देहरादूनः उत्तराखंड में लोकपर्व हरेला (Harela festival) धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह त्योहार ऋतु परिवर्तन के साथ-साथ किसानों और पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है. इस मौके पर पूरे प्रदेश में पौधारोपण किया गया. साथ ही पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प भी लिया गया. कहीं पारंपरिक वेशभूषा और लोकगीतों के साथ पौधारोपण किया गया तो कहीं चित्रकला के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया.
हरेला पर्व के मौके पर देहरादून के सभी 100 वार्डों में पौधारोपण अभियान चलाया गया. मेयर सुनील उनियाल गामा ने निगम परिसर में पौधारोपण कर इस अभियान को शुरू किया. इस अभियान के तहत सभी 100 वार्डों में एक घंटे के अंदर पांच हजार पौधे रोपे गए. मेयर गामा ने दून वासियों से अपील करते हुए कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक को हमेशा के लिए टाटा बाय-बाय करें.
थरालीः लोकपर्व हरेला पर्व के मौके पर अलकनंदा वन प्रभाग और बदरीनाथ वन प्रभाग के संयुक्त पौधरोपण कार्यक्रम में कुल 300 पेड़ लगाए गए. जिसमें बांज, फंयाट, दाड़िम, संतरा समेत अन्य फलदार और छायादार पौधों का रोपण किया गया. जहां ग्रामीणों ने फलदार, छायादार पौधे रोपकर पर्यावरण को सुरक्षित और हरा-भरा रखने का संकल्प लिया. जबकि, देवराड़ा वार्ड की महिला मंगल दल की महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में लोकगीतों के माध्यम से हरेला पर्व मनाया और पौधारोपण कर पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने का भी संदेश दिया.
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खटीमाः नेपाल सीमा से लगे नगरा तराई गांव में वन विभाग, राजस्व विभाग और एसएसबी समेत तमाम विभागीय अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी गीता धामी ने पौधारोपण किया. इस दौरान गीता धामी ने लोगों को फलदार व छायादार पौधों को उपहार स्वरूप भेंटकर उनसे पर्यावरण संरक्षण की अपील की.
रुद्रप्रयाग: जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बैंजी गांव में ग्रामीणों के साथ हरेला पर्व मनाया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गांव में त्रिफला वन स्थापित किया जा रहा है. साथ ही अपील करते हुए कहा कि बंजर हो रही जमीन पर अधिक से अधिक पौधे लगाएं. पलायन के चलते बंजर हो रही जमीनों में अधिकाधिक फलदार व छायादार वृक्षों का रोपण किए जाने से स्थानीय स्तर पर आर्थिकी के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे.
चमोलीः बदरीनाथ वन विभाग के तत्वाधान में नंदप्रयाग संगम के आसपास वृहद स्तर पर पौधरोपण किया गया. इस दौरान फलदार एवं छायादार पौधे लगाए गए और उनके संरक्षण का संकल्प भी लिया गया. कार्यक्रम में प्रेरणा जागृति समिति ने नुक्कड़ नाटक और स्कूली बच्चों ने चित्रकला के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया. डीएम स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि चिपको आंदोलन की जननी भी चमोली जिला ही है. जो सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. चित्रकला प्रतियोगिता से बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की सोच विकसित होगी.
टिहरीः हरेला पर्व पर सकलाना फॉरेस्ट रेंज के स्वारी गाड़ (स्यूल गांव के पास) और चंबा-उत्तरकाशी मोटर मार्ग पर कोर्ट गांव में डंपिंग जोन पर जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव के नेतृत्व में पौधरोपण किया गया. इस दौरान स्यूल में विभिन्न प्रजाति की चारापत्ती व फलदार के 1100 पौधे, जबकि डंपिंग जोन कोट गांव में 450 पौधे रोपे गए.
