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चाइनीज राखी को कहिए NO, इस बार कलाई पर बांधिए 'कुमाऊंनी राखी' - Kumaoni Rakhi

चंपावत की कुंजिका वर्मा हैंडमेड राखी बनाकर कोरोना महामारी के दौर में घर से ही स्वरोजगार कर रही हैं और दूसरे को भी प्रेरणा दे रही हैं.

Kumaoni Rakhi
चाइनीज राखी को कहिए NO
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Published : Jul 19, 2020, 7:40 PM IST

चंपावत: रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षाबंधन कहलाता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं. लोहाघाट नगर की कुंजिका वर्मा इस रक्षाबंधन को कुछ अलग बनाने में जुटी हुई हैं. घर में बैठे-बैठे कुंजिका बेकार पड़े सामानों के जरिए खूबसूरत राखियां बना रही हैं. कुंजिका की बनाई राखियां फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन तेजी से बिक रहीं हैं.

इस बार कलाई पर बांधिए 'कुमाऊंनी राखी'.

लोहाघाट की रहने वाली कुंजिका वर्मा को बचपन से ही कला में रुचि थी. अपने शौक के चलते कुंजिका ने अल्मोड़ा एसएस जीना कॉलेज से ऑर्ट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. कुंजिका 2 साल पहले बनाई पेंटिंग, राखी, कुमाऊंनी ऐपण को फेसबुक के जरिए लोगों के साथ साझा किया, जिसकी बड़े पैमाने पर सराहना की जा रही है. फेसबुक पेज के जरिए अब कुंजिका को राखियों का ऑर्डर मिल रहा है, जिसकी वजह से अब कुंजिका बड़ी संख्या में हैंडमेड राखियां बना रही हैं.

ये भी पढ़ें: 'ब्लैक गोल्ड' की बढ़ रही 'चमक', जानिए कैसे तय होती हैं तेल की कीमतें

कुंजिका द्वारा तैयार की गई विभिन्न प्रकार की राखियों में खरीददार अपना नाम या फोटो भी लगवा सकते हैं. कुंजिका की बनाई राखी 15 से 60 रुपए के बीच बाजारों में भी उपलब्ध है, जो चाइनीज राखी से बेहतर हैं और उत्तराखंड की संस्कृति को संजोने का काम कर रही है.

इसके अलावा कुंजिका चाबी के छल्ले, ऐपण और पेंटिंग्स बनाकर भी ऑनलाइन बेचती हैं. उनका फेसबुक पर कुंजिका आर्ट्स नाम से अपना वेब पेज भी है. जिससे वह अपने द्वारा बनाए गए पेंटिंग, राखी, ऐपण, कलश, चाबी के छल्ले, ड्रीमकैचर आदि का प्रचार-प्रसार करती हैं. कुंजिका के इस काम में उनकी मां और भाई भी हाथ बंटा रहे हैं. ऐसे में कुंजिका कोरोना महामारी के दौर में घर से ही स्वरोजगार कर रही है और दूसरे को भी प्रेरणा दे रही हैं.

चंपावत: रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षाबंधन कहलाता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं. लोहाघाट नगर की कुंजिका वर्मा इस रक्षाबंधन को कुछ अलग बनाने में जुटी हुई हैं. घर में बैठे-बैठे कुंजिका बेकार पड़े सामानों के जरिए खूबसूरत राखियां बना रही हैं. कुंजिका की बनाई राखियां फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से ऑनलाइन तेजी से बिक रहीं हैं.

इस बार कलाई पर बांधिए 'कुमाऊंनी राखी'.

लोहाघाट की रहने वाली कुंजिका वर्मा को बचपन से ही कला में रुचि थी. अपने शौक के चलते कुंजिका ने अल्मोड़ा एसएस जीना कॉलेज से ऑर्ट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. कुंजिका 2 साल पहले बनाई पेंटिंग, राखी, कुमाऊंनी ऐपण को फेसबुक के जरिए लोगों के साथ साझा किया, जिसकी बड़े पैमाने पर सराहना की जा रही है. फेसबुक पेज के जरिए अब कुंजिका को राखियों का ऑर्डर मिल रहा है, जिसकी वजह से अब कुंजिका बड़ी संख्या में हैंडमेड राखियां बना रही हैं.

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कुंजिका द्वारा तैयार की गई विभिन्न प्रकार की राखियों में खरीददार अपना नाम या फोटो भी लगवा सकते हैं. कुंजिका की बनाई राखी 15 से 60 रुपए के बीच बाजारों में भी उपलब्ध है, जो चाइनीज राखी से बेहतर हैं और उत्तराखंड की संस्कृति को संजोने का काम कर रही है.

इसके अलावा कुंजिका चाबी के छल्ले, ऐपण और पेंटिंग्स बनाकर भी ऑनलाइन बेचती हैं. उनका फेसबुक पर कुंजिका आर्ट्स नाम से अपना वेब पेज भी है. जिससे वह अपने द्वारा बनाए गए पेंटिंग, राखी, ऐपण, कलश, चाबी के छल्ले, ड्रीमकैचर आदि का प्रचार-प्रसार करती हैं. कुंजिका के इस काम में उनकी मां और भाई भी हाथ बंटा रहे हैं. ऐसे में कुंजिका कोरोना महामारी के दौर में घर से ही स्वरोजगार कर रही है और दूसरे को भी प्रेरणा दे रही हैं.

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