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मोबाइल नेटवर्क के लिए मीलों दौड़ लगा रहे नौनिहाल, कैसे होंगी वर्चुअल क्लास?

कोरोना संक्रमण के चलते छात्रों की भविष्य को देखते हुए सरकार और शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जोर दे रहा है. लेकिन, उत्तराखंड के कई गांव आज भी संचार सेवा से वंचित होने के कारण उनको पढ़ने के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है.

नेटवर्क के लिए मीलों दौड़ लगा रहे नौनिहाल
नेटवर्क के लिए मीलों दौड़ लगा रहे नौनिहाल
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Published : Jul 7, 2020, 6:29 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:47 PM IST

चमोली: कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद किये गए हैं. ऐसे में छात्रों की भविष्य को देखते हुए सरकार और शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जोर दे रहा है. लेकिन, उत्तराखंड के कई गांव आज भी संचार सेवा से वंचित है. ऐसी ही एक घाटी चमोली जनपद के दशोली विकासखंड की निजमुला घाटी है. इस घाटी में आधे दर्जन से अधिक गांव हैं. लेकिन, डिजिटल इंडिया के इस दौर में आज भी इस घाटी के गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच सका है. जिससे यहां के लोगों को अपने सगे-संबंधियों से मोबाइल पर बात करने के लिए मीलों चलकर संकटधार पर पहुंचना पड़ता है.

नेटवर्क के लिए मीलों दौड़ लगा रहे नौनिहाल.

दशोली विकासखंड स्थित निजमूला घाटी के दुर्मी, पगना, इराणी और झींझी सहित अन्य गांवों में मोबाइल नेटवर्क न होने से यहां के नैनिहालों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इराणी गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर संकटधार नाम की जगह पर बीएसएनएल के नेटवर्क आते हैं. जहां अभिभावक अपने बच्चों को ले जाकर ऑनलाइन पढ़ाई कराते हैं.

अध्यापक भागचंद केशवानी बच्चों को गोपेश्वर से ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य रचनात्मक कार्यों को करने की सलाह भी दे रहे हैं. इराणी गांव जिला मुख्यालय से काफी दूरी पर है, जहां से बच्चों को 47 किलोमीटर की दूरी गाड़ी से बाकी 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. इस गांव के आसपास के गांवों में भी संचार सुविधा नहीं है.

पढ़ें- हाईकोर्ट के आदेश पर मादा हथनी को किया गया मालिक के सुपुर्द

ग्राम प्रधान मोहन सिंह नेगी बताते है कि गांव में संचार सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि लोग अपने सगे-संबंधियों से बात करने के लिए मीलों का सफर तय करते है. हालांकि, जिओ के अधिकारियों से क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने को लेकर बात हुई है, उनके द्वारा जल्द क्षेत्र में जिओ का टावर लगाकर क्षेत्र को संचार से जोड़ने की बात कही है.

चमोली: कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद किये गए हैं. ऐसे में छात्रों की भविष्य को देखते हुए सरकार और शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर जोर दे रहा है. लेकिन, उत्तराखंड के कई गांव आज भी संचार सेवा से वंचित है. ऐसी ही एक घाटी चमोली जनपद के दशोली विकासखंड की निजमुला घाटी है. इस घाटी में आधे दर्जन से अधिक गांव हैं. लेकिन, डिजिटल इंडिया के इस दौर में आज भी इस घाटी के गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंच सका है. जिससे यहां के लोगों को अपने सगे-संबंधियों से मोबाइल पर बात करने के लिए मीलों चलकर संकटधार पर पहुंचना पड़ता है.

नेटवर्क के लिए मीलों दौड़ लगा रहे नौनिहाल.

दशोली विकासखंड स्थित निजमूला घाटी के दुर्मी, पगना, इराणी और झींझी सहित अन्य गांवों में मोबाइल नेटवर्क न होने से यहां के नैनिहालों को ऑनलाइन पढ़ाई करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इराणी गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर संकटधार नाम की जगह पर बीएसएनएल के नेटवर्क आते हैं. जहां अभिभावक अपने बच्चों को ले जाकर ऑनलाइन पढ़ाई कराते हैं.

अध्यापक भागचंद केशवानी बच्चों को गोपेश्वर से ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य रचनात्मक कार्यों को करने की सलाह भी दे रहे हैं. इराणी गांव जिला मुख्यालय से काफी दूरी पर है, जहां से बच्चों को 47 किलोमीटर की दूरी गाड़ी से बाकी 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. इस गांव के आसपास के गांवों में भी संचार सुविधा नहीं है.

पढ़ें- हाईकोर्ट के आदेश पर मादा हथनी को किया गया मालिक के सुपुर्द

ग्राम प्रधान मोहन सिंह नेगी बताते है कि गांव में संचार सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि लोग अपने सगे-संबंधियों से बात करने के लिए मीलों का सफर तय करते है. हालांकि, जिओ के अधिकारियों से क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाने को लेकर बात हुई है, उनके द्वारा जल्द क्षेत्र में जिओ का टावर लगाकर क्षेत्र को संचार से जोड़ने की बात कही है.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:47 PM IST
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