबर जोशी पिछले काफी सालों से मौन पालन(मधुमक्खी व्यवसाय) से जुड़े थे. जहां पूरे महीने का काम करने के बाद उन्हें महज दस से बारह हजार रुपये वेतन ही मिल पाता था. यही हाल छोटे भाई बलदेव जोशी का भी था. बलदेव दिल्ली के होटलों में काम करके प्रतिमाह 10 हजार रुपए ही कमा पाते थे. लेकिन, फिर दोनों भाईयों ने अपने गांव लौटकर स्वरोजगार का मन बनाया और चप्पलों का उद्योग शुरू किया. उन्होंने बताया कि उनके तैयार चप्पलों को चंपावत, लोहाघाट सहित पिथौरागढ़ को भेजा जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि अगर कंपनी सही से चली तो स्थानीय लोगों को भी इस रोजगार से जोड़ा जाएगा.

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