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जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को विस्थापित करने की तैयारी, सरकार ढूंढ रही जमीन - Cracks in hundreds of houses in Joshimath

पिछले कई दिनों से जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या बढ़ती ही जा रही है. आलम यह है कि करीब 500 घरों दरारें आ गई है. वहीं, अब होटलों में भी दरारें आने लगी है. ऐसे में भू-धंसाव की समस्या को देखते हुए सरकार इन प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए जमीन ढूंढ़ने में लगी है.

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Published : Dec 28, 2022, 7:43 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 10:04 PM IST

जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को विस्थापित करने की तैयारी.

देहरादून/चमोली: चमोली जिले का जोशीमठ शहर भू-धंसाव के चलते लंबे समय से खतरे की जद में है. स्थिति यह है कि शहर के सैकड़ों घरों में पड़ी दरारें लोगों के लिए खतरा बनती जा रही है. ऐसे में सरकार ने अब इन सैकड़ों परिवारों के विस्थापन के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है. वहीं, ऐतिहासिक शहर जोशीमठ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. शहर में हो रहे भू-धंसाव के कारण जहां घरों में दरारें पड़ने लगी है. वही अब इस शहर के भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

जोशीमठ में सैंकड़ों घरों में आई दरार: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जोशीमठ शहर के करीब 500 घरों में दरारें आई हैं. प्रशासन भी इन हालातों से बेहद चिंतित है. इससे जुड़ी पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है, लेकिन फिलहाल इन स्थितियों से पार पाने के लिए सरकार के पास भी कुछ खास प्लान नजर नहीं आ रहा. जोशीमठ में ऐसे भी कई घर हैं, जहां बेहद बड़े दरारों के कारण अब इन घरों में लोगों का रहना खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा ऐसे परिवारों को विस्थापित किए जाने का प्लान भी तैयार किया जा रहा है.

वैज्ञानिकों ने किया भूगर्भीय सर्वेक्षण: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने मौजूदा स्थितियों को गंभीर मानते हुए प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन ढूंढने की बात कही है. यही नहीं स्थानीय लोगों से भी मुफीद जमीन चिन्हित करने और सुझाव देने के लिए कहा गया है. बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग ने साल 2022 में वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ शहर का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था. राज्य सरकार के पास जो रिपोर्ट भेजी गई, उसमें घरों में दरारें पड़ने का कारण भू-धंसाव माना गया.

ग्लेशियर रॉक पर बसा शहर: सर्वे में यह साफ हुआ कि यहां पर ड्रेनेज सिस्टम न होने और पानी निकासी की अव्यवस्थाओं के कारण स्थितियां बिगड़ी है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरा शहर ग्लेशियर से बनी रॉक पर बसा हुआ है. यहां पर पानी की अव्यवस्थित स्थिति और बेहद ज्यादा निर्माण कार्य के कारण भू-धंसाव की स्थिति बनी है.

खतरे की जद में कई गांव: जोशीमठ नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पवार का कहना है कि जोशीमठ लगातार धंस रहा है. पिछले एक साल से लगातार घरों में दरारें आ रही हैं. जमीन लगातार धंस रही है. जिसके कारण अब लोग आंदोलन करने को मजबूर हैं. क्योंकि पिछले एक साल से अभी तक सरकार कुछ भी नहीं कर रही है. जोशीमठ के कई गांव इसकी जद में आ गए हैं. लोगों को मजबूरन सड़कों पर आना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में तबाही की आहट! जोशीमठ में भू-धंसाव के चलते इमारतें आपस में टकराईं

अलकनंदा काट रही जमीन: वाडिया इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक उत्तराखंड के ज्यादातर ऊंचाई वाले क्षेत्रों के गांव ग्लेशियर के मटेरियल पर बसे हुए हैं. जोशीमठ शहर भी उन्हीं में से एक है. ऐसी स्थिति में बिना प्लानिंग के निर्माण कारण शहर पर दिक्कत आती हुई दिखाई दे रही है. जोशीमठ शहर के नीचे एक तरफ अलकनंदा तो दूसरी तरफ धौली गंगा बह रही है. दोनों ही लगातार नीचे से जमीन काट रही है. वहीं विद्युत परियोजनाओं की बनने वाली सुरंग भी इसकी एक वजह है.

