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बदरीनाथ आरती: बदरुद्दीन और बर्थवाल के बीच गहराया विवाद, बोर्ड करेगा फैसला

पिछले 100 सालों से गायी जाने वाली आरती पर फिर एक बार से विवाद शुरू हो गया है. कहा जाता रहा है कि बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती चमोली जनपद के ही नंदप्रयाग नगर निवासी किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा लिखी गई है लेकिन कुछ समय पहले ही रुद्रप्रयाग जनपद स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह ने आरती से संबंधित पुरानी पांडुलिपियां प्रस्तुत करते हुये ये दावा किया था कि आरती उनके परदारा धन सिंह बर्थवाल द्वारा लिखी गई थी.

बदरीनाथ की आरती पर फिर गहराया विवाद.
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Published : Jun 16, 2019, 10:06 AM IST

Updated : Jun 17, 2019, 2:21 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम में पिछले 100 सालों से गायी जाने वाली आरती पर फिर एक बार से विवाद शुरू हो गया है. इस विवाद की वजह है बदरीनाथ धाम में गायी जाने वाली आरती पवन मंद सुगंध शीतल आखिर लिखी किसने है? पुराने समय से यही मान्यता है कि बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती चमोली जनपद के नंदप्रयाग नगर निवासी मुस्लिम व्यक्ति बदरुद्दीन द्वारा लिखी गई है. लेकिन आरती के नये रचियता के नाम का दावा सामने आने से गहमागहमी की स्थिति पैदा हो गई है.

बदरीनाथ की आरती पर फिर गहराया विवाद.

सालों से यह मान्यता चली आ रही है कि चमोली में स्थित नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी उर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. बदरुद्दीन भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी उनको अच्छा अनुभव था. कहा जाता है कि 1860 के दशक में भगवान बदरीनाथ की आरती की रचना बदरुद्दीन ने बदरीनाथ धाम में ही की थी. लेकिन कुछ समय पहले ही रुद्रप्रयाग जनपद स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह ने आरती से संबंधित पुरानी पांडुलिपियां प्रस्तुत करते हुये ये दावा किया था कि आरती उनके परदारा धन सिंह बर्थवाल द्वारा लिखी गई थी.

Old manuscript of badarinath aarti.
बदरीनाथ आरती की पुरानी पांडुलिपि.

बदरीनाथ आरती को लेकर धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह बर्थवाल आरती से जुड़ी हुई पांडुलिपियां लेकर प्रशासन के पास लेकर गए थे. उनका दावा था कि उनके पूर्वजों के द्वारा बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती लिखी गई है. इसके साक्ष्य के तौर पर उनके पास पुरानी पांडुलिपियां भी मौजूद हैं, जिसके बाद प्रशासन के द्वारा पांडुलिपियों की कार्बन डेटिंग भी करवाई गईं. जांच में पांडुलिपियां को लिखने का समय वर्ष 1881 ही निकला.

Old manuscript of badarinath aarti.
बदरीनाथ आरती की पुरानी पांडुलिपि.

उधर, विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग को ही प्रमाण मानने पर सवाल उठाया है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि महेंद्र सिंह बर्थवाल के घर से मिली पांडुलिपियों को सहमति देने के लिए बोर्ड इसका निर्णय लेगा. यह बोर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष समेत कुछ सदस्यों को जोड़कर बनाया गया है. पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग की जा चुकी है जिसमें यह पांडुलिपि 1881 के 50 साल आगे पीछे की हो सकती है. मई महीने में इस पांडुलिपि की कॉपी को महेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को भेट किया गया था. मुख्यमंत्री ने पांडुलिपि को संरक्षित करने के लिए संस्कृति विभाग को आदेश दिए हैं.

Old manuscript of badarinath aarti.
सीएम को पांडुलिपि भेंट करते धन सिंह बर्तवाल के परपोते महेंद्र सिंह.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

वहीं, साल 1889 में छपी एक किताब में भी यह आरती लिखी गई है. जिसमें बदरीनाथ आरती का संरक्षक बदरुद्दीन के रिश्तेदारों को बताया गया है. यह किताब अल्मोड़ा के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है. इस पूरे मामले पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बदरीविशाल की आरती धन सिंह बर्थवाल ने ही लिखी है. जो कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो चुका है.