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डीएम ईवा श्रीवास्तव ने बताया कि हेंवल नदी पुनर्जीवन योजना के तहत स्वारी गाड़ में जल स्रोत संरक्षण के कार्य कराए गए हैं. जिसके आसपास पौधारोपण से हेंवल नदी में जल के स्तर को बढ़ने में मदद मिलेगी. वहीं, राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण से निर्मित डंपिंग जोन भूमि पर पौधारोपण से वाटिकाओं का निर्माण होगा. जिससे जल संरक्षण व नैसर्गिक सुंदरता भी बढ़ेगी. पर्यटकों के लिए भी ये वाटिकाएं आकर्षण का केंद्र बनेगी.
बागेश्वरः हरेला के मौके पर पूरे जिले में वृहद पौधारोपण किया गया. बागनाथ मंदिर परिसर में अपनी धरोहर कार्यक्रम के तहत रूद्राक्ष का पौधा लगाया गया. इस दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने सभी से जल संरक्षण के लिए पौधारोपण की अपील की. उधर, जिला कार्यालय परिसर के साथ ही बिलखेत में भी पौधारोपण किया गया.
मसूरीः हरेला पर्व के मौके पर विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने स्तर पर पौधारोपण कर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए आह्वान किया. मसूरी सदभावना की ओर से कचहरी परिसर में पौधारोपण किया गया तो वहीं, मसूरी कोतवाल राजीव रौथाण ने पुलिस बल और ग्रामीणों के साथ भट्टा क्यारकुली गांव में करीब 600 फलदार पौधे रोपे. उधर, आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से भगवान शंकर आश्रम में 121 पौधे रोपे गए. भट्टा क्यारकुली की ग्राम प्रधान कौशल्या रावत ने बताया कि इस बार ग्राम सभा में करीब आठ हजार विभिन्न प्रजाति समेत गिलोय के पौधे लगाए जा रहे हैं. जिसकी देखभाल ग्रामीण ही करेंगे.
ऋषिकेशः तीर्थनगरी में रंभा नदी पर बनी संजय झील को अब रंभा कुंड के रूप में विकसित करने की उम्मीद जगी है. यह आस केंद्रीय पर्यटन और रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने जगाई है. दरअसल, यह जानकारी मेयर अनीता ममगाईं ने हरेला पर्व पर रंभा नदी के किनारे पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में दी. इस उन्होंने कहा कि हरेला उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़ा पर्व है और इसका पर्यावरण संरक्षण रूप में बड़ा महत्व है. ऐसे में सभी से अपील है कि अधिक से अधिक पौधारोपण करें.
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लक्सरः लोक निर्माण विभाग खंड लक्सर की ओर से बालावाली तिराहे से मिहिर भोज प्रतिमा और कोतवाली लक्सर में पौधारोपण किया गया. इस दौरान मौके पर मौजूद लोगों ने पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प भी लिया. वहीं, तहसील परिसर में भी हरेला पर्व मनाया गया. जिसमें राजस्व, अग्निशमन विभाग और स्थानीय लोगों ने विभिन्न प्रजाति के पौधों का रोपण किया.
बता दें कि श्रावण मास की संक्रांति से 9 दिन पहले अषाढ़ महीने में घर के अंदर किसी कोने में टोकरी में पांच या सात प्रकार के अनाज बोए जाते हैं. जिसमें गेहूं, जौ, मक्का, भट्ट, सरसों, धान आदि शामिल है. इसकी रोजाना पूजा की जाती है और जल चढ़ाया जाता है. अंधेरे में रखने की वजह से इसका रंग पीला पड़ जाता है.
दसवें दिन श्रावण मास की संक्रांति को इसे काटकर सर्वप्रथम क्षेत्रपाल देवता को चढ़ाया जाता है, ताकि धरती में कृषि उपज की अच्छी पैदावार हो. उसके बाद घर के सदस्यों को यह हरेला चढ़ाया जाता है. इस दिन घर के बडे़ बुजुर्ग अपने बच्चों, नाती, पोतों को हरेला पूजते हुए उनके सिर और कान में हरेला रखते हैं. साथ ही आशीष भी देते हैं.