चंपावत: चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन चंपावत जनपद के सीमांत क्षेत्र में स्थित माता पूर्णागिरि धाम में मां के दर्शन करने आने वाले भक्तों का तांता सा लग गया. यह मंदिर धार्मिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है. इसे 51 पावन शक्तिपीठों में माना जाता है. इसीलिये लाखों की संख्या में श्रृद्धालु यहां आते हैं.
पूर्णागिरि मंदिर की महत्ता: पूर्णागिरि की एक प्राचीन कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति ने एक यज्ञ समारोह का आयोजन किया. इसके लिए उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी को आमंत्रित किया. पार्वती को जब पता चला कि यह उनके पिता की चाल है कि वे उनके पति को अपमानित करना चाहते हैं, तो उन्होंने खुद को यज्ञ की आग में झोंक दिया. ऐसा माना जाता है कि पूर्णागिरि में मां सती का नाभि वाला हिस्सा गिरा था. जहां नाभि वाला हिस्सा गिरा वहीं पर माता पूर्णागिरि का मंदिर स्थित है. यह दिव्य स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है.
सुरक्षा के लिये पुलिस बल तैनात: 9 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधि विधान से पूजा पाठ कर माता पूर्णागिरि मेले का शुभारंभ किया. नवरात्र के अवसर पर मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिये पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात किया गया है. मेला क्षेत्र में स्थापित तीन थाने एवं सभी चौकियां पूरी तरह से चौकन्ना हैं.
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टनकपुर क्षेत्र के पुलिस क्षेत्र-अधिकारी अविनाश वर्मा ने बताया कि मेले में यात्रियों की सुरक्षा हेतु पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. इसके अलावा यात्रियों से अपील भी की जा रही है कि अपने साथ आने वाले सह-यात्रियों का ध्यान रखें. कोई भी परेशानी या दुर्घटना हो जाने पर तुरंत निकटवर्ती पुलिस चौकी या थाने में सूचना दें. जिससे उनको तुरंत मदद मिलेगी. नवरात्रि के पहले दिन मां के धाम में 50 हजार से ज्यादा यात्रियों ने दर्शन पूजन किया है. आगे भी हमारा प्रयास रहेगा कि मेले को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराया जाए.