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चंपावत के काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

उत्तराखंड के चंपावत जिले के काश्तकार भीम सिंह ने तकरीबन एक साल पहले इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के सेब के पौधे लगाए थे. साथ ही इन दिनों इन पेड़ों पर फल भी आने लगा है. उन्होंने यह पेड़ हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से मंगवाए थे.

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इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा
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Published : Jun 24, 2020, 9:38 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 6:15 PM IST

चंपावत : लॉकडाउन के दौरान वापस अपने घर लौटे प्रवासी दोबारा घर छोड़कर वापस नहीं जाना चाहते हैं. जिसका ताजा उदाहरण उत्तराखंड के चंपावत जिले में देखा जा सकता है. दरअसल, जिला मुख्यालय से लगे कठनौली गांव के एक काश्तकार भीम सिंह ने तकरीबन एक साल पहले इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के सेब के पौधे लगाए थे. अब यहां सेब का बगीचा तैयार हो चुका है. इन दिनों पेड़ों पर फल भी आने लगे हैं. उन्होंने यह पेड़ हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से मंगवाए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण भीम सिंह के लड़के सेब के बगीचे में मेहनत कर स्वरोजगार करने की सोच रहे हैं.

काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

बता दें कि तकरीबन एक साल पहले काश्तकार भीम सिंह ने इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के सेब के पौधे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से मंगवाए थे. अब इस बगीचे में लगे पेड़ों पर फल भी आने लगे हैं. काश्तकार भीम सिंह की कड़ी मेहनत देखकर उद्यान विभाग द्वारा उन्हें सहयोग भी किया जा रहा है. उन्हें ड्रिप पद्धति के लिए सामान भी उपलब्ध कराया गया है.

काश्तकार भीम सिंह बताते हैं कि कोरोना महामारी के चलते उनके तीनों बेटे सेब की खेती में उनका सहयोग कर रहे हैं. इसलिए उन्हें विभाग और सरकार से सेब की नर्सरी लगाने के लिए आर्थिक मदद और सहयोग की भी आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें: दुकान के विवाद में युवक ने मकान मालकिन को पीटा

शिक्षक प्रमोद पांडेय ने बताया कि कठनौली गांव का पर्यावरण इस प्रकार की प्रजाति के सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त है. 15 नाली भूमि में लगाया गया सेब का बगीचा दो-तीन वर्षों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा. उद्यान अधिकारी एनके आर्य ने बताया कि विभाग भीम सिंह द्वारा लगाए गए बगीचे को पूर्ण सहयोग देगा. जिससे एक सेब क्लस्टर के क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

चंपावत : लॉकडाउन के दौरान वापस अपने घर लौटे प्रवासी दोबारा घर छोड़कर वापस नहीं जाना चाहते हैं. जिसका ताजा उदाहरण उत्तराखंड के चंपावत जिले में देखा जा सकता है. दरअसल, जिला मुख्यालय से लगे कठनौली गांव के एक काश्तकार भीम सिंह ने तकरीबन एक साल पहले इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के सेब के पौधे लगाए थे. अब यहां सेब का बगीचा तैयार हो चुका है. इन दिनों पेड़ों पर फल भी आने लगे हैं. उन्होंने यह पेड़ हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से मंगवाए थे. लेकिन कोरोना महामारी के कारण भीम सिंह के लड़के सेब के बगीचे में मेहनत कर स्वरोजगार करने की सोच रहे हैं.

काश्तकार ने तैयार किया इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के पेड़ों का बगीचा

बता दें कि तकरीबन एक साल पहले काश्तकार भीम सिंह ने इटालियन और अमेरिकन प्रजाति के सेब के पौधे हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से मंगवाए थे. अब इस बगीचे में लगे पेड़ों पर फल भी आने लगे हैं. काश्तकार भीम सिंह की कड़ी मेहनत देखकर उद्यान विभाग द्वारा उन्हें सहयोग भी किया जा रहा है. उन्हें ड्रिप पद्धति के लिए सामान भी उपलब्ध कराया गया है.

काश्तकार भीम सिंह बताते हैं कि कोरोना महामारी के चलते उनके तीनों बेटे सेब की खेती में उनका सहयोग कर रहे हैं. इसलिए उन्हें विभाग और सरकार से सेब की नर्सरी लगाने के लिए आर्थिक मदद और सहयोग की भी आवश्यकता है.

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शिक्षक प्रमोद पांडेय ने बताया कि कठनौली गांव का पर्यावरण इस प्रकार की प्रजाति के सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त है. 15 नाली भूमि में लगाया गया सेब का बगीचा दो-तीन वर्षों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा. उद्यान अधिकारी एनके आर्य ने बताया कि विभाग भीम सिंह द्वारा लगाए गए बगीचे को पूर्ण सहयोग देगा. जिससे एक सेब क्लस्टर के क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

Last Updated : Jun 25, 2020, 6:15 PM IST
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