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कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव की रोड खस्ताहाल, जान जोखिम में डालकर हो रही यात्रा

कारगिल शहीद कृपाल सिंह देश के लिए जान तो दे गए, लेकिन हुक्मरान उनके गांव जाने वाले सड़क को ठीक नहीं कर पाए. गैरसैंण तहसील में स्थित शहीद के गांव पज्याणा जाने वाली सड़क खस्ताहाल है. कभी भी इस सड़क पर हादसा हो सकता है.

Kargil Martyr Kripal Singh
गैरसैंण सड़क समाचार
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Published : Apr 8, 2023, 11:18 AM IST

Updated : Apr 8, 2023, 1:40 PM IST

शहीद कृपाल सिंह के गांव की रोड खस्ताहाल

गैरसैंण: एक ओर सरकार लगातार सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के दावे कर रही है. दूसरी ओर हकीकत इससे कोसों दूर है. प्रदेश के माननीयों व नौकरशाहों के लिए बजट सत्र के दौरान विधानसभा तक पहुंचने के लिए 10 दिन के भीतर ही डबल लेन सड़क को डामरीकरण कर चमका दिया जाता है. वहीं कर्णप्रयाग व पांडुवाखाल से गैरसैंण विधानसभा क्षेत्र के प्रवेश द्वार दिवालीखाल तक बजट सत्र में पहुंचने में माननीयों को कोई दिक्कत न हो वर्षों से सड़कों में बने गड्ढों को सप्ताह भर के भीतर ही पाट दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर कई वर्षों से सड़क डामरीकरण की मांग कर रहे ग्रामीण टूटी-फूटी व गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर रोजाना आवाजाही करने को मजबूर हैं.

कारगिल शहीद के गांव की सड़क खस्ताहाल: जी हां हम बात कर रहे हैं धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव पज्याणा जाने वाले मोटर मार्ग की. कहा जाता है कि गांवों में विकास सड़क मार्ग से पहुंचता है. लेकिन ग्रामीणों की लाइफ लाइन कही जाने वाली इस सड़क की दुर्दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास अभी कोसों दूर है. बता दें कि इस जर्जर हो चुके सड़क मार्ग से प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों के स्कूली वाहनों से लेकर अस्पताल तक पहुंचने वाले बीमार, गर्भवती महिलायें, विद्यालय आने जाने वाले शिक्षक व रोजमर्रा की सामाग्री की खरीदारी करने वाले सैकड़ों ग्रामीण सरकार व संबंधित विभाग की उदासीनता के चलते वाहनों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं.

2008 से चले अढ़ाई कोस!: बताते चलें कि धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव जाने वाली इस मोटर सड़क के निर्माण (कटिंग) का कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा वर्ष 2008 में हुआ था. वहीं डामरीकरण व अन्य कार्य पीएमजीएसवाई द्वारा वर्ष 2014 में 413.60 लाख की लागत से हुए थे. लेकिन आज इस मोटर मार्ग की हालत बद से बदतर हो चुकी है. सड़क की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारें पहाड़ों के विकास के प्रति कितनी संजीदा हैं. एक ओर जहां सरकार व विभागीय मंत्री गड्ढा मुक्त एप व विकास के बड़े बड़े दावे करती हुई नजर आ रहे हैं, वहीं इन सड़कों की हालत देखकर तो यही लगता है कि सरकार के ये सब दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

क्या कहते हैं कारगिल शहीद के पुत्र: कारगिल शहीद कृपाल सिंह के पुत्र अमित रावत ने कहा कि धुनारघाट से पज्याणा जाने वाली सड़क उनके पिता के नाम पर स्वीकृत हुई थी. किंतु आज तक इस सड़क का नाम उनके पिता के नाम पर नहीं किया जा सका है. अमित ने कहा कि लोक निर्माण विभाग गैरसैंण के माध्यम से शासन को भी इस संबंध में पत्राचार किया गया, किंतु अब तक इस मोटर मार्ग का नामकरण उनके पिता के नाम पर नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ी अनहोनी घटित हो सकती है. उन्होंने संबंधित विभाग व सरकार से आग्रह किया कि इस मोटर मार्ग का नाम उनके पिता के नाम पर किया जाय व अतिशीघ्र सड़क का डामरीकरण कार्य करवाया जाये.

