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मां देवी धार महोत्सव: खड़ी चढ़ाई पर रस्सों के सहारे देव रथों को पहुंचाया गया मंदिर

निसंतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए मां भगवती के डोले के नीचे से गुजरीं. मान्यता है कि डोला रथ यात्रा के नीचे से गुजरने वाली निसंतान महिलाओं की मुराद पूरी कर मां उनकी कोख भरती हैं.

मां देवी धार महोत्सव
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Published : Jul 17, 2019, 10:16 AM IST

चम्पावत: लोहाघाट में मां देवी धार के देवी महोत्सव के पांचवें व अंतिम दिन देव रथ यात्रा निकाली गई. खड़ी चढ़ाई पर श्रद्धालुओं ने रस्सों के सहारे देव रथों को मंदिर तक पहुंचाया. इस दौरान महिलाओं ने देव रथों पर चावल और पुष्प वर्षा की. महोत्सव के दौरान खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शैक्षिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं. भारी बारिश के बावजूद हजारों लोग तीन गांव के आने वाले देवीरथ के साक्षी बने.

मंगलवार को सुबह मां भगवती मंदिर देवीधार में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम चला. दोपहर तक हजारों की संख्या में लोग देवीरथों के दर्शन के लिए देवीधार पहुंचे. अपराह्न करीब 3 बजकर 8 मिनट पर सबसे पहले रायनगर चौड़ी का डोला मां के जयकारों के साथ मंदिर पहुंचा. डोले में सवार महाकाली के रूप में राधिका देवी ने अवतरित होकर लोगों को आशीर्वाद दिया.

मां देवी धार महोत्सव.

पढ़ें- कभी शिलाओं से टपकती थी दूध की बूंदें, जानें- पौराणिक टपकेश्वर मंदिर का रोचक इतिहास

इसके बाद करीब 3 बजकर 33 मिनट पर कलीगांव का डोला खड़ी चढ़ाई पार करता हुआ मंदिर पहुंचा. मां भगवती के डांगर संजय और हरी देवी ने भक्तों को आशीर्वाद दिया.

आखिर में करीब 3 बजकर 43 मिनट में डैंसली का डोला भी मंदिर में पहुंच गया. कालिका के रूप में रतन सिंह और मां भगवती के डांगर नारायण सिंह ने चंवर झुलाकर आशीर्वाद दिया.

तीनों गांव के देवीरथों ने मां भगवती के मंदिर की परिक्रमा की. मान्यताओं पर विश्वास करने वालों ने डोले के नीचे से गुजरकर संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी.

पढ़ें- खुशहाली और उन्नति के प्रतीक हरेला पर्व के जश्न में डूबे उत्तराखंड के लोग

देवीधार सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष जीवन मेहता ने बताया कि महोत्सव को भव्य बनाने के लिए हर साल कुछ नया किया जा रहा है. इस बार महोत्सव में हथकरघा प्रदर्शनी भी लगी हुई है.

चम्पावत: लोहाघाट में मां देवी धार के देवी महोत्सव के पांचवें व अंतिम दिन देव रथ यात्रा निकाली गई. खड़ी चढ़ाई पर श्रद्धालुओं ने रस्सों के सहारे देव रथों को मंदिर तक पहुंचाया. इस दौरान महिलाओं ने देव रथों पर चावल और पुष्प वर्षा की. महोत्सव के दौरान खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शैक्षिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं. भारी बारिश के बावजूद हजारों लोग तीन गांव के आने वाले देवीरथ के साक्षी बने.

मंगलवार को सुबह मां भगवती मंदिर देवीधार में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम चला. दोपहर तक हजारों की संख्या में लोग देवीरथों के दर्शन के लिए देवीधार पहुंचे. अपराह्न करीब 3 बजकर 8 मिनट पर सबसे पहले रायनगर चौड़ी का डोला मां के जयकारों के साथ मंदिर पहुंचा. डोले में सवार महाकाली के रूप में राधिका देवी ने अवतरित होकर लोगों को आशीर्वाद दिया.

मां देवी धार महोत्सव.

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इसके बाद करीब 3 बजकर 33 मिनट पर कलीगांव का डोला खड़ी चढ़ाई पार करता हुआ मंदिर पहुंचा. मां भगवती के डांगर संजय और हरी देवी ने भक्तों को आशीर्वाद दिया.

आखिर में करीब 3 बजकर 43 मिनट में डैंसली का डोला भी मंदिर में पहुंच गया. कालिका के रूप में रतन सिंह और मां भगवती के डांगर नारायण सिंह ने चंवर झुलाकर आशीर्वाद दिया.

तीनों गांव के देवीरथों ने मां भगवती के मंदिर की परिक्रमा की. मान्यताओं पर विश्वास करने वालों ने डोले के नीचे से गुजरकर संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी.

पढ़ें- खुशहाली और उन्नति के प्रतीक हरेला पर्व के जश्न में डूबे उत्तराखंड के लोग

देवीधार सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष जीवन मेहता ने बताया कि महोत्सव को भव्य बनाने के लिए हर साल कुछ नया किया जा रहा है. इस बार महोत्सव में हथकरघा प्रदर्शनी भी लगी हुई है.

Intro:चम्पावत। आस्था की संगम मां भगवती मंदिर देवी धार लोहाघाट में श्रद्धालुओं देव रथों को खड़ी चढ़ाई पार करते हुए रसों के सहारे मां के मंदिर तक पहुंचाया इस बीच महिलाओं द्वारा चावल और पुष्प वर्षा करते हुए श्रद्धालुओं का उत्साह वर्धन किया मान्यता है। कि देव रथो की परिक्रमा करने से मनचाहा वर मिलता है देवी मां के आशीर्वाद से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है


Body:लोहाघाट के देवी धार मंदिर में पांचवे दिन देव रथों को देखने के दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे थे मां भगवती मंदिर देवी धार में हर साल लगने वाले देवी महोत्सव में कलीगांव डेसली राय नगर चौड़ी से एक एक कर देव रथ पहुचे।


Conclusion:प्राचीन मान्यता है कि देवी धार मंदिर में देव रथो की परिक्रमा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है तथा निसंतान दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सैकड़ों की संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं।
sir news k visual wrap se bheje hain.
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