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साल में एक दिन खुलता है यह मंदिर, भाइयों से पहले भगवान वंशीनारायण को राखी बांधती हैं महिलाएं

रक्षाबंधन पर्व और वंशीनारायण मंदिर का आपस में बेहद खास संबंध है. रक्षाबंधन के दिन सैकड़ों महिलाएं मंदिर पहुंचकर वंशीनारायण भगवान को राखी बांधती हैं.

वंशीनारायण मंदिर
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Published : Aug 16, 2019, 10:54 AM IST

चमोली: जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित 10 फीट ऊंचे मंदिर में वंशीनारायण भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खोले जाते हैं. जिसमें क्षेत्र की महिलाएं वंशीनारायण भगवान को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधती हैं.

जिले के जोशीमठ विकासखंड में स्थित भगवान वंशीनारायण का मंदिर रक्षाबंधन के समय राखी लिये महिलाओं से भरा रहता है. हर साल की तरह इस साल भी गुरुवार को रक्षाबंधन के दिन आसपास के दर्जनों गांव की महिलाओं ने मंदिर में एकत्र होकर भगवान वंशीनारायण भगवान को राखी बांधी. जिसके बाद अब मंदिर के कपाट अगल एक साल के लिए फिर से बंद कर दिये गये हैं. परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी राजपूत ही होते हैं.

पढ़ें- चंपावत: देवीधुरा में खेली गई ऐतिहासिक बग्वाल, 122 बग्वालीवीर हुए घायल

क्या है मान्यता ?
वंशीनारायण भगवान मंदिर के पुजारियों के मुताबिक भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा था. जिसके बाद राजा बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया. जिस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गये. ऐसे में पति को मुक्त कराने के लिए देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को राखी बांधकर भगवान को मुक्त करवाया.

ग्रामीणों की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाताल लोक से भगवान विष्णु इसी स्थान पर प्रकट हुए थे. माना जाता है कि भगवान को राखी बांधने से स्वयं विष्णु भगवान बहनों की रक्षा करते हैं.

जोशीमठ विकासखंड में स्थित उर्गम घाटी के अंतिम गांव बासा से 10 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़कर वंशीनारायण मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल का मार्ग पार कर बासा गांव से दो पहाड़ी चोटियों को पार कर तीसरी चोटी पर बुग्याल क्षेत्र में भगवान वंशीनारायण का मंदिर स्थित है.

चमोली: जिले के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित 10 फीट ऊंचे मंदिर में वंशीनारायण भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है. इस मंदिर के कपाट सिर्फ रक्षाबंधन के दिन खोले जाते हैं. जिसमें क्षेत्र की महिलाएं वंशीनारायण भगवान को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधती हैं.

जिले के जोशीमठ विकासखंड में स्थित भगवान वंशीनारायण का मंदिर रक्षाबंधन के समय राखी लिये महिलाओं से भरा रहता है. हर साल की तरह इस साल भी गुरुवार को रक्षाबंधन के दिन आसपास के दर्जनों गांव की महिलाओं ने मंदिर में एकत्र होकर भगवान वंशीनारायण भगवान को राखी बांधी. जिसके बाद अब मंदिर के कपाट अगल एक साल के लिए फिर से बंद कर दिये गये हैं. परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी राजपूत ही होते हैं.

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क्या है मान्यता ?
वंशीनारायण भगवान मंदिर के पुजारियों के मुताबिक भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा था. जिसके बाद राजा बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया. जिस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गये. ऐसे में पति को मुक्त कराने के लिए देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को राखी बांधकर भगवान को मुक्त करवाया.

ग्रामीणों की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाताल लोक से भगवान विष्णु इसी स्थान पर प्रकट हुए थे. माना जाता है कि भगवान को राखी बांधने से स्वयं विष्णु भगवान बहनों की रक्षा करते हैं.

जोशीमठ विकासखंड में स्थित उर्गम घाटी के अंतिम गांव बासा से 10 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढ़ाई चढ़कर वंशीनारायण मंदिर पहुंचा जा सकता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल का मार्ग पार कर बासा गांव से दो पहाड़ी चोटियों को पार कर तीसरी चोटी पर बुग्याल क्षेत्र में भगवान वंशीनारायण का मंदिर स्थित है.

Intro:चमोली जनपद के जोशीमठ विकासखंड में स्थित 10,000 हजार फिट की ऊंचाई पर भगवान बंशीनारायण का उत्तराखंड में एक अकेला ऐसा मंदिर है, जिसके कपाट मात्र एक दिन के लिए रक्षाबंधन के लिए खोले जाते है।क्षेत्र की कुंवारी और विवाहिताये वंशीनारायण जी को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है ।सूर्यास्त होने के बाद रक्षाबंधन के ही दिन मंदिर के कपाट 1 साल के लिए फिर से बंद कर दिए जाते हैं।

फोटो मेल से भेजी है।


Body:चमोली जनपद के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना श्रदालुओ के लिये काफी मुश्किल है। पीपलकोटी से उर्गम घाटी तक पहुंचने के बाद आगे 12 किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद पड़ता है वंशीनारायण भगवान का मंदिर करीब 5 किलोमीटर दूर तक फैले मख़मली घास के मैदान को पार करने के बाद मैदान के बीच नजर आता है प्रसिद्ध पहाड़ी शैली(कत्युरी) में बना भगवान वंशीनारायण मंदिर। 10 फुट ऊंचे मंदिर में भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है। परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी भी राजपूत ही होते है।

क्या है मान्यता---
बंशीनारायण भगवान मंदिर के पुजारियों के मुताबित वामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा था। राजा बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया था। इस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गये। ऐसे में पति को मुक्त कराने के लिए देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि को राखी बांधकर भगवान को मुक्त कराया। ग्रामीणों की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाताल लोक से भगवान विष्णु इसी स्थान पर प्रकट हुए थे ।माना जाता है कि भगवान को राखी बांधने से स्वयं विष्णु भगवान बहिनो की रक्षा करते हैं। रक्षाबंधन के पर्व पर आसपास के दर्जनों के गांव लोग एकत्र होकर इस क्षण के गवाह बनते हैं।


Conclusion:भगवान बंशीनारायण के मंदिर तक पहुंचने के लिए जोशीमठ विकासखंड में स्थित उर्गम घाटी के अंतिम गांव बासा गांव से 10 किलोमीटर की पैदल खड़ी चढाई चढ़कर बंशीनारायण मंदिर पहुंचा जा सकता है ।मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल का मार्ग पार कर बांसा गांव से दो पाहाडी चोटियों को पार कर तीसरी चोटी पर बुग्याली क्षेत्र में भगवान बंशीनारायण का मंदिर स्थित है।इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में कोई आबादी निवास भी नही करती है ।
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