सड़क की दुर्दशा को लेकर क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व ग्रामीण: डुंगरी गांव निवासी सुरेशानंद सिरस्वाल बताते हैं कि पांच हजार की आबादी वाले क्षेत्र की इस सड़क पर 2008 में कटिंग का कार्य शुरू हुआ था. 2014 में इस सड़क पर डामरीकरण का कार्य किया गया था जो साल भर में ही उखड़ गया था. किंतु तब से लेकर अब तक इस मोटर मार्ग की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि ढांगा गांव से लेकर कोठार गांव तक विभाग द्वारा कहीं भी पानी निकासी के लिए कलमट नहीं बनाये गये हैं. इससे बरसात के समय सारा पानी सड़क से लेकर घरों व खेतों में आ जाता है. सुरेशानंद ने कहा कि इस मोटर मार्ग पर आये दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं. उन्होंने सरकार व विभाग से मांग की है कि सड़क के डामरीकरण का कार्य शुरू किया जाये.

इस रोड पर डर लगता है: वहीं कुलागाड़ गांव के प्रताप सिंह कहते हैं कि इस सड़क की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. इसमें सफर करने में डर लगा रहता है. वो बताते हैं कि इसी मार्ग से उत्तराखंड परिवहन की बस भी देहरादून से नागचुलाखाल तक प्रतिदिन आती व जाती है. लेकिन विभाग इस सड़क की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व इसी मोटर मार्ग पर देहरादून से आते समय उत्तराखंड परिवहन की बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. जिसके बावजूद अभी तक भी विभागीय अधिकारियों की नींद नहीं खुल पाई है. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द इस सड़क की स्थिति में सुधार लाया जाये.

जिला पंचायत सदस्य क्या कहते हैं: इस क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य अनिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार व विभागीय अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. कई बार अनेक माध्यमों से इस मोटर सड़क की जर्जर हो चुकी स्थिति को सुधारने की अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय विधायक तक से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में दस ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने क्षेत्रीय विधायक को मोटर मार्ग सुधारीकरण को लेकर ज्ञापन भी प्रेषित किया है. ज्ञापन में 15 दिन के भीतर सड़क डामरीकरण की मांग की गई है. अनिल ने कहा कि अगर जल्द सड़क का डामरीकरण का कार्य शुरू नहीं होता है तो ग्रामीणों को साथ लेकर आंदोलन व धरना प्रदर्शन किया जायेगा.

विधायक अनिल नौटियाल का बयान: वहीं इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि इस सड़क की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है. क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्रामवासियों ने मोटर सड़क के डामरीकरण की मांग उनसे की थी, जिस पर बहुत जल्द डामरीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा.

क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी: जब इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी की अपेक्षा सड़क को हाट मिक्स करने की रहती है. बताया कि इस सड़क को (पीएमजीएसवाई) थर्ड में जाना है. इस कारण इसमें सेंक्शन नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि (पीएमजीएसवाई) की ओर से डीपीआर जा चुकी है. लेकिन अभी सेंक्शन नहीं हुई है. सुनील कुमार ने कहा कि अभी सड़क लोक निर्माण विभाग के पास है और (पीएमजीएसवाई) को हैंड ओवर नहीं हो पाई है. इस संबंध में अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग ने कैमरे के सामने बोलने से इंकार कर दिया.
ये भी पढ़ें: 'विकास' की सड़क पर निकली भ्रष्टाचार की 'दूब', डामरीकरण के साथ उखड़ा धारापानी-खजूरखाल मोटर मार्ग!

वहीं सड़क की खस्ताहाल स्थति व डामरीकरण को लेकर पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता सचिन कुमार ने कहा कि सड़क डामरीकरण की स्वीकृति के लिए डीपीआर बना कर भेज दी गई है. उन्होंने कहा कि डेढ़ वर्ष पूर्व ये मोटर मार्ग डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड से बाहर हो चुकी है. अब इस सड़क का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है जो अभी यूआरडी में पेंडिंग है. जैसे ही स्वीकृति मिलती है तो जानकारी दी जायेगी.

