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चंपावत: बग्वाल मेले के दूसरे दिन निकली मां बाराही की शोभा यात्रा

चंपावत के देवीधुरा में बग्वाल मेले के दूसरे दिन मां बाराही की मूर्ति को मुख्य मंदिर से मुच्कन्द ऋषि के आश्रम लाया गया.

मां बाराही की शोभा यात्रा
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Published : Aug 16, 2019, 10:27 PM IST

चंपावत: देवीधुरा की ख्याति पूरे विश्व में बग्वाल मेले के लिए है. लेकिन मां बाराही के मंदिर में रखी एक ताम्र पेटी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. बग्वाल के दूसरे दिन मां बाराही की मूर्ति को मुख्य मंदिर से मुच्कन्द ऋषि के आश्रम लाया गया. जोकि उनका ससुराल भी है. इस शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए.

मां बाराही की शोभा यात्रा.

बता दें कि मुख्य मंदिर में तांबे की पेटी में मां बाराही देवी की मूर्ति है. हर साल भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा को बागड़ जाती के क्षत्रीय वंशज द्वारा ताम्र पेटिका को मुख्य मंदिर से नंद घर लाया जाता है. जहां आंखों में पट्टी बांध कर मां का स्नान कर श्रृंगार किया जाता है और माता की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है.

पढ़ें: CCTV कैमरे में गोली मारते कैद हुए बदमाश, देखें वीडियो

वहीं, पीठाचार्य भुवन बल्लभ शास्त्री की माने तो ताम्र पेटिका में मां की बिना वस्त्र वाली मूर्ति रखी है. जिसे अगर कोई खुली आंखों से देख लेता हो तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है.

चंपावत: देवीधुरा की ख्याति पूरे विश्व में बग्वाल मेले के लिए है. लेकिन मां बाराही के मंदिर में रखी एक ताम्र पेटी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. बग्वाल के दूसरे दिन मां बाराही की मूर्ति को मुख्य मंदिर से मुच्कन्द ऋषि के आश्रम लाया गया. जोकि उनका ससुराल भी है. इस शोभा यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए.

मां बाराही की शोभा यात्रा.

बता दें कि मुख्य मंदिर में तांबे की पेटी में मां बाराही देवी की मूर्ति है. हर साल भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा को बागड़ जाती के क्षत्रीय वंशज द्वारा ताम्र पेटिका को मुख्य मंदिर से नंद घर लाया जाता है. जहां आंखों में पट्टी बांध कर मां का स्नान कर श्रृंगार किया जाता है और माता की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है.

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वहीं, पीठाचार्य भुवन बल्लभ शास्त्री की माने तो ताम्र पेटिका में मां की बिना वस्त्र वाली मूर्ति रखी है. जिसे अगर कोई खुली आंखों से देख लेता हो तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है.

Intro:
- ताम्र पेटी में रखी माँ की मूर्ती अपने मे छुपाये है कई राज

एंकर- चम्पावत। मां बाराही धाम में बग्वाल के दूसरे दिन माँ बाराही की तांबे के सन्दूक मे रखी मां बारही की मूर्ती को मुख्य मन्दिर से मुच्कन्द ऋषी के आश्रम यानी अपने ससुराल ले जाया जाता है। जिसमे हजारों भक्तों शोभा यात्रा में शामिल होते हैं।
मान्यता यह है कि ताम्र पेटिका में माँ की बिना वस्त्र धारण वाली मूर्ती अगल कोई खुली आँखों देख लेता हो तो उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है।
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Body:प्राचीन मान्यता है कि मां की इस मूर्ती में इतना तेज है कि आजतक जिसने भी खुली आंखों से माता की मूर्ती को देखने का प्रयास किया उसने अपने आंखों की रोशनी खो दी।
देवीधुरा की ख्याति भले ही विश्व में बग्वाल मेले के लिए हो, लेकिन मां बाराही के मन्दिर में रखी एक ताम्र पेटी अभी अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैConclusion:मुख्य मंदिर में तांबे की पेटिका में मां बाराही देवी की मूर्ति है, हर साल भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा को बागड़ जाती के क्षत्रीय वंशज द्वारा ताम्र पेटिका को मुख्य मंदिर से नंद घर में लाया जाता है, जहां आंखों में पट्टी बांध कर मां का स्नान कर श्रंगार किया जाता है और माता की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है।
बाईट-1-2 पीठाचार्य भुवन बल्लभ शास्त्री
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