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चंपावतः चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद नवजात को मिली मां की गोद - uttarakhand child line

चंपावत के बाराकोट क्षेत्र में तीन दिन पहले लोहाघाट अस्पताल में जन्म लेने के बाद से मां की गोद को तरस रहे शिशु को चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद मां की गोद मिली है.

Newborn gets mother's lap
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Published : Mar 3, 2021, 10:50 PM IST

चंपावतः तीन दिन पहले लोहाघाट अस्पताल में जन्म लेने के बाद से मां की गोद को तरस रहे शिशु को चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद मां की गोद मिली है. किन्हीं कारणों के चलते नवजात को अस्पताल में छोड़ गई मां की चाइल्ड लाइन की टीम ने काउंसलिंग की और उसे काफी समझाया, जिसके बाद वह बच्चे को अपने साथ ले जाने के लिए राजी हो गई.

गौरतलब है कि बाराकोट क्षेत्र की एक महिला ने तीन दिन पहले सीएचसी लोहाघाट में शिशु को जन्म दिया. महिला शिशु को जन्म देने के बाद किन्हीं कारणों के चलते उसे अपने साथ ले जाने से इन्कार करते हुए चली गई. वहीं, सीएचसी लोहाघाट के सीएमएस ने उसे अपने संरक्षण में रख लिया. हो-हल्ला हुआ तो सीएमएस ने एसडीएम के यहां से एक संरक्षण पत्र भी जारी करवा लिया.

वहीं, सीएमएस के दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने के चलते हिंदुवादी संगठनों ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने एसडीएम द्वारा आनन-फानन में संरक्षण पत्र जारी किए जाने पर भी रोष जताते हुए सवाल उठाए. कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत डीएम से भी की. मांग यह भी उठाई गई है कि इससे पहले भी कुछ बच्चे संरक्षण में लिए गए हैं, आखिर वह कहां हैं और उनको गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी हुई है या नहीं? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इसमें आगे क्या कार्रवाई करता है.

ये भी पढ़ेंः वॉल पेंटिग के जरिए मां और शिशु के रिश्ते को दीवारों पर उकेर रहे नौनिहाल

उधर, जब मामला चाइल्ड हेल्पलाइन के संज्ञान में आया तो टीम ने नवजात शिशु की मां से मुलाकात की और उनकी काउंसलिंग की गई. समाजसेवा के कार्यों से जुड़े लोगों के माध्यम से उन्हें समझाया गया. तब जाकर शिशु की मां बच्चे को अपने साथ ले जाने को तैयार हुई. बुधवार को ​नवजात को उसकी मां अपने साथ ले गई और चाइल्ड लाइन के प्रयासों से एक नवजात को मां की गोद नसीब हो सकी.

वहीं, इस कार्य में चाइल्ड लाइन की समन्वयक संतोषी, टीम मेंबर जानकी राणा, ललिता बोहरा, सीमा देवी, काउंसलर पूजा लोहनी के साथ ही समाजसेवी सतीश पांडेय आदि का सराहनीय सहयोग रहा.

चंपावतः तीन दिन पहले लोहाघाट अस्पताल में जन्म लेने के बाद से मां की गोद को तरस रहे शिशु को चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद मां की गोद मिली है. किन्हीं कारणों के चलते नवजात को अस्पताल में छोड़ गई मां की चाइल्ड लाइन की टीम ने काउंसलिंग की और उसे काफी समझाया, जिसके बाद वह बच्चे को अपने साथ ले जाने के लिए राजी हो गई.

गौरतलब है कि बाराकोट क्षेत्र की एक महिला ने तीन दिन पहले सीएचसी लोहाघाट में शिशु को जन्म दिया. महिला शिशु को जन्म देने के बाद किन्हीं कारणों के चलते उसे अपने साथ ले जाने से इन्कार करते हुए चली गई. वहीं, सीएचसी लोहाघाट के सीएमएस ने उसे अपने संरक्षण में रख लिया. हो-हल्ला हुआ तो सीएमएस ने एसडीएम के यहां से एक संरक्षण पत्र भी जारी करवा लिया.

वहीं, सीएमएस के दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने के चलते हिंदुवादी संगठनों ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने एसडीएम द्वारा आनन-फानन में संरक्षण पत्र जारी किए जाने पर भी रोष जताते हुए सवाल उठाए. कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत डीएम से भी की. मांग यह भी उठाई गई है कि इससे पहले भी कुछ बच्चे संरक्षण में लिए गए हैं, आखिर वह कहां हैं और उनको गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी हुई है या नहीं? अब देखना यह होगा कि प्रशासन इसमें आगे क्या कार्रवाई करता है.

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उधर, जब मामला चाइल्ड हेल्पलाइन के संज्ञान में आया तो टीम ने नवजात शिशु की मां से मुलाकात की और उनकी काउंसलिंग की गई. समाजसेवा के कार्यों से जुड़े लोगों के माध्यम से उन्हें समझाया गया. तब जाकर शिशु की मां बच्चे को अपने साथ ले जाने को तैयार हुई. बुधवार को ​नवजात को उसकी मां अपने साथ ले गई और चाइल्ड लाइन के प्रयासों से एक नवजात को मां की गोद नसीब हो सकी.

वहीं, इस कार्य में चाइल्ड लाइन की समन्वयक संतोषी, टीम मेंबर जानकी राणा, ललिता बोहरा, सीमा देवी, काउंसलर पूजा लोहनी के साथ ही समाजसेवी सतीश पांडेय आदि का सराहनीय सहयोग रहा.

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