शहीद कृपाल सिंह के गांव की रोड खस्ताहाल

गैरसैंण: एक ओर सरकार लगातार सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के दावे कर रही है. दूसरी ओर हकीकत इससे कोसों दूर है. प्रदेश के माननीयों व नौकरशाहों के लिए बजट सत्र के दौरान विधानसभा तक पहुंचने के लिए 10 दिन के भीतर ही डबल लेन सड़क को डामरीकरण कर चमका दिया जाता है. वहीं कर्णप्रयाग व पांडुवाखाल से गैरसैंण विधानसभा क्षेत्र के प्रवेश द्वार दिवालीखाल तक बजट सत्र में पहुंचने में माननीयों को कोई दिक्कत न हो वर्षों से सड़कों में बने गड्ढों को सप्ताह भर के भीतर ही पाट दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर कई वर्षों से सड़क डामरीकरण की मांग कर रहे ग्रामीण टूटी-फूटी व गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर रोजाना आवाजाही करने को मजबूर हैं.

कारगिल शहीद के गांव की सड़क खस्ताहाल: जी हां हम बात कर रहे हैं धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव पज्याणा जाने वाले मोटर मार्ग की. कहा जाता है कि गांवों में विकास सड़क मार्ग से पहुंचता है. लेकिन ग्रामीणों की लाइफ लाइन कही जाने वाली इस सड़क की दुर्दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास अभी कोसों दूर है. बता दें कि इस जर्जर हो चुके सड़क मार्ग से प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों के स्कूली वाहनों से लेकर अस्पताल तक पहुंचने वाले बीमार, गर्भवती महिलायें, विद्यालय आने जाने वाले शिक्षक व रोजमर्रा की सामाग्री की खरीदारी करने वाले सैकड़ों ग्रामीण सरकार व संबंधित विभाग की उदासीनता के चलते वाहनों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं.

2008 से चले अढ़ाई कोस!: बताते चलें कि धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव जाने वाली इस मोटर सड़क के निर्माण (कटिंग) का कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा वर्ष 2008 में हुआ था. वहीं डामरीकरण व अन्य कार्य पीएमजीएसवाई द्वारा वर्ष 2014 में 413.60 लाख की लागत से हुए थे. लेकिन आज इस मोटर मार्ग की हालत बद से बदतर हो चुकी है. सड़क की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारें पहाड़ों के विकास के प्रति कितनी संजीदा हैं. एक ओर जहां सरकार व विभागीय मंत्री गड्ढा मुक्त एप व विकास के बड़े बड़े दावे करती हुई नजर आ रहे हैं, वहीं इन सड़कों की हालत देखकर तो यही लगता है कि सरकार के ये सब दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

क्या कहते हैं कारगिल शहीद के पुत्र: कारगिल शहीद कृपाल सिंह के पुत्र अमित रावत ने कहा कि धुनारघाट से पज्याणा जाने वाली सड़क उनके पिता के नाम पर स्वीकृत हुई थी. किंतु आज तक इस सड़क का नाम उनके पिता के नाम पर नहीं किया जा सका है. अमित ने कहा कि लोक निर्माण विभाग गैरसैंण के माध्यम से शासन को भी इस संबंध में पत्राचार किया गया, किंतु अब तक इस मोटर मार्ग का नामकरण उनके पिता के नाम पर नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ी अनहोनी घटित हो सकती है. उन्होंने संबंधित विभाग व सरकार से आग्रह किया कि इस मोटर मार्ग का नाम उनके पिता के नाम पर किया जाय व अतिशीघ्र सड़क का डामरीकरण कार्य करवाया जाये.

