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चमोली: माणा गांव के ग्रामीणों ने बाहरी लोगों के प्रवेश पर लगाई रोक, चस्पा किया नोटिस - covid-19

माणा गांव में स्थानीय लोगों को छोड़कर बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित किया गया है. कोरोना वायरस से बचाव और सतर्कता के लिए ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है.

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माणा गांव के ग्रामीणों ने बाहरी लोगों के गांव में आने पर लगाई रोक
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Published : Jul 5, 2020, 9:03 AM IST

चमोली: देश के अंतिम गांव और बदरीनाथ के निकट स्थित माणा गांव में स्थानीय लोगों को छोड़कर बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित किया गया है. कोरोना वायरस से बचाव और सतर्कता के लिए ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है. गांव के प्रवेश द्वार पर हिंदी अंग्रेजी भाषा में नो एंट्री का नोटिस चस्पा कर दिया गया है.

देवस्थानम बोर्ड की तरफ से सरकार के नए दिशा-निर्देश के अनुसार प्रदेश के लोग ही बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन बदरीनाथ से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित माणा गांव में ग्रामीणों ने बाहर से आने वालों लोगों के प्रवेश को वर्जित कर दिया है.

दरसअल, स्थानीय लोगों के लिए यात्रा खुलने के बाद श्रदालु बदरीनाथ धाम के दर्शनों के पश्चात माणा गांव की तरफ घूमने के लिए भी जा रहे थे. श्रदालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए माणा गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर फिलहाल गांव में श्रदालुओं की प्रवेश पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें: बदरीश प्रसाद पर भी कोरोना का प्रभाव, प्रसाद नहीं बिकने से लाखों का नुकसान

बता दें कि माणा गांव भारत का आखिरी गांव है. पुराणों में इसे मणिभद्र पुर भी कहा गया है. यह गांव भोटिया जनजाति के लोगों का मूल गांव है. बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने पर स्थानीय ग्रामीण अपने गांव में आकर खेती- किसानी, हस्तशिल्प वस्तुओं का कार्य करते हैं. माणा गांव अपनी सांस्कृतिक वैभवता के लिए भी जाना जाता है.

चमोली: देश के अंतिम गांव और बदरीनाथ के निकट स्थित माणा गांव में स्थानीय लोगों को छोड़कर बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित किया गया है. कोरोना वायरस से बचाव और सतर्कता के लिए ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है. गांव के प्रवेश द्वार पर हिंदी अंग्रेजी भाषा में नो एंट्री का नोटिस चस्पा कर दिया गया है.

देवस्थानम बोर्ड की तरफ से सरकार के नए दिशा-निर्देश के अनुसार प्रदेश के लोग ही बदरीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन बदरीनाथ से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित माणा गांव में ग्रामीणों ने बाहर से आने वालों लोगों के प्रवेश को वर्जित कर दिया है.

दरसअल, स्थानीय लोगों के लिए यात्रा खुलने के बाद श्रदालु बदरीनाथ धाम के दर्शनों के पश्चात माणा गांव की तरफ घूमने के लिए भी जा रहे थे. श्रदालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए माणा गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर फिलहाल गांव में श्रदालुओं की प्रवेश पर रोक लगा दी है.

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बता दें कि माणा गांव भारत का आखिरी गांव है. पुराणों में इसे मणिभद्र पुर भी कहा गया है. यह गांव भोटिया जनजाति के लोगों का मूल गांव है. बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने पर स्थानीय ग्रामीण अपने गांव में आकर खेती- किसानी, हस्तशिल्प वस्तुओं का कार्य करते हैं. माणा गांव अपनी सांस्कृतिक वैभवता के लिए भी जाना जाता है.

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