देहरादून: उत्तराखंड में चंपावत उपचुनाव (Champawat byelection) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) के सामने कांग्रेस ने चंपावत उपचुनाव में महिला प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी को (Congress candidate Nirmala gahtori) उतारा है. कांग्रेस ने चंपावत में पहली बार किसी महिला प्रत्याशी (Congress candidate Nirmala gahtori) को टिकट दिया है. हालांकि, राजनीति गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस ने चंपावत उपचुनाव में पहले ही भाजपा को वॉकओवर दे दिया है. निर्मला गहतोड़ी (Congress candidate Nirmala gahtori) का नाम प्रत्याशी के तौर पर घोषित होते ही बीजेपी ने इसे कांग्रेस की चुनाव से पहले ही हार बताया है.
कांग्रेस ने चंपावत उपचुनाव के लिए आज 6 मई को अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है. कांग्रेस हाईकमान की तरफ से यह घोषणा इसलिए चौंकाने वाली थी, क्योंकि पार्टी ने इस सीट पर अब तक चुनाव लड़ते रहे हेमेश खर्कवाल को टिकट देने के बजाय पहली बार किसी महिला प्रत्याशी पर दाव खेला है. निर्मला गहतोड़ी को कांग्रेस की तरफ से टिकट देने से जुड़ा पत्र जारी होते ही कांग्रेस के इस फैसले पर कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं.
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दरअसल, इस सीट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने निर्मला को काफी कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा है, उधर ऐसे समय में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद चंपावत से चुनाव लड़ रहे हैं, तब हेमेश खर्कवाल जो इस सीट पर कांग्रेस के विधायक भी रह चुके हैं, उन्हें टिकट देने के बजाय किसी नए चेहरे को उतारने से भाजपा भी कांग्रेस को आड़े हाथ ले रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स की मानें तो कांग्रेस ने पहले ही घुटने टेक दिए हैं और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने पार्टी का कोई भी बड़ा नेता उतरने से कतरा रहा है और इसीलिए पार्टी ने निर्मला को बलि का बकरा बनाया है.
हेमेश खर्कवाल को लेकर भी उठ रहे सवाल: बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब से चंपावत उपचुनाव लड़ने का फैसला लिया है, तभी से कांग्रेस को इस सीट पर मुख्यमंत्री के सामने किसी बड़े चेहरे को उतारने की चुनौती तो थी लेकिन कोई भी बड़ा नेता इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ना चाहता. यहां तक की इस सीट पर कांग्रेस के विधायक रह चुके हेमेश भी चुनाव लड़ने से बच रहे हैं. इस बात का अंदेशा उसी दिन हो गया था जब पार्टी ने इस सीट पर प्रत्याशी उतारने के लिए चिंतन करने की बात कही और हेमेश खर्कवाल को सीधे तौर पर प्रत्याशी बनाने के बजाय दूसरे कई चेहरों पर भी मंथन करने की जिक्र किया था.
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राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हेमेश खर्कवाल मुख्यमंत्री के सामने चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते. माना ये भी जा रहा है कि बीजेपी पिछले दो बार से चंपावत विधानसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज करा रही है और चंपावत उपचुनाव तो खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लड़ रहे हैं. ऐसे में यहां पर अपनी जीत दर्ज कराने के लिए बीजेपी ऐड़ी चोटी का जोर लगा देगी. इन हालात में कांग्रेस को चंपावत उपचुनाव में अपनी जीतने की उम्मीद कम ही नजर आ रही हैं.
हालांकि, चंपावत उपचुनाव को लेकर कांग्रेस के दावों की बात करें तो पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि निर्मला के नाम पर बीजेपी बेवजह सवाल खड़े कर रही है. निर्मला इस सीट पर बड़ा नाम है. वह प्रदेश में राज्य मंत्री के साथ जिला अध्यक्ष का भी जिम्मा संभाल चुकी है. बीजेपी गलतफहमी की शिकार है और निर्मला को हल्के में लेना भाजपा और मुख्यमंत्री को भी महंगा पड़ सकता है.