सड़क की दुर्दशा को लेकर क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व ग्रामीण: डुंगरी गांव निवासी सुरेशानंद सिरस्वाल बताते हैं कि पांच हजार की आबादी वाले क्षेत्र की इस सड़क पर 2008 में कटिंग का कार्य शुरू हुआ था. 2014 में इस सड़क पर डामरीकरण का कार्य किया गया था जो साल भर में ही उखड़ गया था. किंतु तब से लेकर अब तक इस मोटर मार्ग की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि ढांगा गांव से लेकर कोठार गांव तक विभाग द्वारा कहीं भी पानी निकासी के लिए कलमट नहीं बनाये गये हैं. इससे बरसात के समय सारा पानी सड़क से लेकर घरों व खेतों में आ जाता है. सुरेशानंद ने कहा कि इस मोटर मार्ग पर आये दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं. उन्होंने सरकार व विभाग से मांग की है कि सड़क के डामरीकरण का कार्य शुरू किया जाये.

इस रोड पर डर लगता है: वहीं कुलागाड़ गांव के प्रताप सिंह कहते हैं कि इस सड़क की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. इसमें सफर करने में डर लगा रहता है. वो बताते हैं कि इसी मार्ग से उत्तराखंड परिवहन की बस भी देहरादून से नागचुलाखाल तक प्रतिदिन आती व जाती है. लेकिन विभाग इस सड़क की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ समय पूर्व इसी मोटर मार्ग पर देहरादून से आते समय उत्तराखंड परिवहन की बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. जिसके बावजूद अभी तक भी विभागीय अधिकारियों की नींद नहीं खुल पाई है. उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द इस सड़क की स्थिति में सुधार लाया जाये.

जिला पंचायत सदस्य क्या कहते हैं: इस क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य अनिल अग्रवाल ने कहा कि सरकार व विभागीय अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. कई बार अनेक माध्यमों से इस मोटर सड़क की जर्जर हो चुकी स्थिति को सुधारने की अधिकारियों से लेकर क्षेत्रीय विधायक तक से गुहार लगाई जा चुकी है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि इस संबंध में दस ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने क्षेत्रीय विधायक को मोटर मार्ग सुधारीकरण को लेकर ज्ञापन भी प्रेषित किया है. ज्ञापन में 15 दिन के भीतर सड़क डामरीकरण की मांग की गई है. अनिल ने कहा कि अगर जल्द सड़क का डामरीकरण का कार्य शुरू नहीं होता है तो ग्रामीणों को साथ लेकर आंदोलन व धरना प्रदर्शन किया जायेगा.

विधायक अनिल नौटियाल का बयान: वहीं इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्रीय विधायक अनिल नौटियाल ने कहा कि इस सड़क की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है. क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्रामवासियों ने मोटर सड़क के डामरीकरण की मांग उनसे की थी, जिस पर बहुत जल्द डामरीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा.

क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी: जब इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी की अपेक्षा सड़क को हाट मिक्स करने की रहती है. बताया कि इस सड़क को (पीएमजीएसवाई) थर्ड में जाना है. इस कारण इसमें सेंक्शन नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि (पीएमजीएसवाई) की ओर से डीपीआर जा चुकी है. लेकिन अभी सेंक्शन नहीं हुई है. सुनील कुमार ने कहा कि अभी सड़क लोक निर्माण विभाग के पास है और (पीएमजीएसवाई) को हैंड ओवर नहीं हो पाई है. इस संबंध में अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग ने कैमरे के सामने बोलने से इंकार कर दिया.
ये भी पढ़ें: 'विकास' की सड़क पर निकली भ्रष्टाचार की 'दूब', डामरीकरण के साथ उखड़ा धारापानी-खजूरखाल मोटर मार्ग!

वहीं सड़क की खस्ताहाल स्थति व डामरीकरण को लेकर पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता सचिन कुमार ने कहा कि सड़क डामरीकरण की स्वीकृति के लिए डीपीआर बना कर भेज दी गई है. उन्होंने कहा कि डेढ़ वर्ष पूर्व ये मोटर मार्ग डिफेक्ट लाइबिलिटी पीरियड से बाहर हो चुकी है. अब इस सड़क का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है जो अभी यूआरडी में पेंडिंग है. जैसे ही स्वीकृति मिलती है तो जानकारी दी जायेगी.

Last Updated : Apr 8, 2023, 1:40 PM IST
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