खेतों में भी पड़ रही दरार: जोशीमठ क्षेत्र में भू-धंसाव लगातार बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि ना सिर्फ घरों, बल्कि खेतों में लंबी लंबी दरारें पड़ गई है. जिस वजह से कई क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. तमाम तरह के निर्माण कार्यों और जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं होने के साथ ही अलकनंदा नदी में हो रही कटान के चलते भू-धंसाव की घटना तेजी से हो रही है.

चमोली जिले का महत्व: बता दें कि चमोली, उत्तराखंड में भारत चीन सीमा से लगता हुआ जिला है. चमोली जिला सामरिक, व्यापारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण जिला है. यहां पर भारत चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र बदरीनाथ धाम भी है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या उस वक्त 4 लाख 55 हजार थी, जो बढ़कर अब करीब दोगुनी हो गई है. जोशीमठ में कई ऐसे गांव हैं, जहां रह पाना बेहद मुश्किल हो गया है. जिन घरों को सपनों के साथ गांव के लोगों ने बनाया था, वो सभी घर अब जमीन में धंसती जा रही हैं.
ये भी पढ़ें: दरक रहा जोशीमठ, धंस रहे घर, खतरे में ऐतिहासिक शहर का अस्तित्व

टनल निर्माण से खतरा: पहाड़ों पर स्थित गांव दरारों में तब्दील हो रहे हैं. यहां की स्थिति इतनी खतरनाक हो गई है कि अब लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन यापन को मजबूर हैं. हालांकि, जिनके पास विकल्प है वो अपने घर को छोड़ चुके हैं. इस पूरी घटना का जिम्मेदार स्थानीय लोग टनल का निर्माण कार्य कर रहे एनटीपीसी को मानते हैं. अब लोग इसके मुआवजे की धनराशि की मांग कर रहे हैं. भू-धंसाव और नगर की सैकड़ों मकानों में पड़ी दरारों के बीच अब ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन से अंतिम बार आर पार की लड़ाई लड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: खतरे की जद में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रोपवे, मंडरा रहा लैंडस्लाइड का खतरा

जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण: आपदा प्रबंधन अपर मुख्य कार्याधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू-धंसाव वाला क्षेत्र देखा है. अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है. जिसके चलते जोशीमठ शहर में तेजी से भू-धंसाव की घटना हो रही है. जोशीमठ में भू-धंसाव के कई अन्य कारण भी है. जिसमे निर्माण कार्यों का अधिक होना, पानी की निकासी सही तरीके से नहीं होना है. वर्तमान समय में जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारें आ गई है. लिहाजा मौके पर प्रशासन और संबंधित विभागों की टीम इन सभी जगहों का स्थलीय निरीक्षण कर रही है. अगले तीन दिनों में टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी. इसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा.

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई: जोशीमठ में बढ़ते भू-धंसाव पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि रुड़की आईआईटी और वाडिया इंस्ट्यूट के वैज्ञानिक इसकी जांच कर रहे हैं. वैज्ञानिकों की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. वैज्ञानिकों की टीम लगातार इस इलाके का निरीक्षण कर रही है. ऐसे में अध्ययन का काम पूरा होने के बाद जल्द राज्य और केंद्र सरकार को इस क्षेत्र की फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी. फिलहाल इस पूरे क्षेत्र में जिस तरह के हालात हैं, वो काफी गंभीर हैं. ऐसे में इस क्षेत्र की स्थिति बद से बदतर होने से पहले सरकार को चाहिए कि अभी से उस गांव में रहने वाले लोगों के लिए बेहतर इंतजाम करें.

