गैरसैंणः चमोली के गैरसैंण ब्लॉक में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है. ग्राम पंचायत मालकोट में निजी उद्यान के लिए कृषि विभाग चमोली की ओर से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई टैंक का निर्माण किया गया है, लेकिन निर्माण के साथ टैंक फट गया. जिम्मेदार अब एक दूसरे के पाले में गेंद सरका रहे हैं. विभाग जहां संबंधित ठेकेदार की गलती बताते हुए फिर से टैंक बनाने की बात कह रहा है तो वहीं लाभार्थी पानी के अभाव में रोपित पौधों के सूख जाने के डर से चिंतित है.
सिंचाई से पहले ही फट गया टैंकः दरअसल, गैरसैंण ब्लॉक के ग्राम पंचायत मालकोट के लाटूगैर गांव के ग्रामीण मेहरवान सिंह बिष्ट ने उद्यान विभाग के सहयोग से लगभग 500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फलदार पौधों का बगीचा तैयार किया है. जहां प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 18,000 लीटर क्षमता का वाटर टैंक बनाया गया, लेकिन उद्यान में सिंचाई करने से पहले ही नव निर्मित टैंक फट गया.
मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज, लीपापोती का आरोपः लाभार्थी मेहरवान सिंह ने बताया कि निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई है. इस टैंक का निर्माण करीब 2.50 लाख की लागत से किया गया है. उनका कहना है कि इस टैंक के आधार पर 3 क्विंटल लोहा और 35 बैग सीमेंट का बेड डाला जाना था, लेकिन मात्र 80 किलो लोहा और 10 बोरी सीमेंट का प्रयोग कर लीपापोती की गई. अब लाभार्थी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की है.
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टैंक निर्माण की गुणवत्ता पर उठे सवालः इस संबंध में लाभार्थी मनोहर सिंह बिष्ट के छोटे भाई गब्बर सिंह ने टैंक निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ठेकेदार की ओर से पूरे निर्माण कार्य में मानक के अनुरूप सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है. जिस कारण टैंक फट गया है. इस टैंक की वजह से कोई अनहोनी भी हो सकती है. उन्होंने विभाग से टैंक का ध्वस्तीकरण कर दोबारे से टैंक निर्माण की मांग की है.
क्या बोले जिला मुख्य कृषि अधिकारी? मामले में चमोली जिला मुख्य कृषि अधिकारी विजय प्रकाश मौर्य ने कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है. इस संबंध में भूमि संरक्षण अधिकारी को मौके पर जाकर जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है. जो भी दोषी पाया जाएगा. उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने कहा कि अधीनस्थ कर्मियों को टैंक अन्यत्र स्थान पर दोबारे बनाए जाने को कहा गया है. संबंधित अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा गया है. उधर, लाभार्थी ने उद्यान में किन्नू, कटहल, नींबू के 150 से ज्यादा पौधे लगाए हैं, लेकिन सरकारी सहायता में भ्रष्टाचार का दीमक सरकारी योजना को पलीता लगा रहा है.