बहरहाल, बदरीनाथ की आरती के रचयिता को लेकर अभी स्थित स्पष्ठ न हो पाई हो. लेकिन नंदप्रयाग नगर पुराने समय से ही हिन्दू मुस्लिम भाईचारे और एकता की मिसाल कायम करता रहा है. अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर अभिनय करते हैं, जो अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.

चमोली: बदरीनाथ धाम में पिछले 100 सालों से गायी जाने वाली आरती पर फिर एक बार से विवाद शुरू हो गया है. इस विवाद की वजह है बदरीनाथ धाम में गायी जाने वाली आरती पवन मंद सुगंध शीतल आखिर लिखी किसने है? पुराने समय से यही मान्यता है कि बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती चमोली जनपद के नंदप्रयाग नगर निवासी मुस्लिम व्यक्ति बदरुद्दीन द्वारा लिखी गई है. लेकिन आरती के नये रचियता के नाम का दावा सामने आने से गहमागहमी की स्थिति पैदा हो गई है.

बदरीनाथ की आरती पर फिर गहराया विवाद.

सालों से यह मान्यता चली आ रही है कि चमोली में स्थित नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी उर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. बदरुद्दीन भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी उनको अच्छा अनुभव था. कहा जाता है कि 1860 के दशक में भगवान बदरीनाथ की आरती की रचना बदरुद्दीन ने बदरीनाथ धाम में ही की थी. लेकिन कुछ समय पहले ही रुद्रप्रयाग जनपद स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह ने आरती से संबंधित पुरानी पांडुलिपियां प्रस्तुत करते हुये ये दावा किया था कि आरती उनके परदारा धन सिंह बर्थवाल द्वारा लिखी गई थी.

Old manuscript of badarinath aarti.
बदरीनाथ आरती की पुरानी पांडुलिपि.

बदरीनाथ आरती को लेकर धन सिंह बर्थवाल के परपोते महेंद्र सिंह बर्थवाल आरती से जुड़ी हुई पांडुलिपियां लेकर प्रशासन के पास लेकर गए थे. उनका दावा था कि उनके पूर्वजों के द्वारा बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती लिखी गई है. इसके साक्ष्य के तौर पर उनके पास पुरानी पांडुलिपियां भी मौजूद हैं, जिसके बाद प्रशासन के द्वारा पांडुलिपियों की कार्बन डेटिंग भी करवाई गईं. जांच में पांडुलिपियां को लिखने का समय वर्ष 1881 ही निकला.

Old manuscript of badarinath aarti.
बदरीनाथ आरती की पुरानी पांडुलिपि.

उधर, विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग को ही प्रमाण मानने पर सवाल उठाया है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि महेंद्र सिंह बर्थवाल के घर से मिली पांडुलिपियों को सहमति देने के लिए बोर्ड इसका निर्णय लेगा. यह बोर्ड बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष समेत कुछ सदस्यों को जोड़कर बनाया गया है. पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग की जा चुकी है जिसमें यह पांडुलिपि 1881 के 50 साल आगे पीछे की हो सकती है. मई महीने में इस पांडुलिपि की कॉपी को महेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को भेट किया गया था. मुख्यमंत्री ने पांडुलिपि को संरक्षित करने के लिए संस्कृति विभाग को आदेश दिए हैं.

Old manuscript of badarinath aarti.
सीएम को पांडुलिपि भेंट करते धन सिंह बर्तवाल के परपोते महेंद्र सिंह.

ये भी पढ़ें: केदारनाथ आपदा: 16 जून 2013 की खौफनाक रात की याद से सिहर उठती है आत्मा, आज भी हरे हैं जख्म

वहीं, साल 1889 में छपी एक किताब में भी यह आरती लिखी गई है. जिसमें बदरीनाथ आरती का संरक्षक बदरुद्दीन के रिश्तेदारों को बताया गया है. यह किताब अल्मोड़ा के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है. इस पूरे मामले पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बदरीविशाल की आरती धन सिंह बर्थवाल ने ही लिखी है. जो कार्बन डेटिंग से स्पष्ट हो चुका है.

बहरहाल, बदरीनाथ की आरती के रचयिता को लेकर अभी स्थित स्पष्ठ न हो पाई हो. लेकिन नंदप्रयाग नगर पुराने समय से ही हिन्दू मुस्लिम भाईचारे और एकता की मिसाल कायम करता रहा है. अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर अभिनय करते हैं, जो अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.