जोशीमठ के सैकड़ों परिवारों को विस्थापित करने की तैयारी.

देहरादून/चमोली: चमोली जिले का जोशीमठ शहर भू-धंसाव के चलते लंबे समय से खतरे की जद में है. स्थिति यह है कि शहर के सैकड़ों घरों में पड़ी दरारें लोगों के लिए खतरा बनती जा रही है. ऐसे में सरकार ने अब इन सैकड़ों परिवारों के विस्थापन के लिए जमीन की तलाश शुरू कर दी है. वहीं, ऐतिहासिक शहर जोशीमठ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. शहर में हो रहे भू-धंसाव के कारण जहां घरों में दरारें पड़ने लगी है. वही अब इस शहर के भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

जोशीमठ में सैंकड़ों घरों में आई दरार: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जोशीमठ शहर के करीब 500 घरों में दरारें आई हैं. प्रशासन भी इन हालातों से बेहद चिंतित है. इससे जुड़ी पूरी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है, लेकिन फिलहाल इन स्थितियों से पार पाने के लिए सरकार के पास भी कुछ खास प्लान नजर नहीं आ रहा. जोशीमठ में ऐसे भी कई घर हैं, जहां बेहद बड़े दरारों के कारण अब इन घरों में लोगों का रहना खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा ऐसे परिवारों को विस्थापित किए जाने का प्लान भी तैयार किया जा रहा है.

वैज्ञानिकों ने किया भूगर्भीय सर्वेक्षण: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने मौजूदा स्थितियों को गंभीर मानते हुए प्रभावित परिवारों को विस्थापित करने के लिए जमीन ढूंढने की बात कही है. यही नहीं स्थानीय लोगों से भी मुफीद जमीन चिन्हित करने और सुझाव देने के लिए कहा गया है. बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग ने साल 2022 में वैज्ञानिकों की टीम गठित कर जोशीमठ शहर का भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया था. राज्य सरकार के पास जो रिपोर्ट भेजी गई, उसमें घरों में दरारें पड़ने का कारण भू-धंसाव माना गया.

ग्लेशियर रॉक पर बसा शहर: सर्वे में यह साफ हुआ कि यहां पर ड्रेनेज सिस्टम न होने और पानी निकासी की अव्यवस्थाओं के कारण स्थितियां बिगड़ी है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरा शहर ग्लेशियर से बनी रॉक पर बसा हुआ है. यहां पर पानी की अव्यवस्थित स्थिति और बेहद ज्यादा निर्माण कार्य के कारण भू-धंसाव की स्थिति बनी है.

खतरे की जद में कई गांव: जोशीमठ नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पवार का कहना है कि जोशीमठ लगातार धंस रहा है. पिछले एक साल से लगातार घरों में दरारें आ रही हैं. जमीन लगातार धंस रही है. जिसके कारण अब लोग आंदोलन करने को मजबूर हैं. क्योंकि पिछले एक साल से अभी तक सरकार कुछ भी नहीं कर रही है. जोशीमठ के कई गांव इसकी जद में आ गए हैं. लोगों को मजबूरन सड़कों पर आना पड़ रहा है.
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अलकनंदा काट रही जमीन: वाडिया इंस्टीट्यूट से रिटायर्ड वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के मुताबिक उत्तराखंड के ज्यादातर ऊंचाई वाले क्षेत्रों के गांव ग्लेशियर के मटेरियल पर बसे हुए हैं. जोशीमठ शहर भी उन्हीं में से एक है. ऐसी स्थिति में बिना प्लानिंग के निर्माण कारण शहर पर दिक्कत आती हुई दिखाई दे रही है. जोशीमठ शहर के नीचे एक तरफ अलकनंदा तो दूसरी तरफ धौली गंगा बह रही है. दोनों ही लगातार नीचे से जमीन काट रही है. वहीं विद्युत परियोजनाओं की बनने वाली सुरंग भी इसकी एक वजह है.

