चंपावत: उत्तराखंड की संस्कृति के लोकपर्व सातू-आठू को सादगी के साथ मनाया गया. महिलाओं ने गौरा-महेश की पूजा कर सुख समृद्धि की कामना की. चंपावत में पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने सादगी के साथ गौरा-महेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया है.
नगर के मल्लीहाट में बिष्ट भवन में महिलाओं ने शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की. इसके अलावा ज्वाला देवी मंदिर, छतार, मादली आदि स्थानों में भी महिलाओं ने गौरा महेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया. लोहाघाट नगर में नेपाल सीमा से लगे सुनकुरी, लेटी, जमरसों आदि स्थानों में गौरा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
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मान्यता है कि गौरा भादौं के महीने में भगवान महेश को बिना बताए मायके आ जाती हैं. महेश गौरा को ढूंढते हुए उनके मायके आ जाते हैं. इसके बाद दोनों की पूजा कर उनको सम्मान के साथ विदा किया जाता है. पूजा अर्चना के दौरान महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि की कामना करती हैं.