चंपावत: कुमाऊं में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के कारण एक 8 साल की बच्ची की जान खतरे में पड़ गई. लोहाघाट निवासी 8 साल की कामिनी ने 3 दिन पहले कान की रिंग निगल ली थी. रिंग उसकी सांस की नली में फंस गई. लेकिन कुमाऊं के सबसे बड़े सुशीला तिवारी अस्पताल में संसाधनों की कमी के चलते बच्ची को रात एक बजे इलाज के लिए दिल्ली ले जाना पड़ा.
कुमाऊं के सबसे बडे़ अस्पताल सुशीला तिवारी में सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को हमेशा से ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ताजा मामला एक बच्ची के गले में रिंग फंसने का है. इस मामले से ये तो साफ हो गया है कि इतने बड़े अस्पताल में संसाधनों की कमी के कारण बड़ी बीमारियों का इलाज अब तक संभव नहीं हो पाया है.
कामिनी के परिजनों ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल में तैनात डॉक्टरों का व्यवहार भी ठीक नहीं है. 108 से मरीज को लाने के बाद भी रात के 12 बजे तक बच्ची को भर्ती नहीं किया. एक्स-रे करने के बाद डॉक्टरों ने पुराने औजारों का हवाला देकर इलाज करने से मना कर दिया. साथ ही परिजनों ने जब रेफर कागज बनाने की बात कही तो बताया कि बच्ची को अस्पताल में भर्ती ही नहीं किया गया.
जैसे-तैसे परिजन बच्ची को लेकर दिल्ली पहुंचे और एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां कामिनी का इलाज चल रहा है.