Intro:बदरीनाथ धाम में पिछले 100 सालों से गायी जाने वाली आरती पर फिर एक बार से बबाल शुरू हो गया है ।और बबाल की बजह है कि आखिर बदरीनाथ धाम में गायी जाने वाली आरती पवन मंद सुगंध शीतल लिखी किसने है ।पुराने समय से यही कहा जाता रहा है कि बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती चमोली जनपद के ही नंदप्रयाग नगर निवासी किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा लिखी गई है।लेकिन पूर्व में भाजपा सरकार ने आरती को लेकर नये रचियता के नाम की घोषणा कर गहमागहमी की स्थति उतपन्न कर दी है।सरकार का कहना है कि भगवान बद्रीविशाल की आरती रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्तवाल बे लिखी है ,जिसमे कि आरती से सम्बंधित प्रमाण के रूप में पांडुलिपियां भी प्राप्त हुई है।

नॉट-विस्वल बाईट मेल से भेजी है ।


Body:गौर करे कि सालो से यह मान्यता चली आ रही है कि चमोली में स्थित नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी उर्फ बदरुदीन ने भगवान बद्रीविशाल की आरती लिखी थी।बदरुदीन भगवान बद्रीविशाल के भक्त थे ,और संगीत प्रेमी थे,साथ ही हारमोनियम वादन का भी उनको अच्छा अनुभव था।और कहा तो यंहा तक जाता है कि 1860 के दशक में भगवान बदरीनाथ की आरती की रचना बदरुदीन ने बद्रीनाथ धाम में ही की थी।

बीओ 2-बदरीनाथ आरती को लेकर धन सिंह बर्तवाल के परपोते महेंद्र सिंह बर्तवाल आरती से जुड़ी हुई पांडुलिपियां लेकर प्रशासन के पास लेकर गए थे ।उनका दावा था कि उनके पूर्वजों के द्वारा बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती लिखी है।जिसके परिमाणस्वरूप उनके पास पुरानी पांडुलिपि मौजूद है।जिसके बाद प्रशासन के द्वारा पांडुलिपियों की कार्बन डेटिंग की गई ,जिसमें कि पांडुलिपिया को लिखने का समय वर्ष 1881 ही निकला।साथ ही बदरुदीन के वंशज आरती को लेकर कोई भी सटीक प्रमाण नही दे पाये।जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा धन सिंह बर्तवाल के परिजनों के दावों को सच मानते हुए बदरीनाथ की आरती का धन सिंह बर्तवाल को रचयिता घोषित किया गया।


Conclusion:विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग को ही प्रमाण मानने पर सवाल उठाया है।आईआईटी रुड़की एक असोसिएट प्रोफेसर ए.एस मौर्या का कहना है कि कार्बन डेटिंग से सटीक वर्ष का पता नही लग पाता।उनका कहना है कि टेस्ट के नतीजे सटीक साल से आगे पीछे भी हो सकते है।जबकि कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखण्ड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि पांडुलिपियो के टेस्ट के नतीजे बिल्कुल सही है।
अब 1889 में छपी एक किताब में यह आरती लिखी गई है,जिसमे कि आरती का संरक्षक बदरुदीन के रिस्तेदारो को बताया गया है।यह किताब अल्मोड़ा के किसी संग्रहालय में आज भी मौजूद है।

पूरे मामले पर बदरीकेदार मंदिर समिति के अध्य्क्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बद्रीविशाल की आरती धन सिंह बर्तवाल ने ही लिखी है ,जो कि कार्बन डेटिंग से सपष्ट हो चुका है।

बाईट-मोहन प्रसाद थपलियाल-अध्य्क्ष बदरीकेदार मंदिर समिति।


फाइनल बीओ-बदरीनाथ की आरती के रचयिता को लेकर अभी स्थित स्पष्ठ न हो पाई हो ,लेकिन नंदप्रयाग नगर पुराने समय से ही हिन्दू मुश्लिम भाईचारे और एकता की मिशाल कायम करता रहा है ।अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू मुश्लिम मिलकर अभिनय करते है ।जो कि सौहार्द की मिशाल है ।

Last Updated : Jun 17, 2019, 2:21 PM IST
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