चमोली: जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित 10 फीट ऊंचे मंदिर में वंशीनारायण भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खोले जाते हैं. जिसमें क्षेत्र की महिलाएं वंशीनारायण भगवान को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधती हैं.
जिले के जोशीमठ विकासखंड में स्थित भगवान वंशीनारायण का मंदिर रक्षाबंधन के समय राखी लिये महिलाओं से भरा रहता है. हर साल की तरह इस साल भी गुरुवार को रक्षाबंधन के दिन आसपास के दर्जनों गांव की महिलाओं ने मंदिर में एकत्र होकर भगवान वंशीनारायण भगवान को राखी बांधी. जिसके बाद अब मंदिर के कपाट अगल एक साल के लिए फिर से बंद कर दिये गये हैं. परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी राजपूत ही होते हैं.
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क्या है मान्यता ?
वंशीनारायण भगवान मंदिर के पुजारियों के मुताबिक भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा था. जिसके बाद राजा बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया. जिस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गये. ऐसे में पति को मुक्त कराने के लिए देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को राखी बांधकर भगवान को मुक्त करवाया.
ग्रामीणों की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाताल लोक से भगवान विष्णु इसी स्थान पर प्रकट हुए थे. माना जाता है कि भगवान को राखी बांधने से स्वयं विष्णु भगवान बहनों की रक्षा करते हैं.
जोशीमठ विकासखंड में स्थित उर्गम घाटी के अंतिम गांव बासा से 10 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़कर वंशीनारायण मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल का मार्ग पार कर बासा गांव से दो पहाड़ी चोटियों को पार कर तीसरी चोटी पर बुग्याल क्षेत्र में भगवान वंशीनारायण का मंदिर स्थित है.