चंपावत: जनपद के सुखीढांग स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में सवर्ण छात्र-छात्राओं द्वारा अनुसूचित जाति की महिला के हाथ का भोजन नहीं खाने के बाद अब सामान्य जाति की महिला के हाथ का भोजन अनुसूचित जाति के बच्चों के द्वारा नहीं खाए जाने का मामला सामने आया है. इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल प्रेम सिंह ने मामले में शिक्षा अधिकारियों को चिट्ठी लिखी है. जिसमें इस संबंध में जानकारी दी गई है. वहीं, सीएम के आदेश के बाद आज कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे मौके पर पहुंचे. जहां उन्होंने दोनों पक्षों से बात कर मामला समाप्त होने की बात कही.
जानकारी के मुताबिक, स्कूल के प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में यह जानकारी दी है और कहा कि शुक्रवार को कक्षा छह से आठ के कुल 58 बच्चे जीआईसी सुखीढांग पहुंचे और जब बच्चों को मध्याह्न भोजन के लिए बुलाया गया तो अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों ने उच्च जाति की मां द्वारा तैयार भोजन खाने से मना कर दिया. हालांकि, बच्चों को शिक्षकों ने समझाया लेकिन एससी के सभी 23 बच्चों ने शुक्रवार को भोजन का बहिष्कार कर दिया. इसके बाद सुखीढांग राजकीय इंटर कॉलेज में भोजनमाता से उपजे विवाद की जांच के लिए सीओ अशोक कुमार व चाल्थी चौकी प्रभारी देवेंद्र बिष्ट स्कूल पहुंचे. इस मामले में एक पक्ष ने पुलिस को शिकायत पत्र भी सौंपा था और इसके बाद सीओ स्कूल जांच के लिए पहुंचे थे.
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सीएम ने दिये थे जांच के आदेश
इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल के लेटर लिखे जाने के बाद अब मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ लिया है. मामले के तूल पकड़ने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं डीआईजी नीलेश आनंद भरणे को मामले की जांच के आदेश दिए. साथ ही इस पूरे मामले पर दुष्प्रचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए गये.
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डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके द्वारा इस पूरे प्रकरण की जांच कर ली गई है. उन्होंने कहा दोनों पक्षों से बातचीत कर गलतफहमियां खत्म करा दी गई हैं. वहीं, शनिवार से 31 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश के तहत विद्यालय बंद हो गया है. शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पूरे प्रकरण पर कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं.
सीईओ ने कहा कि मौके पर जाकर की जाएगी जांच
वहीं, चंपावत के सीईओ आरसी पुरोहित ने कहा कि पिछले दिनों ये मामला सामने आने के बाद हालांकि स्कूली स्तर पर मामले को शांत करा दिया गया था. वहीं, प्राचार्य की ओर से शिक्षा विभाग को इसको लेकर पत्र भेजा गया था. ताजा प्रकरण में अनुसूचित जाति वर्ग के 23 बच्चों ने उच्च जाति की भोजनमाता के हाथ से तैयार भोजन खाने से मना कर दिया है और इस मामले की जांच की जा रही है.