चंपावत/खटीमाः चंपावत जिला अस्पताल में प्रसूता के मौत के मामले पर परिजनों और ग्रामीणों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. परिजनों का कहना है कि प्रसव के दौरान लापरवाही और बाद रेफर करने में की गई देरी की वजह से प्रसूता की मौत हुई है. वहीं, जिला चिकित्सा अधिकारी केके अग्रवाल का कहना है कि परिजनों की शिकायत पर जांच कमेटी बनाई जा रही है, जो 1 हफ्ते के अंदर जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी. इसके बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
ये है पूरा मामला. चंपावत की बाजरीकोट की रहने वाली संध्या को परिजनों ने प्रसव पीड़ा होने पर 19 जुलाई को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. संध्या ने ऑपरेशन से शिशु को जन्म दिया. 21 जुलाई को जच्चा बच्चा को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन संध्या को 23 जुलाई से लगातार बुखार आ रहा था. दवा से राहत नहीं मिलने और तबीयत बिगड़ने पर 27 जुलाई को संध्या को फिर से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
इसके बाद अगले ही दिन 28 जुलाई को संध्या को हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर किया गया. लेकिन हल्द्वानी ले जाने से पहले प्रसूता को एक अन्य निजी अस्पताल में दिखाया गया. निजी अस्पताल ने चेकअप करने के बाद संक्रमण फैलने की दलील देते हुए बाहर ले जाने की सलाह दी. इसके बाद परिजन हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल ले गए. लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने संक्रमण फैलने की बात कही.
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इसके बाद 29 जुलाई को संध्या को बरेली के भोजीपुरा में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने संक्रमण फैलने से शरीर के अधिकांश अंगों के काम नहीं करने की जानकारी दी. इसी बीच 29 जुलाई की शाम को भोजीपुरा में संध्या ने दम तोड़ दिया. 30 जुलाई को संध्या का अंतिम संस्कार किया गया.
परिजनों का आरोपः परिजनों ने इस मामले में सोमवार को जिला अस्पताल का घेराव करते हुए जिला अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि प्रसव के दौरान लापरवाही और बाद रेफर करने में की गई देरी की वजह से संध्या की जान गई है. वहीं, संध्या के पति छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ में तैनात हैं.
जांच कमेटी गठितः इस पूरे मामले पर मीडिया को जानकारी देते हुए जिला चिकित्सा अधिकारी केके अग्रवाल ने बताया कि प्रसूता को पहले इलाज के बाद घर भेज दिया गया था. दोबारा भर्ती होने के समय महिला को बुखार आ रहा था, जिसका इलाज किए जाने के बीच ही महिला के परिजन उसको अन्य अस्पताल में ले गए, जहां महिला की मौत हो गई. परिजनों की शिकायत पर इस मामले में जांच कमेटी बनाई जा रही है जो 1 हफ्ते के अंदर पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी. उसके बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.