खेतों में भी पड़ रही दरार: जोशीमठ क्षेत्र में भू-धंसाव लगातार बढ़ती जा रही है. आलम यह है कि ना सिर्फ घरों, बल्कि खेतों में लंबी लंबी दरारें पड़ गई है. जिस वजह से कई क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. तमाम तरह के निर्माण कार्यों और जल निकासी के उचित प्रबंध नहीं होने के साथ ही अलकनंदा नदी में हो रही कटान के चलते भू-धंसाव की घटना तेजी से हो रही है.

चमोली जिले का महत्व: बता दें कि चमोली, उत्तराखंड में भारत चीन सीमा से लगता हुआ जिला है. चमोली जिला सामरिक, व्यापारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण जिला है. यहां पर भारत चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र बदरीनाथ धाम भी है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या उस वक्त 4 लाख 55 हजार थी, जो बढ़कर अब करीब दोगुनी हो गई है. जोशीमठ में कई ऐसे गांव हैं, जहां रह पाना बेहद मुश्किल हो गया है. जिन घरों को सपनों के साथ गांव के लोगों ने बनाया था, वो सभी घर अब जमीन में धंसती जा रही हैं.
ये भी पढ़ें: दरक रहा जोशीमठ, धंस रहे घर, खतरे में ऐतिहासिक शहर का अस्तित्व

टनल निर्माण से खतरा: पहाड़ों पर स्थित गांव दरारों में तब्दील हो रहे हैं. यहां की स्थिति इतनी खतरनाक हो गई है कि अब लोग अपनी जान को हथेली में रखकर जीवन यापन को मजबूर हैं. हालांकि, जिनके पास विकल्प है वो अपने घर को छोड़ चुके हैं. इस पूरी घटना का जिम्मेदार स्थानीय लोग टनल का निर्माण कार्य कर रहे एनटीपीसी को मानते हैं. अब लोग इसके मुआवजे की धनराशि की मांग कर रहे हैं. भू-धंसाव और नगर की सैकड़ों मकानों में पड़ी दरारों के बीच अब ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन से अंतिम बार आर पार की लड़ाई लड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: खतरे की जद में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी रोपवे, मंडरा रहा लैंडस्लाइड का खतरा

जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण: आपदा प्रबंधन अपर मुख्य कार्याधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू-धंसाव वाला क्षेत्र देखा है. अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है. जिसके चलते जोशीमठ शहर में तेजी से भू-धंसाव की घटना हो रही है. जोशीमठ में भू-धंसाव के कई अन्य कारण भी है. जिसमे निर्माण कार्यों का अधिक होना, पानी की निकासी सही तरीके से नहीं होना है. वर्तमान समय में जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारें आ गई है. लिहाजा मौके पर प्रशासन और संबंधित विभागों की टीम इन सभी जगहों का स्थलीय निरीक्षण कर रही है. अगले तीन दिनों में टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी. इसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा.

वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई: जोशीमठ में बढ़ते भू-धंसाव पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि रुड़की आईआईटी और वाडिया इंस्ट्यूट के वैज्ञानिक इसकी जांच कर रहे हैं. वैज्ञानिकों की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. वैज्ञानिकों की टीम लगातार इस इलाके का निरीक्षण कर रही है. ऐसे में अध्ययन का काम पूरा होने के बाद जल्द राज्य और केंद्र सरकार को इस क्षेत्र की फाइनल रिपोर्ट सौंपी जाएगी. फिलहाल इस पूरे क्षेत्र में जिस तरह के हालात हैं, वो काफी गंभीर हैं. ऐसे में इस क्षेत्र की स्थिति बद से बदतर होने से पहले सरकार को चाहिए कि अभी से उस गांव में रहने वाले लोगों के लिए बेहतर इंतजाम करें.

Last Updated : Dec 28, 2022, 10:04 PM IST
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